करनपुर गोलीकांडः बोतल से बाहर निकला जिन्न, सीबीआइ ने हाईकोर्ट में की अपील, बढ़ सकती हैं कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष धस्माना की मुश्किल
उत्तराखंड आंदोलन के दौरान देहरादून के करनपुर क्षेत्र में हुए गोलीकांड का जिन्न फिर से बोतल से बाहर निकल गया। सीबीआइ ने इस मामले में हाईकोर्ट में अपील की है। इसमें गोली चलाने के मामले में तत्कालीन समाजवादी पार्टी नेता एवं वर्तमान में कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना को आरोपी बनाया है। सीबीआइ की इस अपील से कांग्रेस और धस्माना दोनों ही असहज हैं। वहीं, भाजपा को भी बैठे बैठाए एक मुद्दा मिलने वाला है। इस मामले में निचली अदालत ने सात जून 2012 को फैसला सुनाया था। उसमें गोली चलाने के मामले में वर्तमान में कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। साथ ही चार लोगों को गोली चलाने के मामले में सजा सुनाई गई थी।
ये है मामला
राज्य आंदोलन के दौरान हरेन्द्र रावत ने थाना डालनवाला देहरादून में तीन अक्टूबर 1994 में शिकायती पत्र देते हुए कहा था कि उसका भतीजा करनपुर से लौट रहा था। सूर्यकांत धस्माना के आवास पर पहुंचने के दौरान सूर्यकांत उसके भाई संजय व दो अन्य ने गोली चलाई। इसमें उनके भतीजे की मौत हो गई, जबकि दो लोग घायल हो गए।
हाईकोर्ट में दायर की याचिका
बाद में ये जांच सीबीआई को ट्रासफर हुई तो सीबीआई ने जांच कर 12 जनवरी 1995 चार्जशीट दाखिल की थी। सीबीआई की अदालत ने इस मामले में दोषी जसपाल सिंह, मदनसिंह, जितेन्द्र कुमार, यशवीर को सात साल की सजा सुना दी। सूर्यकांत धस्माना को बरी कर दिया। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ सीबीआइ ने सूर्यकांत धस्माना को भी सजा देने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सीबीआइ ने कोर्ट से कहा है कि सूर्यकांत धस्माना के खिलाफ भी सबूत हैं। लिहाजा इनको भी इनके साथ सजा मिले। यह केस किसी भी दिन सुनवाई में आ सकता है।
रावत खेमा हो सकता है हमलावर
इन दिनों कांग्रेस की राजनीति में प्रीतम सिंह खेमा हावी है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खेमे के लोग या तो अलग से राजनीति कर रहे हैं, या फिर कुछ चुपचाप बैठकर समय का इंतजार कर रहे हैं। हरीश रावत के मुख्यमंत्री काल के समय के प्रवक्ता भी इन दिनों मानो भूमिगत हैं। धस्माना कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के करीबी माने जाते हैं। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का खेमा वेट एंड वॉच की भूमिका में है। यदि मामले में किसी तरह का प्रतिकूल निर्णय आया तो प्रदेश कांग्रेस के लिए भी बचाव करना आसान नहीं होगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।