बगैर पंजीकरण के नहीं कर सकेंगे चारधाम यात्रा, पंजीकरण की क्षमता बढ़ाई, केदारनाथ में दर्शन का बढ़ाया समय
उत्तराखंड में चारधाम में यात्रियों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए उनके अनिवार्य पंजीकरण को लेकर सरकार सख्त हो गई है। अब बिना पंजीकरण कराए कोई भी यात्री चारधाम यात्रा पर नहीं आ पाएगा।

पंजीकरण की क्षमता बढ़ाई
चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं के भारी संख्या में आने के कारण सरकार ने प्रत्येक धाम में प्रतिदिन की पंजीकरण क्षमता एक-एक हजार बढ़ाने का निर्णय लिया है। अभी तक बदरीनाथ में 15000, केदारनाथ में 12000, गंगोत्री में 7000 और यमुनोत्री में 4000 यात्रियों का प्रतिदिन पंजीकरण कराने के व्यवस्था थी। अब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर चार धाम यात्रा के लिये यात्रा सीजन के प्रथम 45 दिनों के लिये गंगोत्री यमुनोत्री, श्री केदारनाथ एवं श्री बद्रीनाथ में दर्शन करने की सुविधा के दृष्टिगत प्रतिदिन मंदिर धामों में दर्शन के लिये आने वाले श्रद्धालुओं की अधिकतम संख्या में एक-एक हजार की वृद्धि की गई है। इस संबंध में पूर्व के शासनादेश में आंशिक संशोधन करते हुए नया शासनादेश जारी किया गया है। संशोधित शासनादेश के अनुसार चार धाम यात्रा के लिये यात्रा सीजन के प्रथम 45 दिनों के लिये तीर्थयात्री प्रतिदिन दर्शन के लिए निर्धारित अधिकतम संख्या श्री गंगोत्री में 8 हजार, श्री यमुनोत्री में 5 हजार, श्री केदारनाथ में 13 हजार एवं श्री बद्रीनाथ में 16 हजार है।
यहां कराएं पंजीकरण
यात्रियों के लिए पर्यटन विभाग की वेबसाइट https://registrationandtouristcare.uk.gov.in/ में पंजीकरण अनिवार्य किया गया। वर्तमान में चारधाम यात्रा मार्ग के 18 स्थानों पर आफलाइन व आनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की गई है।
यात्रा मार्ग पर होगी पंजीकरण की जांच
पंजीकरण की जांच यात्रा मार्ग पर जगह-जगह स्थापित जांच चौकियों और पुलिस चौकियों पर की जाएगी। बढ़ती संख्या के दृष्टिगत सरकार ने चारों धामों के लिए होने वाले पंजीकरण में प्रतिदिन की तय संख्या में एक-एक हजार की वृद्धि भी कर दी है।
केदारनाथ में दर्शन करने के समय में की बढ़ोतरी
केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं के दर्शन करने के समय में पांच घंटे की बढ़ोतरी की है। अब सुबह चार से दोपहर तीन बजे और फिर शाम चार बजे से रात 10:30 बजे तक श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन कर सकेंगे।
जारी की गई एडवाइजरी
चारधाम में 23 यात्रियों की मौत के बाद स्वास्थ्य महकमा भी अब नींद से जागा है। अब यात्रा के दौरान स्वास्थ्य संबंधी दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि उत्तराखंड में समस्त तीर्थस्थल उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित हैं। इनकी ऊंचाई समुद्र तल से 2700 मीटर से भी अधिक है। इन स्थानों पर श्रद्धालु अत्यधिक सर्दी, कम आद्रता, अत्यधिक अल्ट्रा वॉयलेट रेडिएशन, कम हवा का दबाव, कम ऑक्सीजन से प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में यात्रियों की सुरक्षा के लिए ये दिशा निर्देश जारी किए जा रहे हैं।
ये जारी किए गए हैं निर्देश
-स्वात्थ्य परीक्षण के उपरांत ही यात्रा के लिए प्रस्थान करें।
-पूर्व से बीमार व्यक्ति अपने चिकित्सक का परामर्श पर्चा एवं चिकित्सक का संपर्क नम्बर, एवं चिकित्सक द्वारा लिखी गई दवाईयां अपने साथ रखें।
-आति वृद्ध एव बीमार व्यक्तियों एवं पूर्व में कोविड से ग्रसित व्यक्तियों के लिए यात्रा पर ना जाना या कुछ समय के लिए स्थगित करना उचित होगा।
-तीर्थेस्थल पर पहुँचने से पूर्व मार्ग में एक दिन का विश्राम करना उचित होगा।
-गर्म एवं ऊनी वस्त्र साथ में अवश्य रखें।
-हदय रोग, श्वास रोग, मधुमेह, उच्य रक्तचाप से ग्रस्त रोगी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाते समय विशेष सावधानी बरतें।
-लक्षण जैसे- सिर दर्द होना, चक्कर आना, घबराहट का होना, दिल की धड़कन तेज होना, उल्टी आना, हाथ- पांव व होठों का नीला पड़ना, थकान होना, सांस फूलना, खॉसी होना अथवा अन्य लक्षण होने पर तत्काल निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे एवं 104 हैल्पलाईन नम्बर पर संपर्क करें।
-धूम्रपान व अन्य मादक पदार्थों के सेवन से परहेज करें।
-सन स्क्रीन एसपीएफ 50 का उपयोग अपनी त्वचा को तेज धूप से बचाने के लिए करें।
-युवी किरणों से अपनी आंखों के बचाव के लिए सन ग्लासेस का उपयोग करें।
-यात्रा के दौरान पानी पीते रहें और भूखे पेट ना रहें।
-लम्बी पैदल यात्रा के दौरान बीच-बीच में विश्राम करें।
-ऊचाई वाले क्षेत्रों में व्यायाम से बचें ।
-किसी भी स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी के लिए 104 एवं एम्बुलेंस के लिए 108 हैल्पलाईन नम्बर सम्पर्क करें।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।