कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की डिजीटल लैब का किया उद्घाटन
उद्यान एंव खाद्य प्रसंस्करण विभाग उत्तराखंड में मौनपालन की सम्भावना एंव गुणवत्तायुक्त मौन उत्पाद विषय पर राजकीय उद्यान सर्किट हाउस, देहरादून में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का उद्घाटन कृषि एंव कृषक कल्याण विभाग मंत्री सुबोध उनियाल ने किया। इस मौके पर उन्होंने विभागीय डिजीटल लैब का उद्घाटन करने के साथ ही विभागीय वेबसाइट, फेसबुक, ट्वीटर एवं यूटयूब चैनल का लोकार्पण किया गया।
इस मौके पर कृषि मंत्री ने विभागीय वेबसाइट एवं अन्य सोसल मीडिया प्लेटफार्म पर अपडेट डाटा अपलोड करने के निर्देश दिए। साथ ही इन प्लेटफार्मों पर उत्तराखंड के औद्यानिकी के क्षेत्र में क्षेत्रवार एवं फसलवार जोन बनाते हुए औद्यानिक विस्तार की सम्भावनाओं का आंकड़ा भी प्रदर्शित करने के निर्देश दिये। उन्होंने मौनपालकों की ओर से स्टॉल के माध्यम से प्रदर्शित किये गये मौन उत्पादों पर आयोजित प्रदर्शनी का उद्घाटन कर अवलोकन किया गया। साथ ही उत्कृष्ठ मौन उत्पादों की सराहना की। उन्होंने जनपद चमोली में मौनपालन से सम्बन्धित स्टार्टअप प्रारम्भ करने वाले नवयुवकों का भी उत्साहवर्धन किया।
उल्लेखनीय है कि राज्य के दूरस्थ ग्राम कलगोट, विकासखण्ड जोशीमठ, जनपद चमोली के शुभम राणा (केन्द्रीय मौनपालन शोध संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त) एवं शुभम सिंह रावत (बीसीए) नवयुवकों की ओर से मौनपालन का कार्य किया जा रहा है। साथ ही इनकी ओर से स्थानीय कास्तकारों को भी मौनपालन को अपनाकर अपनी आजीविका बढ़ाने के लिए नवनीतम तकनीकी से प्रशिक्षित करने के साथ ही निःशुल्क बीज वितरण कर प्रोत्साहित किया जा रहा है।
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने समस्त मौनपालकों व विभागीय प्रसार कर्मियों का आह्वान किया कि हम सबको मिलकर प्रदेश को औद्यानिकी के क्षेत्र में उन्नत राज्य बनाने के लिए निरन्तर प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। जिससे कि पृथक विकसित उत्तराखंड राज्य की परिकल्पना पूर्ण हो सके। कहा कि राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत यहां के अधिकांश भू-भाग पर किये जाने वाले औद्यानिक एवं कृषि उत्पादन जैविक होते हैं। इसलिए किसानों को राज्य के जैविक उत्पाद परिषद में अपना पंजीकरण अवश्य कराना चाहिए। इससे उनके उत्पाद के मूल्य में गुणात्मक वृद्धि प्राप्त होती है। उन्होंने कृषि उत्पादन मण्डी समिति की तर्ज पर उत्तराखंड औद्यानिक परिषद को भी किसानों व उपभोक्ता के मध्य से बिचैलियों को हटाने के लिए सीधे औद्यानिक उत्पादों के खरीद की व्यवस्था किये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि मंडी की ओर से मडुआ एवं चैलाई की जब से खरीद प्रारम्भ की गयी
है तब से किसानों को दोगुनी आय प्राप्त हो रही है। इसके साथ ही उन्होंने किसानों के लिए भारत सरकार की योजनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।
इस मौके पर देहरादून व हरिद्वार के पांच-पांच प्रगतिशील मौनपालकों को भौतिक रूप से एवं अन्य जनपदों के वर्चुअल रूप से जुड़े प्रगतिशील मौनपालकों में से दो-दो मौनपालकों (कुल 32 मौनपालकों) को सम्मानित किया गया। उद्घाटन सत्र में निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण डा हरमिन्दर सिंह बवेजा ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए मंत्री एवं समस्त मौनपालकों का स्वागत किया। बताया गया कि मौनपालकों को मात्र शहद उत्पादन तक ही सीमित न रखते हुए अन्य मौन उत्पादों जैसे पराग, रायलजैली, मौन विश, मोम, आदि के उत्पादन के लिए प्रेरित किया जायेगा।
संगोष्ठी में भोजनावकाश के उपरान्त तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। डा0 हरमिन्दर सिंह बवेजा, इसमें शिवालिक नेचुरल प्रोडक्स निदेशक अतर सिंह ने उत्तराखंड में आजिविका के साधन के रूप में मौनपालन, सनलाईट इण्डिया एग्रो प्रोड्यूसर कम्पनी लि के निदेशक योगेन्द्र पुनिया ने परागण का औद्यानिक फसलों के उत्पादन पर प्रभाव, ज्योति ग्रामोद्योग संस्थान के अजय सैनी ने गुणवत्ता पूर्ण रानी मधुमक्खी का उत्पादन एवं आनली एण्ड स्योरलि आरगेनिक, कनखल, हरिद्वार के निर्मल कुमार ने मौन पालकों की समस्याएं एंव समाधान विषय पर व्याख्यान दिये।
अपर सचिव, कृषि एवं कृषक कल्याण डा राम बिलास यादव ने मौनपालकों व विशेषज्ञों के साथ चर्चा एवं प्रश्नोत्तर सत्र का भी आयोजन किया। इसमें मौनपालकों की विभिन्न समस्याओं का समाधान किया गया। संगोष्ठी का समापन निदेशक, बागवानी मिशन संजय कुमार श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापित कर किया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।