कानून तोड़ा तो पुलिस ने काटा चालान, शिकायत की अर्जी लेकर देवता की शरण में गया युवक

कानून और नियम तो सबके लिए बराबर हैं। चाहे वे मजबूरी में तोड़े गए हों, या फिर जानबूझकर। सजा तो मिलनी ही चाहिए। अन्यथा सभी नियम तोड़ते रहेंगे और मजबूरी बताते रहेंगे। अब एक युवक ने नियम तोड़ा। चालान हुआ। इसके बाद वह देवता की शरण में चला गया। ऐसा चर्चा में आने के लिए किया या फिर इतना दुखी हुआ। देवता के मंदिर में जाने वाले को तो यही कहना चाहिए कि वह जो गलती कर चुका है, फिर से नहीं दोहराएगा। यहां तो युवक ने पुलिस की ही शिकायत कर डाली। साथ ही अपनी मजबूरी बताई। उसे आप उचित ठहरा सकते हैं, लेकिन कानून की दृष्टि में नियम तोड़ना कभी सही नहीं होगा। हालांकि युवक ने बताया कि पुलिस ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया। दुर्व्यवहार किया गया तो गलती पुलिस की भी है। ऐसे में उसे न्याय नहीं मिला तो वह देवता की शरण में गया।
बात हो रही है उत्तराखंड में कुमाऊं की। यहां न्याय के देवता के रूप में प्रसिद्ध गोलू देवता पर आज भी स्थानीय लोगों का विश्वास कम नहीं हुआ है। जब लोगों को कोर्ट-कचहरी से न्याय नहीं मिलता तो वे आज भी गोलू देवता से न्याया मांगते हैं और चिट्ठी में अपनी समस्या को लिखकर कर टांग आते हैं। ऐसा ही एक मामला बीते दिन अल्मोड़ा में देखने को मिला। जहां चितई निवासी एक युवक ने न्याय की गुहार लगाते हुये गोलू मंदिर में चिट्ठी टांग दी। इस युवक ने अल्मोड़ा पुलिस के खिलाफ नाराजगी प्रकट करते हुये गोलू देवता को पत्र लिखा है और न्याय की मांग की है। युवक का नाम दीपक सिराड़ी है। उसने गोलू मंदिर में दिये शिकायती पत्र की कॉपी सोशल मीडिया पर भी शेयर की है।
युवक ने पत्र में लिखा है कि 25 मई की सुबह से ही उसकी तबीयत खराब थी। उसने अपने पड़ोस के एक साथी से बाइक मांगी और अल्मोड़ा चिकित्सालय में खुद को दिखाने चला गया। कुछ देर बाद उसके घर से फोन आया कि पड़ोस में एक बुजुर्ग महिला का स्वास्थ्य अचानक खराब हो गया है, लिहाजा उसे दवा लेकर तत्काल घर वापस आना होगा। इसके बाद वह जल्दी में बाइक लेकर घर की ओर निकल गया। इस आपाधापी में उससे हेलमेट ना पहनने की भूल हो गई।
उसने आरोप लगाया कि इसी बीच होटल शिखर के पास उसे पुलिस कर्मियों ने रोक लिया और बुरी तरह जलील किया। उसे ऐसे घसीटा गया जैसे वह कोई बड़ा अपराधी हो। दीपक ने आरोप लगाया कि उसने पुलिसकर्मियों के आगे हाथ जोड़ते हुए बार बार गुहार लगाई कि उसे छोड़ दें। पुलिस ने एक न सुनी और बाइक सीज कर दी गई। साथ में कई धाराएं भी लगा दी गईं। वह खुद देखकर हैरान रह गया।
कई धाराएं भी लगा दी गईं
आरोप लगाया कि इनमे से कई धाराएं ऐसी थी जो कि बिलकुल बेबुनियाद थीं। उसने इन धाराओं का उल्लंघन भी नहीं किया था। पुलिस प्रशासन ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए उसका 16,500 रूपये का चालान काट दिया। युवक ने गोलू देवता को लिखे पत्र में कहा है कि वह जुर्माने की राशि नहीं चुका सकता। वह एक ढाबे में बर्तन साफ कर महीना 2500 रुपये ही कमा पाता है।
उसका यह रोजगार भी कोरोना कर्फ्यू के चलते बंद है। उसने पत्र में कहा है प्रभु रोते हुये लिख रहा हूं जैसे मुझे रूलाया गया है वैसे ही इन पुलिस वालों को भी सजा मिलनी चाहिए। पड़ोसी की बाइक थी प्रभु कैसे लौटाऊं। मेरी और मेरी मां दोनों तनाव में हैं। सोशल मीडिया में युवक की ओर से गोलू देवता को लिखा गया यह पत्र वायरल हो रहा है।
इधर अल्मोड़ा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पंकज कुमार भट्ट ने बताया कि यह घटना उनके संज्ञान में आई है और युवक कई तरह के आरोप लगा रहा है। इसकी जांच के लिये उन्होनें सीओ को निर्देशित कर दिया है। पुलिस के मुताबिक युवक के पास बाइक के कागज भी नहीं थे। यदि युवक 24 घंटे के भीतर अपने कागज आदि जमा कराता है तो चालान की राशि स्वतः ही कम हो जाएगी।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।