चमोली आपदाः अब तक 68 शव बरामद, मापी ऋषिगंगा में बनी झील की गहराई
उत्तराखंड के चमोली में आपदा में लापता लोगों की तलाश का काम 15 वें दिन भी जारी है। तपोवन में विष्णुगाड हाइड्रो प्रोजेक्ट की मुख्य टनल और ऋषिगंगा के आसपास रेस्क्यू जारी रहा। पुलिस उप महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था व प्रवक्ता उत्तराखंड पुलिस नीलेश आनन्द भरणे ने बताया कि चमोली में आयी प्राकृतिक आपदा में स्थानीय पुलिस, एसडीआरएफ, फायर सर्विस, एफएसएल रेस्क्यू, खोज, बचाव राहत एवं डीएनए सैम्पलिंग के कार्यों में लगी हुई है।
प्राकृतिक आपदा में लापता कुल 204 लोगों में से 68 शव एवं 28 मानव अंग अलग-अलग स्थानों से बरामद किये जा चुके हैं। इनमें से 38 शव और 01 मानव अंग की शिनाख्त हो गई है। अभी 136 लोग लापता हैं। लापता समस्त लोगों के सम्बन्ध में कोतवाली जोशीमठ में अब तक कुल 204 लोगों की गुमशुदगी दर्ज की जा चुकी है। बरामद सभी शवों एवं मानव अंगों का डीएनए सैम्पलिंग और संरक्षण के सभी मानदंडों का पालन कर सीएचसी जोशीमठ, जिला चिकित्सालय गोपेश्वर एवं सीएचसी कर्णप्रयाग में शिनाख्त के लिए रखा गया था। अभी तक 96 परिजनों एवं 48 शव और 25 मानव अंगों के डीएनए सैंपल मिलान हेतु एफएसएल देहरादून भेजे गए हैं।
उधर, ऋषिगंगा नदी में रैंणी गांव के पास ऋषिगंगा पर बनी झील की गहराई मापने में कामयाबी मिल गई। इसे आठ से नौ मीटर गहरा पाया गया है। नौसेना के गोताखोरों ने शनिवार को झील की गहराई मापने के अहम काम को अंजाम दिया।
गोताखोरों ने नापी झील की गहराई
झील को लेकर खतरे की सही स्थिति का अंदाजा लगाने को अब वैज्ञानिकों का झील के पास पहुंच चुका है। झील से पानी की निकासी के उपाय वैज्ञानिकों से रिपोर्ट मिलने के बाद किए जाएंगे। गौरतलब है कि ऋषिगंगा नदी से मची तबाही के दौरान चमोली जिले में मुरेंडा गांव से आगे ऋषिगंगा पर मलबे से करीब 300 मीटर लंबी झील बन गई है। इस बीच झील से तीन स्थानों से जल निकासी का पता चलने के बाद कुछ राहत मिली। शनिवार को नौसेना के गोताखोरों ने ईको सेंसर्स से झील की गहराई माप डाली।
लापरवाही आई थी सामने
उत्तराखंड में चमोली जिले में आपदा के बाद राहत और बचाव कार्यों में बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई थी। चार दिन तक एनटीपीसी की जिस टनल में लापता 35 मजदूरों की खोज का काम चल रहा था, इसे लेकर बड़ा खुलासा होने के बाद हड़कंप मच गया। बुधवार 10 फरवरी की रात पता चला कि जिस टनल में श्रमिक काम ही नहीं कर रहे थे, वहां चार दिन तक टनल साफ करने का काम चलता रहा। वहीं, मजूदूर इस टनल से करीब 12 मीटर नीचे दूसरी निर्माणाधीन टनल एसएफटी में काम कर रहे थे। ये टनल एसएफटी (सिल्ट फ्लशिंग टनल) गाद निकासी के लिए बनाई जा रही थी। करीब 560 मीटर लंबी एसएफटी टनल निर्माण के लिए अब तक 120 मीटर तक खुदाई हो चुकी थी। अब इसी टनल में लापता को खोजने का काम चल रहा है।
सात फरवरी को आई थी आपदा
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में अचानक ऋषिगंगा और धौलगंगा नदी में पानी का जलजला आने से रैणी गांव में ऋषिगंगा नदी पर हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का डैम धवस्त हो गया था। इसने भारी तबाही मचाई और पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित धौलीगंगा नदी में एनटीपीसी के बांध को भी चपेट में ले लिया था।
इससे भारी तबाही मची। घटना रविवार सात फरवरी की सुबह करीब दस बजे की थी। इससे अलकनंदा नदी में भी पानी बढ़ गया था। तब प्रशासन ने नदी तटों को खाली कराने के बाद ही श्रीनगर बैराज से पानी कंट्रोल कर लिया। वहीं, टिहरी डाम से भी आगे पानी को बंद कर दिया था। इससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। आपदा से कई छोटे पुल ध्वस्त हो गए। 13 गांवों का आपस में संपर्क कट गया था।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।