चैत्रीय नवरात्र 13 अप्रैल से, 90 वर्ष बाद ऐसा संयोग, इस कारण है प्राकृतिक प्रकोप का भयः पंडित शुभम उपाध्याय

हिंदू नव संवत्सर विक्रम संवत 2078 ‘आनंद’ और शालिवाहन शाके 1943 का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 13 अप्रैल 2021 मंगलवार को होगा। इन्हीं को चैत्रीय नवरात्रे भी कहते हैं। शिव विंशति में इस आनंद नामक संवत्सर की गणना आठवें क्रमांक पर होती है। इस नव वर्ष के राजा और मंत्री दोनों का कार्यभार अग्नि तत्व के प्रतीक मंगल ग्रह के पास रहेगा। इस बार ऐसा संयोग 90 साल बाद बन रहा है। इससे प्राकृतिक प्रकोप का भय भी बन रहा है।
विक्रम संवत का धार्मिक महत्व
पंडित शुभम उपाध्याय के मुताबिक वैदिक शास्त्रों और पुराणों के अनुसार सृष्टि के निर्माता भगवान ब्रह्मा जी ने चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को इस संसार को रचा था। इसलिए इस पावन तिथि को ‘नव संवत्सर’ पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।
यह रहेगा आनंद संवत्सर का वर्ष फल
इस बार मंगल के पास राजा और मंत्री के महत्वपूर्ण पद हैं। नव वर्ष का शुभारंभ जिस वार से होता है, वही वर्ष का राजा होता है। नववर्ष का प्रारंभ मंगलवार से हो रहा है। मंगल के प्रभाव से अग्नि के साथ जनधन का क्षय होने की घटना होती है। प्राकृतिक प्रकोप, लोगों में सदाचार की कमी, आपराधिक घटनाओं में वृद्धि आदि होती है। साथ ही धान्य आदि के भावों में तेजी आएगी। अध्यात्म के मार्ग पर चलने वालों को राहत और अन्य को पीड़ा का अनुभव होता है। इसके अलावा धान्येश गुरु होने से शासन नवनीति का गठन करेगा जिससे धान्य की उपलब्धता सुलभ होगी।
हिंदू नव संवत्सर के नाम पर संशय
कुछ ने नव संवत्सर का नाम आनंद तो कुछ में राक्षस बताया गया है। ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार कुल 60 संवत्सरों का उल्लेख मिलता है। संवत्सर 2077 का नाम प्रमादी था। इस हिसाब से आने वाले संवत्सर 2078 का नाम आनंद होगा। हालांकि आनंद का लोप बताते हुए कुछ पंचांग नवसंवत्सर का नाम राक्षस बता रहे हैं। यह 89वां सवंत है। इस बार अद्भुत संयोग बन रहा है। 90 साल बाद एक संवत पूरी तरह विलुप्त हो जाएगा। इस कारण बीमारियां, डर और अपराध बढ़ेंगे। हिंदू नव वर्ष के दिन रात 2.32 मिनट पर सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे। इसके बाद मेष संक्रांति शुरू होगी। संवत्सर प्रतिपदा और मेष संक्रांति एक ही दिन है। ऐसा संयोग 90 वर्ष बाद बन रहा है।।
करें मां दुर्गा को प्रसन्न, होगा फलदायी
मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए दुर्गासप्तशती का पाठ बहुत ही फलदायी कहा गया है। नवरात्र के दिनों में तो इनका पाठ बड़ा ही उत्तम माना गया है। इसलिए माँ के भक्तों दुर्गासप्तशती का पाठ जरूर करना चाहिए। यह पाठ परिवार में प्रेम भाव बनाये रखता है, सद्बुद्धि, सद्मार्ग, ज्ञान, ऊर्जा, प्रदान करता है। यह विविध क्लेशों, पापों, दुराचारी शक्तियों एंव बाधाओं से मुक्त कराने वाला दुर्लभ पाठ है। अतः हर किसी व्यक्ति को अपने घर में, किसी मंदिर में, किसी तीर्थ में या फिर किसी भी स्वच्छ भूमि पर एकाग्रचित्त होकर ब्राह्मणों के संग देवी भक्ति में लीन रहना चाहिए।
परिचय-
पंडित शुभम् उपाध्याय
मोबाइल नं- 999940613, 9717838044
निवास- साहिबाबाद, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।