पीएम मोदी की रैली कवर करने वाले पत्रकारों से मांगे चरित्र प्रमाण पत्र, विरोध के बाद वापस लिया आदेश

इस आदेश से लोगों में गुस्सा था। 29 सितंबर को लिखे गए पत्र में सभी प्रेस संवाददाताओं, फोटोग्राफरों और वीडियोग्राफरों की सूची मांगी गई थी, साथ ही उनके चरित्र सत्यापन का प्रमाण पत्र भी मांगा गया था। यहां तक कि सरकारी दूरदर्शन और आकाशवाणी के पत्रकारों को भी इसका पालन करना था। अधिसूचना में कहा गया था कि पत्रकार 1 अक्टूबर तक चरित्र प्रमाण पत्र जमा कर दें। कहा गया कि “रैली या बैठक में उनकी पहुंच इस कार्यालय द्वारा तय की जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आज सुबह बिलासपुर के पुलिस अधीक्षक ने खेद के साथ नई अधिसूचना जारी की। इसमें कहा गया कि यह खेदजनक है कि इस कार्यालय द्वारा अनजाने में पत्र जारी किया गया था। पत्र वापस ले लिया गया है। यह कहते हुए कि सभी मीडिया बंधुओं का स्वागत है और उनके कवरेज की सुविधा प्रदान की जाएगी। नए पत्र में कहा गया है कि सरकार के मीडिया विभाग द्वारा अनुशंसित सभी को पास जारी किए जाएंगे। उधर, डीजीपी संजय कुंदु ने कहा कि पत्रकारों का स्वागत है और प्रधानमंत्री की रैली कवर करने में हमारा उन्हें पूरा सहयोग रहेगा, किसी भी असुविधा के लिए खेद है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रधानमंत्री की यह रैली 24 सितंबर को होनी थी, लेकिन खराब मौसम के चलते इसे टाल दिया गया था और अब कल प्रधानमंत्री यहां रैली करने जा रहे हैं। जिला प्रशासन के इस आदेश को लेकर विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किए थे। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इसकी निंदा की थी। आप के प्रवक्ता पंकज पंडित ने इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा कि पत्रकारिता के 22 सालों के अपने करियर में उन्होंने पहली बार इस तरह की विचित्र अधिसूचना देखी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पहली बार हिमाचल प्रदेश का दौरा नहीं कर रहे हैं। प्रशासन की तरफ से चरित्र प्रमाण पत्र की मांग अपमानजनक है और मीडिया की गतिविधियों पर अंकुश लगाने का एक प्रयास है। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता नरेश चौहान ने कहा कि यह मांग मीडिया की आजादी के खिलाफ है। वहीं, डीपीआरओ कुलदीप गुलेरिया ने कहा था कि यह सभी के लिए अनिवार्य है।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।