चमोली आपदाः अब तक 38 शव बरामद, टनल में आपरेशन ड्रिलिंग सफल, झील तक पहुंची एसडीआरएफ की टीम

चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से आपदा की जद में तपोवन में टनल में फंसे 34 लोगों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन छठे दिन भी लगातार जारी है। सुरंग के नीचे सिल्ट फ्लशिंग टनल (एसएफटी) तक ड्रिलिंग फिर से शुरू कर दी गई है। इसमें अब सफलता भी मिलने लगी है। ड्रिल ने काम करना शुरू कर दिया है, जिससे ऑपरेशन ड्रिल फिर से शुरू हो गया। बताया जा रहा है कि ड्रिल अपने लक्ष्य से कुछ ही दूरी पूर है। वहीं, इससे पहले डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि एक छोटी सुरंग में प्रवेश करने का प्रयास किया जाएगा, जो मौजूदा सुरंग से 12 मीटर नीचे है। वहां मानव उपस्थिति की संभावना हो सकती है। उधर ऋषिगंगा में बन रही झील तक एसडीआरएफ की टीम पहुंच गई है। वहीं, अब तक बरामद शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। अभी तक 23 शवों एवं 10 मानव अंगों का पूरे धार्मिक रीति रिवाजों एवं सम्मान के साथ दाह संस्कार करा दिया गया है।
लापरवाही आई थी सामने
उत्तराखंड में चमोली जिले में आपदा के बाद राहत और बचाव कार्यों में बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई थी। चार दिन तक एनटीपीसी की जिस टनल में लापता 35 मजदूरों की खोज का काम चल रहा था, इसे लेकर बड़ा खुलासा होने के बाद हड़कंप मच गया। बुधवार की रात पता चला कि जिस टनल में श्रमिक काम ही नहीं कर रहे थे, वहां चार दिन तक टनल साफ करने का काम चलता रहा। वहीं, मजूदूर इस टनल से करीब 12 मीटर नीचे दूसरी निर्माणाधीन टनल एसएफटी में काम कर रहे थे। ये टनल एसएफटी (सिल्ट फ्लशिंग टनल) गाद निकासी के लिए बनाई जा रही थी।
ये है दिक्कत
करीब 560 मीटर लंबी एसएफटी टनल निर्माण के लिए अब तक 120 मीटर तक खुदाई हो चुकी थी। इसी में मजदूरों के फंसने की संभावना है। ये टनल सिल्ट की निकासी के लिए बनाई जा रही थी। इस टनल का मुहाना भी मलबे से दबा पड़ा है। डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि इस छोटी सुरंग में प्रवेश करने के लिए आपरेशन ड्रिलिंग फिर से शुरू कर दिया गया है। इसमें अब सफलता मिल रही है।
ड्रिल की रणनीति भी हुई थी फ्लाप
इस टनल तक पहुंचने के लिए करीब 12 मीटर गहराई तक ड्रिल करने की रणनीति बनाई गई। जो सफल नहीं हो सकी। करीब छह मीटर तक ड्रिलिंग के बाद आगे कंक्रीट और सरिये के जाल के कारण ड्रिलिंग संभव नहीं हो सकी। वहीं, एनटीपीसी की टनल में राहत कार्यों पर लगी जेसीबी मशीन भी आठ दस साल पुरानी है। कल मशीन भी बार बार खराब होती रही। उधर, रैंणी से पांच किलोमीटर ऊपर पैंग गांव के पास ऋषिगांव में झील बनी है। गढ़वाल विश्वविद्यालय और वाडिया इंस्टीट्यूट के भू वैज्ञानिकों ने इसकी जानकारी दी है। इस झील से रिसाव भी हो रहा है।
एरियल सर्वे पर भी दिखाई दी झील
ऋषिगंगा नदी पर एक और झील बनती दिख रही है। इस बात की पुष्टि वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के विज्ञानियों ने हेलीकॉप्टर से किए सर्वे (एरियल सर्वे) के बाद की। हालांकि, अधिक ऊंचाई से लिए गए चित्रों के चलते यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा कि झील का वास्तविक आकार कितना है।
वाडिया संस्थान के मुताबिक, झील का आकार करीब 10 से 20 मीटर दिख रहा है। झील अभी बन रही है या पहले से बनी है, इसका पता नहीं चल पाया है। एरियल चित्रों के मुताबिक, झील में अधिक पानी जमा नहीं है और अभी डरने जैसी कोई बात नहीं है। रिमोट सेंसिंग के जरिये भी झील के आकार पर नजर रखी जाएगी।
झील तक पहुंची एसडीआरएफ
पुलिस उप महानिरीक्षक अपराध एवं कानून एवं पुलिस प्रवक्ता नीलेश आनंद भरणे के बताया कि प्राथमिक सूचना है कि तपोवन के पास रैनी गाँव के ऊपर बनी झील के पास एसडीआरएफ की टीम पहुंच गयी है। झील है, परन्तु उससे पानी डिस्चार्ज हो रहा है। एसडीआरएफ की टीम के वापस आने पर विस्तृत जानकारी साझा की जाएगी।
सात फरवरी को आई थी आपदा
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में अचानक ऋषिगंगा और धौलगंगा नदी में पानी का जलजला आने से रैणी गांव में ऋषिगंगा नदी पर हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का डैम धवस्त हो गया था। इसने भारी तबाही मचाई और पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित धौलीगंगा नदी में एनटीपीसी के बांध को भी चपेट में ले लिया था।
इससे भारी तबाही मची। घटना रविवार सात फरवरी की सुबह करीब दस बजे की थी। इससे अलकनंदा नदी में भी पानी बढ़ गया था। तब प्रशासन ने नदी तटों को खाली कराने के बाद ही श्रीनगर बैराज से पानी कंट्रोल कर लिया। वहीं, टिहरी डाम से भी आगे पानी को बंद कर दिया था। इससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। आपदा से कई छोटे पुल ध्वस्त हो गए। 13 गांवों का आपस में संपर्क कट गया।
चमोली उत्तराखंड के चमोली में आपदा में लापता लोगों की तलाश का काम छठे दिन भी जारी रहा। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की ओर से बताया जा रहा है कि आपदा में कुल 204 लोग लापता हुए थे। इनमें 38 शव बरामद कर लिए गए हैं। 11 की शिनाख्त की जा चुकी है। 27 शवों की शिनाख्त बाकी है। अभी 166 लोग लापता हैं।
लिए जा रहे हैं डीएनए सेंपल
प्राकृतिक आपदा में जनपद चमोली के विभिन्न स्थानों से ही 18 मानव अंग भी बरामद किये गये हैं। बरामद सभी शवों एवं मानव अंगों का डीएनए सैम्पलिंग और संरक्षण के सभी मानदंडों का पालन कर सीएचसी जोशीमठ, जिला चिकित्सालय गोपेश्वर एवं सीएचसी कर्णप्रयाग में शिनाख्त के लिए रखा गया था। शवों को नियमानुसार डिस्पोजल के लिए गठित कमेटीअभी तक 23 शवों एवं 10 मानव अंगों का पूरे धार्मिक रीति रिवाजों एवं सम्मान के साथ दाह संस्कार कर चुकी है।
इनकी हुई शिनाख्त
1-जितेंद्र थापा पुत्र श्री खेम बहादुर, लच्छीवाला, देहरादून,
2-नरेंद्र लाल खनेड़ा पुत्र एतवारी लाल तपोवन, जोशीमठ
3- अवधेश पुत्र ललता प्रसाद, निवासी इच्छानगर माॅझा थाना सिंघाई लखीमपुरखीरी, उत्तर प्रदेश
4- दीपक कुमार टम्टा पुत्र श्री रमेश राम, निवासी ग्राम भतीड़ा, बागेश्वर,
5- आरक्षी स0पु0 18 बलवीर गडिया पुत्र बलवीर गडिया, निवासी ग्राम गाडी, चमोली,
6-मनोज चैधरी पुत्र स्व0 जसवन्त सिंह चैधरी, निवासी बेनोली कर्णप्रयाग चमोली,
7-राहुल कुमार पुत्र श्री भगवती प्रसाद, निवासी शवली महदूत, सिडकुल, हरिद्वार,
8- अजय शर्मा पुत्र श्री बाबू लाल निवासी ग्राम गणेशपुर, थाना पिसावा अलीगढ़ उ0प्र0
9- सूरज कुमार पुत्र स्व0 श्री वीछू लाला निवासी ग्राम बाहपुर कोतवाली तिकुनिया लखीमपुर खीरी उ0प्र0
10. रविन्द्र सिंह पुत्र श्री नैन सिंह निवासी कालिका थाना धारचूला पिथौरागढ़।
जुटे हैं इतने जवान
प्रभावित क्षेत्रों में एसडीआरएफ के 100, एनडीआरएफ के 176, आईटीबीपी के 425 जवान एसएसबी की 1 टीम, आर्मी के 124 जवान, आर्मी की 02 मेडिकल टीम, स्वास्थ्य विभाग उत्तराखण्ड की 04 मेडिकल टीमें और फायर विभाग के 16 फायरमैन, लगाए गए हैं। राजस्व विभाग, पुलिस दूरसंचार और सिविल पुलिस के कार्मिक भी कार्यरत हैं। बीआरओ द्वारा 2 जेसीबी, 1 व्हील लोडर, 2 हाईड्रो एक्सकेवेटर, आदि मशीनें लगाई गई हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।