देहरादून में 504 घरों में बुलडोजर अभियान, पूर्व विधायक के नेतृत्व में डीएम कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 504 मकानों को अवैध घोषित करने के बाद इन मकानों को तोड़ने के लिए बुलडोजर अभियान बीती 27 मई से शुरू कर दिया गया है। विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों की ओर से इस अभियान का कड़ा विरोध किया जा रहा है। इस कड़ी में आज गुरुवार 30 मई को देहरादून स्थित राजपुर विधानसभा से पूर्व कांग्रेस विधायक राजकुमार के नेतृत्व में मलिन बस्ती में बने मकानों को तोड़ने के नोटिस निरस्त करने की मांग को लेकर देहरादून के जिलाधिकारी कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर प्रशासनिक अधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन प्रेषित किया। साथ ही कहा गया कि यदि जल्द कोई निर्णय नहीं लिया जाता तो व्यापक स्तर पर आंदोलन किया जायेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है प्रकरण
गौरतलब है कि देहरादून में रिस्पना नदी किनारे रिवर फ्रंट योजना की तैयारी है। ये भवन नगर निगम की जमीन के साथ ही मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की जमीन पर हैं। देहरादून में रिस्पना नदी के किनारे वर्ष 2016 के बाद 27 मलिन बस्तियों में बने 504 मकानों को नगर निगम, एसडीडीए और मसूरी नगर पालिका ने नोटिस जारी किए थे। इसके बाद सोमवार 27 मई को मकानों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की गई। 504 नोटिस में से मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने 403, देहरादून नगर निगम ने 89 और मसूरी नगर पालिक ने 14 नोटिस भेजे थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नगर निगम की सीमा में बने मकानों में 15 लोगों ने ही अपने साल 2016 से पहले के निवास के साक्ष्य दिए हैं। 74 लोग कोई साक्ष्य नहीं दिखा पाए हैं। उन सभी 74 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। अधिकांश लोगों ने नोटिस के बाद अपने अतिक्रमण खुद ही हटा लिए थे। जिन्होंने नहीं हटाए थे, उनको अभियान के तहत अब हटाया जा रहा है। इस अभियान से पहले से ही विभिन्न राजनीतिक दल और संगठन की ओर से देहरादून में धरने और प्रदर्शन किए जा रहे थे। 27 मई से आरंभ हो चुकी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के साथ ही प्रदर्शनों का सिलसिला भी तेज हो गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बस्ती के लोगों के साथ किया प्रदर्शन
पूर्व विधायक राजकुमार के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मलिन बस्ती के लोगों के साथ जोरदार प्रदर्शन किया। इस मौके पर नगर निगम से जिलाधिकारी कार्यालय तक जुलूस निकाला गया। जहां उन्होंने प्रदर्शन करते हुए प्रशासनिक अधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन प्रेषित किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ज्ञापन में कहा गया कि दून में मलिन बस्तियों में अतिक्रमण के नाम से नगर निगम ने कई बस्तीवासियों को नोटिस दिए हैं। मलिन बस्ती में जो लोग तीस से चालीस वर्षों से अपने छोटे बड़े भवन बनाकर रह रहे हैं, उनको नोटिस के माध्यम से कहा गया है कि आज की तिथि तक अपने भवन को खाली कर दें। अन्यथा उनके भवनों को तोड़ दिया जायेगा। उसमें होने वाले व्यय को भी मलिन बस्तीवासियों से ही वसूल किया जायेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सभी बस्तीवासियों के पास पानी, बिजली के बिल भी है। सभी के पास वर्ष 2016 से पहले से घर बनाकर उसमें रहने के प्रमाण भी हैं। ऐसे प्रमाण को देखे बिना नगर निगम कार्रवाई को तैयार है। इन सभी बस्तीवासियों को हटाया जाना पूर्ण रूप से चिंताजनक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तर्क दिया गया कि इन सभी बस्तियो में सांसद, विधायक, पार्षद, नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, विद्युत विभाग, जल संस्थान, जल निगम, सिंचाई विभाग, एमडीडीए ने अनेक विकास कार्य किये हैं। भवनों पर हाउस टैक्स नगर निगम की ओर से लगाया गया है। सभी बस्तियों में करोडों रूपये के निर्माण के कार्य हो रखे हैं। इसलिए सभी नोटिसों को निरस्त किये जाने की आवश्यकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि सभी बस्तियों को 2016 की नीति के अनुसार मालिकाना हक दिया जाए। उसके अनुरूप ही राज्य सरकार को कार्ययोजना तैयार करनी चाहिए। साथ ही पूर्व में तैयार की गई नीति को लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि जल्द ही कार्यवाही न की गई तो व्यापक स्तर पर आंदोलन किया जायेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदर्शनकारियों में देहरादून महानगर कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष लालचन्द शर्मा, प्रदेश महामंत्री गोदावरी थापली, निवर्तमान पार्षद निखिल कुमार, सोमप्रकाश वाल्मीकि, अर्जुन सोनकर, उर्मिला थापा, मालती सिंह, प्रकाश नेगी, दीप चैहान, जहांगीर खान, कुलदीप कोहली, दीप वोहरा, दीपा चैहान, इमराना प्रवीन, आशू रतूडी सहित अनेक बस्तीवासी शामिल रहे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
सर अतिक्रमण पर यह देखना सुनिशिचित किया जाना चाहिए कि वह उत्तराखण्ड का निवास करने वाला है या नहीं क्योंकि देहरादून मे बाहर से आते लोगों ने सरकारी जमीन कब्जा कर घर बना लिए हैं। उनको राजनितिज्ञो की सह प्राप्त है। जिसे यहां के लोगों को मुसीबत बनी हुई है। पहाड के लोगों का रोजगार भी छीन लिया है। सही निर्णय लिया जाना अति आवश्यक है।