चमोली आपदा: प्रभावित परिवार की मदद को आगे आए अभिनेता सोनू सूद, मारे गए इलेक्ट्रीशियन की चार बेटियों को लिया गोद

बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद समाज सेवा के क्षेत्र में हमेशा तत्पर रहते हैं। कोरोनाकाल के दौरान वह सैकड़ों लोगों का सहारा बने। अब उत्तराखंड में चमोली आपदा से प्रभावित एक परिवार की मदद को वह आगे आए हैं। उन्होंने टिहरी जिले की दोगी पट्टी में रह रहे एक परिवार की मदद को हाथ बढ़ाए हैं। इस परिवार की चार बच्चियों को उन्होंने गोद लिया है। आपदा में इन बच्चियों के पिता की मौत हो गई थी। अभिनेता की टीम ने पीड़ित परिवार की मदद की पुष्टि की है।
45 वर्षीय आलम सिंह विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना से जुड़ी ऋत्विक कंपनी में इलेक्ट्रीशयन के पद पर कार्यरत थे। जल प्रलय के दिन आलम सिंह परियोजना की टनल के भीतर काम करने गए थे, लेकिन उसके बाद लौटे नहीं। आठ दिन बाद मलबे में दबा उनका शव मिला तो परिवार पर मानो दुख का पहाड़ टूट आया। इकलौते कमाऊ सदस्य की असमय मौत से उनकी पत्नी के कंधों पर अपनी और चार मासूम बच्चों आंचल (14), अंतरा (11), काजल (08) व दो वर्षीय अनन्या की जिम्मेदारी का बोझ आ गया। इस बीच सिने अभिनेता सोनू सूद देवदूत बनकर सामने आ गए।
सूत्रों के अनुसारसोनू सूद ने दिवंगत आलम सिंह के चारों बच्चों को गोद लेकर उनकी शिक्षा-दीक्षा और शादी तक का खर्च वहन करने का आश्वासन दिया है। मुंबई में सिने अभिनेता की टीम ने चारों बच्चों को गोद लेने की पुष्टि की। इधर, ग्राम पंचायत बवाणी के पूर्व प्रधान हुकुम सिंह भंडारी ने सिने अभिनेता के मित्रों के हवाले से यह जानकारी मिलने की बात कही। हालांकि, परिवार इस बारे में कुछ भी नहीं बता पा रहा है। इस बीच परिवार की स्थिति को देखते हुए कुछ सामाजिक संगठनों ने भी मदद का भरोसा दिया है।
लापता लोगों की खोज जारी
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक प्राकृतिक आपदा में लापता कुल 204 लोगों में से अब तक कुल 61 शव अलग-अलग स्थानों से बरामद किए जा चुके हैं। इनमें 34 की शिनाख्त हो चुकी है। 27 शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई है। अभी 143 लोग लापता हैं। लापता समस्त लोगों के सम्बन्ध में कोतवाली जोशीमठ में अब तक कुल 179 लोगों की गुमशुदगी दर्ज की जा चुकी है। तपोवन में विष्णुगाड हाइड्रो प्रोजेक्ट की मुख्य टनल और ऋषिगंगा के आसपास रेस्क्यू जारी है।
लापरवाही आई थी सामने
उत्तराखंड में चमोली जिले में आपदा के बाद राहत और बचाव कार्यों में बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई थी। चार दिन तक एनटीपीसी की जिस टनल में लापता 35 मजदूरों की खोज का काम चल रहा था, इसे लेकर बड़ा खुलासा होने के बाद हड़कंप मच गया। बुधवार 10 फरवरी की रात पता चला कि जिस टनल में श्रमिक काम ही नहीं कर रहे थे, वहां चार दिन तक टनल साफ करने का काम चलता रहा। वहीं, मजूदूर इस टनल से करीब 12 मीटर नीचे दूसरी निर्माणाधीन टनल एसएफटी में काम कर रहे थे। ये टनल एसएफटी (सिल्ट फ्लशिंग टनल) गाद निकासी के लिए बनाई जा रही थी। करीब 560 मीटर लंबी एसएफटी टनल निर्माण के लिए अब तक 120 मीटर तक खुदाई हो चुकी थी। अब इसी टनल में लापता को खोजने का काम चल रहा है।
सात फरवरी को आई थी आपदा
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में अचानक ऋषिगंगा और धौलगंगा नदी में पानी का जलजला आने से रैणी गांव में ऋषिगंगा नदी पर हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का डैम धवस्त हो गया था। इसने भारी तबाही मचाई और पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित धौलीगंगा नदी में एनटीपीसी के बांध को भी चपेट में ले लिया था।
इससे भारी तबाही मची। घटना रविवार सात फरवरी की सुबह करीब दस बजे की थी। इससे अलकनंदा नदी में भी पानी बढ़ गया था। तब प्रशासन ने नदी तटों को खाली कराने के बाद ही श्रीनगर बैराज से पानी कंट्रोल कर लिया। वहीं, टिहरी डाम से भी आगे पानी को बंद कर दिया था। इससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। आपदा से कई छोटे पुल ध्वस्त हो गए। 13 गांवों का आपस में संपर्क कट गया।
Bhanu Bangwal
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।