देहरादून में बुलडोजर अभियान, महिलाओं का डीएम कार्यलय पर प्रदर्शन, सरकार से पूछा- बेघर किया तो बताओ रहें कहां
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 504 घरों पर बुलडोजर अभियान के खिलाफ एक माह से विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के प्रदर्शन जारी हैं। आज मंगलवार 11 जून को प्रभावित महिलाओं की भीड़ ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन किया। इस मौके पर सरकार से पूछा कि यदि उन्हें बेघर करना है तो ये भी बता दें कि वे कहां रहेंगे। जिला मुख्यालय में घेराव के दौरान जिला प्रशासन की ओर से उपजिलाधिकारी शालिनी नेगी प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंची। उन्हें ही ज्ञापन सौंपा गया। साथ ही जिलाधिकारी से वार्ता का समय मांगा। जिलाधिकारी ने बातचीत के लिए कल यानि कि 12 जून को संगठनों के प्रतिनिधिमंडल को आमंत्रित किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जिलाधिकारी कार्यालय पहुंची प्रभावित महिलाएं
आज सैकड़ों महिलाओं के साथ राज्य के विभिन्न ट्रेड यूनियनों, जन संगठनों एवं एवं विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी देहरादून के कार्यालय पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन किया। इस मौके पर देहरादून में हो रहे ध्वस्तीकरण एवं बेघर करने का अभियान का जमकर विरोध किया गया। इस अवसर पर सरकार की गरीब विरोधी नीति के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। साथ ही चेतावनी दी है कि बस्तिवासियों को तंग करने तथा उजाड़ने का क्रम नहीं रूका तो व्यापक आन्दोलन छेड़ा जायेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस भी स्पष्ट करे स्थिति
इस अवसर पर वक्ताओं ने भाजपा के रवैये की जमकर आलोचना की। आरोप लगाए गए कि भाजपा गरीबों मेहनतकश वर्ग का इस्लेमाल वोट के लिए करती है। वहीं, काम अमीरों के लिये करती है। वक्ताओं ने कांग्रेस से भी बस्तियों पर हो रही कार्रवाई के संदर्भ में स्थिति स्पष्ट करने को कहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्या होगा बच्चों का भविष्य
इस अवसर पर प्रभावित महिलाओं ने कहा कि वे एक महीने से बुलडोजर के आतंक में जीवन व्यतीत कर रहीं हैं। हारित प्राधिकरण के आदेश के बारे में गलत धारणा फैला कर अनधिकृत अधिकारी किसी भी क़ानूनी प्रक्रिया को नहीं अपना रहे हैं। घरों को तोड़ने की प्रक्रिया में सारा सरकार अमला जुटा है। उनके परिवारों और उनके बच्चों की भविष्य क्या होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
महिलाओं ने कहा कि किसी भी मज़दूर परिवार को न कोई कोठी मिलने वाली है और न ही कोई फ्लैट। अगर सरकार पुनर्वास या नियमितीकरण करने के बजाय ऐसी नीति अपनाएगी, तो मज़दूरों को क्या होगा? प्रभावित महिलाओं के साथ प्रदर्शन में पहुंचे सीटू, चेतना आंदोलन, सीपीआई एम, समाजवादी पार्टी, आयूपी उत्तराखंड, आन्दोलनकारी परिषद, अम्बेडकर युवा समिति, किसान सभा, एसएफआई, सर्वोदय मंडल और अन्य विपक्षी दलों एवं संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस अभियान को गैर क़ानूनी ठहराया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वायदा पूरा करे सरकार
उन्होंने कहा कि सरकार को अपने ही वादों के अनुसार अध्यादेश लाना चाहिए कि किसी को बेघर नहीं किया जायेगा। उन्होंने यह भी मांग उठाई कि जिलाधिकारी तुरंत इस अभियान पर रोक लगाए और वार्ता के लिए समय दे। कार्यक्रम का संचालन चेतना आन्दोलन के शंकर गोपाल और सीआईटीयू के प्रदेश सचिव लेखराज ने संयुक्त रूप से किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये रहे मुख्य वक्ता
इस अवसर पर सपा के राष्ट्रीय सचिव डॉ. एसएन सचान, महिला समिति से इन्दु नौडियाल, सीपीएम से राजेन्द्र पुरोहित, अनन्त आकाश, किसान सभा से कमरूद्दीन, पूर्व बार कौंसिल अध्यक्ष एवं एडवोकेट रजिया बेग, आरयूपी से नवनीत गुंसाई, बीना, सुनीता, प्रेमा, नरेन्द्र कुमार, रघुबीर, किरन, सरोज, कमलेश, रजनी, हिमांशु चौहान, एसएफआई से नितिन मलेठा, रामू, संजय, राजेन्द्र, रमन, रविंद्र नौडियाल, शैलेन्द्र, हरीश, ओमवती, प्रेमा, प्रभा, ज्योति, नूतन, ओमबीर सिंह आदि ने विचार व्यक्त किये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है प्रकरण
गौरतलब है कि देहरादून में रिस्पना नदी किनारे रिवर फ्रंट योजना की तैयारी है। ये भवन नगर निगम की जमीन के साथ ही मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की जमीन पर हैं। देहरादून में रिस्पना नदी के किनारे वर्ष 2016 के बाद 27 मलिन बस्तियों में बने 504 मकानों को नगर निगम, एमडीडीए और मसूरी नगर पालिका ने नोटिस जारी किए थे। इसके बाद नगर निगम ने सोमवार 27 मई से मकानों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की गई। 504 नोटिस में से मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने 403, देहरादून नगर निगम ने 89 और मसूरी नगर पालिक ने 14 नोटिस भेजे थे। अब बड़े पैमाने पर एमडीडीए की ओर से कार्रवाई होनी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नगर निगम की सीमा में बने मकानों में 15 लोगों ने ही अपने साल 2016 से पहले के निवास के साक्ष्य दिए हैं। 74 लोग कोई साक्ष्य नहीं दिखा पाए हैं। उन सभी 74 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। अधिकांश लोगों ने नोटिस के बाद अपने अतिक्रमण खुद ही हटा लिए थे। जिन्होंने नहीं हटाए थे, उनको अभियान के तहत हटाया जा रहा है। इस अभियान के खिलाफ विभिन्न विभिन्न विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ ही सामाजिक संगठनों की ओर से धरने और प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।