देहरादून में 504 घरों पर बुलडोजर अभियान, प्रभावित महिलाएं पहुंची बीजेपी कार्यालय, विधायकों के नाम सौंपा पत्र

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में नगर निगम देहरादून, मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण और मसूरी नगर पालिका की ओर से 504 घरों पर चलाए जा रहे बुलडोजर अभियान का हर दिन विरोध हो रहा है। विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ ही सामाजिक संगठनों की ओर से इस मुद्दे को लेकर हर दिन प्रदर्शन किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में आज प्रभावित बस्तियों की महिलाओं ने देहरादून में भाजपा महानगर कार्यालय पहुंचकर देहरादून विधायकों को संबोधित पत्र सौंपा। साथ ही बस्तियों को बचाने की गुहार लगाई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि देहरादून में रिस्पना नदी किनारे रिवर फ्रंट योजना की तैयारी है। इसके तहत अवैध भवन चिह्नित किए गए हैं। ये भवन नगर निगम की जमीन के साथ ही मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की जमीन पर हैं। देहरादून में रिस्पना नदी के किनारे वर्ष 2016 के बाद 27 मलिन बस्तियों में बने 504 मकानों को नगर निगम, एमडीडीए और मसूरी नगर पालिका ने नोटिस जारी किए थे। इसके बाद नगर निगम ने सोमवार 27 मई से मकानों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
504 नोटिस में से मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने 403, देहरादून नगर निगम ने 89 और मसूरी नगर पालिक ने 14 नोटिस भेजे थे। अब बड़े पैमाने पर एमडीडीए की ओर से कार्रवाई होनी है। इस अभियान के खिलाफ विभिन्न विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ ही सामाजिक संगठनों की ओर से धरने और प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आज बड़ी संख्या मे प्रभावित बस्तियों की महिलाओं ने भारतीय जनता पार्टी के महानगर कार्यालय पहुंचकर विधायकों के नाम ज्ञापन देकर बस्तियों को बचाने की गुहार लगाई। साथ ही मांग की कि भाजपा अपने वायदे के अनुरूप बस्तियों के लिऐ नियमतीकरण के लिऐ कानून लाये और वहां के लोगों को मालिकाना हक दे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर ज्ञापन देने वालों में किरन, सीमा, फरजाना, सुनीता, सरोज, पिंकू, प्रेमा, मिथिलेश, बबीता, पुष्पा, नूतन, नीलम, शारदा, प्रभा, कविता, सुनीता, पूनम, संध्या, नीलम, रेखा, ममता, बीना, हेमा, नूतन, ओमवती आदि महिलाएं शामिल थीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन विधायकों के नाम दिया ज्ञापन
मसूरी विधायक गणेश जोशी, रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ, धर्मपुर विधायक विनोद चमोली, राजपुर विधायक खजानदास, कैंट विधायक सविता कपूर।
ज्ञापन के बिंदु
-अपनी पार्टी एवं सरकार के वायदे के अनुरूप बस्तियों के नियमतीकरण की कार्रवाई के लिए कानून लाया जाए।
-गरीबों को उजाड़ना बंद हो।
-सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के अनुरूप पहले पुर्नवास हो फिर विस्थापन किया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कही गई ये बात
ज्ञापन में कहा गया कि हाल में देहरादून में नगर निगम, MDDA और अन्य प्रशासनिक विभाग अतिक्रमण हटाने के नाम पर ध्वस्तीकरण अभियान चला रहे हैं। इस अभियान में कानून के प्रावधानों और संविधान के मूल्यों का घोर उल्लंघन हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन बातों पर किया ध्यानाकर्षण
-राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के 13.05.2024 के आदेश के पैराग्राफ 20 के अनुसार नगर आयुक्त देहरादून ने प्राधिकरण के समक्ष बेदखली को कानून के अनुसार कराने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। इसमें बिना कोई कानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए लोगों को बेदखल किया जा रहा है। अनाधिकृत अधिकारी मनमानी तरीकों से तय कर रहे हैं कि किसको बेदखल करना है। प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं है और व्यक्तिगत सुनवाई और अपील करने का कोई मौका नहीं दिया जा रहा है।
-इस अभियान के दौरान कुछ लोग जो निश्चित रूप से 2016 से पहले रह रहे थे, उनकी संपत्तियों को भी नुक्सान पहुंचाया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
-बेदखली के लिए कानूनी प्रक्रिया है। जो उत्तर प्रदेश पब्लिक प्रेमिसेस (एविक्शन ऑफ़ अनअथॉराइज़्ड ऑक्यूपेशन) अधिनियम में अंकित है। इस कानून को ताक पर रखा गया है।
(4)इसके अतिरिक्त, प्राधिकरण का आदेश केवल मामले से सम्बन्धित पक्षकारों पर ही लागू होता है। वहीं, ऐसे लोगों को मनमाने तरीके से उजाडा जा रहा है, जो इस मामले में पक्षकार नहीं हैं। उन्हें अपना पक्ष रखने का प्राधिकरण में कोई मौका ही नहीं दिया गया है। बिना क़ानूनी प्रक्रिया को अपनाये किसी की सम्पति को नुक़सान पहुँचाना क़ानूनी अपराध है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
-प्रभावित लोगों में से कई परिवार अनुसूचित जाति के हैं। उनको गैर क़ानूनी तरीकों से बेदखल करना SC / ST (Prevention of Atrocities) Act के अंतर्गत भी अपराध है। हमारे संविधान के अनुसार आश्रय का अधिकार मौलिक अधिकार है। उच्चतम न्यायलय के अनेक फैसलों में इस सिद्धांत को दोहराया गया है (Olga Tellis & Ors v. Bombay Municipal Corporation, 1986 AIR 180, 1985 SCR Supl. (2) 51 (1985), Shantistar Builders v. Narayan Khimalal Totame, AIR 1990 SC 630 (1990), इत्यादि में इसका जिक्र है। इसलिए बिना पुनर्वास की व्यवस्था कर मज़दूर परिवारों को बेघर करना संविधान के मूल्यों के विरुद्ध है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
-देहरादून की नदियों एवं नालियों में होटल, रिसोर्ट, रेस्टोरेंट और अनेक अन्य निजी संस्थानों के साथ ही कई सरकारी विभागों के भी अतिक्रमण हुए हैं। हरित प्राधिकरण के आदेश में कोई जिक्र नहीं है कि कार्रवाई सिर्फ मजदूर बस्तियों के खिलाफ करनी है। किसी भी अन्य प्रभावशाली अतिक्रमणकारियों को नोटिस तक नहीं गया है। इसलिए यह अभियान न केवल गैर क़ानूनी है, बल्कि भेदभावपूर्ण भी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
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करनपुर खास (आर्य नगर बस्ती), कांवली, गांधी ग्राम के जो नोटिस वर्तमान में दिये गये है, वे नोटिस कानून के विपरीत हैं। इस सरकार से पूर्व अन्य सरकारों ने भूमिहीन कब्जेदारों को कानूनी प्रावधान के विपरीत जाकर कानून में संशोधन कर वर्ष 1970, 1977, 1995, 2002में मालिकाना अधिकार प्रदान किए हैं।
-इस गैर क़ानूनी ध्वस्तीकरण अभियान पर तुरंत रोक लगायी जाय। कोई भी बेदखली की प्रक्रिया कानून के अनुसार हो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
-तमाम गरीब व भूमिहीन लोगों की पुनर्वास की व्यवस्था करने के बाद ही यदि आवश्यक हो तो सम्बन्धित स्थान से विस्थापित किया जाये। देश की आजादी के बाद हर देशवासी को आवास, शिक्षा व रोजगार पाने का हक है। जनता द्वारा चुनी हुई सरकार का काम अपने दायित्वों का निर्वहन कर इसे पूरा करने का है।
-जिन परिवारों के घरों को बिना कोई क़ानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए तोड़े गए हैं, उनको मुआवज़ा उपलब्ध कराया जाये और ज़िम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही की जाये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
-हाल के वर्षो में ग्राम पंचायत स नगरनिगम मे जुड़े क्षेत्र से जुड़ै लोंगों कै नोटिस निरस्त हों।
– सभी बस्तियों में उपजिलाधिकारी सदर कि ओर से बेदखली कै नोटिस निरस्त हों।
की गई ये मांग
ध्वस्तीकरण कि प्रक्रिया रोकने के लिए संवैधानिक दायित्वों का पालन किया जाए। सभी बस्तियों कै नियमतीकरण के लिए कानून लाया जाए। सरकार की हरेक जनपक्षीय योजना में पुर्नवास एवं समुचित योजना का प्रावधान हो।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।