Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

December 15, 2024

चार धाम यात्रा अब हुई शुरू, गंगोत्री में स्थानीय व्यापारियों और पुरोहितों को थमाया पानी का छह माह का बिल

जल संस्थान का हाल देखिए। जब गंगोत्री में कोई नहीं रहा उस अवधि के भी पानी के बिल थमा दिए गए। यानी कि कपाट खुलने से पहले की तिथि अप्रैल माह से अक्टूबर माह तक छह माह का बिल स्थानीय व्यापारियों, तीर्थ पुरोहितों को भेज दिया है। अभी अक्टूबर माह आया भी नहीं। इससे स्थानीय लोगों में आक्रोश है।

इस साल भी कोरोना के चलते चारधाम यात्रा थी। हालांकि इस यात्रा वर्ष में श्री केदारनाथ धाम के कपाट 17 मई, श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 18 मई, श्री यमुनोत्री धाम के 14 मई, श्री गंगोत्री के धाम के 15 मई को खुल गए थे। अब जल संस्थान का हाल देखिए। जब गंगोत्री में कोई नहीं रहा उस अवधि के भी पानी के बिल थमा दिए गए। यानी कि कपाट खुलने से पहले की तिथि अप्रैल माह से अक्टूबर माह तक छह माह का बिल स्थानीय व्यापारियों, तीर्थ पुरोहितों को भेज दिया है। अभी अक्टूबर माह आया भी नहीं। इससे स्थानीय लोगों में आक्रोश है।
पिछले साल भी चारधाम यात्रा आम नागरिकों के लिए प्रतिबंधित थी। तब भी स्थानीय तीर्थ पुरोहितों, व्यापारियों के साथ गंगोत्री में रहने वाले अन्य लोगों को बिजली और पानी के बिल थमाए गए थे। कपाट बंद होने के दौरान गंगोत्री में मंदिर समिति के कुछ कर्मचारी और साधु संत ही प्रशासन की अनुमति लेकर रहते हैं। इस साल भी कोरोना के चलते चारधाम यात्रा बंद थी। ऐसे में स्थानीय व्यापारियों का व्यापार चौपट रहा। अब हाईकोर्ट की ओर से यात्रा पर प्रतिबंध को हटाया गया तो 18 सितंबर को आम लोगों के लिए सीमित संख्या में यात्रा शुरू की गई। यात्रा शुरू होते ही स्थानीय व्यापारियों और तीर्थ पुरोहितों को पानी के बिल भेजने शुरू कर दिए हैं।

ऐसा ही एक बिल तीर्थ पुरोहित सत्येंद्र सेमवाल को मिला। इसमें पानी का बिल 5656 रुपये छह माह की अवधि का भेजा गया है। वहीं, पिछला बकाया 5271 रुपये भी इसमें जोड़ा गया है। अभी सितंबर का महीना चल रहा है, लेकिन बिल अक्टूबर माह तक का भेजा गया है। गौरतलब है कि पिछले साल भी बिलों के विरोध में गंगोत्री में साधु संत, तीर्थ पुरोहितों और व्यापारियों ने आंदोलन किया था। साथ ही जिला प्रशासन से बिलों को माफ करने को कहा गया था। उनका तर्क है कि जब यात्रा बंद थी, तो पानी और बिजली के बिलों का क्या औचित्य है। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि यात्रा न चलने से हुए नुकसान के मद्देनजर एक तरफ सरकार उन्हें सहायता देने की बार बार घोषणा कर रही है, वहीं दूसरी ओर बिजली और पानी के बिल भेजकर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। इसका कड़ा विरोध किया जाएगा।

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page