कोरोना में ब्लैक फंगस का हमला तेज, यूपी में तीन मौत, मरीज को बचाने में निकालनी पड़ती है आंख, उत्तराखंड में तीन केस
ब्लैक फंगस की चपेट में आने पर मरीज जान गवां रहे हैं। उत्तर प्रदेश में इस बीमारी से तीन लोगों की मौत हो गई। उत्तराखंड में भी तीन मामले सामने आए हैं।

कोरोना महामारी की दूसरी लहर की खतरनाक मार झेल रहे लोग अब एक नए हमले की भी चपेट में आने लगे हैं। ये बीमारी है ब्लैक फंगस। इसकी चपेट में आने पर मरीज जान गवां रहे हैं। उत्तर प्रदेश में इस बीमारी से तीन लोगों की मौत हो गई। साथ ही निजी अस्पतालों में भर्ती एक दर्जन से अधिक मरीजों की हालत गंभीर है। इस बीमारी के खतरनाक होने का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि इससे मरीज को बचाने में आंख निकालनी पड़ती है। उत्तराखंड में भी इसके तीन संदिग्ध मामले सामने आए हैं।
कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को अस्पताल से छुट्टी मिलने या फिर होम आइसोलेशन में ही उपचार के बाद ठीक होने पर भी राहत नहीं है। अब इनमें से बड़ी संख्या के लोगों पर ब्लैक फंगस नई आपदा बनकर टूट रहा है। एक तरफ उत्तर प्रदेश कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहा है। दूसरी ओर अब इसके साथ ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस ने कोरोना संक्रमितों के लिए खतरा पैदा कर दिया है। म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस सबसे ज्यादा उन पर घातक साबित हो रहा है जो कि कोरोना संक्रमित पाए जा चुके हैं और उन्हें डायबिटीज यानी मधुमेह है।
ब्लैक फंगस ऐसे लोगों के फेफड़ों, आंखों और दिमाग पर असर डाल रहा है और यह उनकी जान पर भारी पड़ रहा है। इसके प्रभाव से लोगों की आंखों में रोशनी भी खत्म हो रही है। यह शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। इससे शरीर के कई अंग बेहद प्रभावित हो सकते हैं। शुक्रवार को मेरठ में इसकी चपेट में आने के बाद एक ने और झांसी में दो लोगों ने दम तोड़ दिया। इन दिनों प्रदेश के निजी कोविड अस्पतालों में बड़ी संख्या में नए मरीज मिल रहे हैं, जिनमें से कई की हालत गंभीर बताई गई है।
उत्तराखंड में भी स्वास्थ्य विभाग की बढ़ी चिंता
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच अब ब्लैक फंगस ने स्वास्थ्य विभाग के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है। दून स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती एक मरीज में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है, जबकि एक अन्य मरीज में भी इसके लक्षण मिले हैं, जिसकी रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। अस्पताल में अब तक ब्लैक फंगस के तीन मामले आ चुके हैं।
मैक्स अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राहुल प्रसाद ने बताया कि उनके यहां भर्ती 60 वर्षीय एक मरीज में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है। दो अन्य मरीज पहले अस्पताल से इलाज करा चुके हैं। इन्हें जनवरी व फरवरी में अस्पताल में भर्ती किया गया था। उन्होंने बताया कि तीनों ही कोरोना से उबर चुके लोग हैं। डॉ. प्रसाद का कहना है कि म्यूकर माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस कोई नया संक्रमण नहीं है। यह बीमारी कैंसर, एड्स सहित और कई रोगों के साथ भी देखी जाती है। ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि राज्य में ब्लैक फंगस का कोई मामला पहली बार आया है।
क्या है ब्लैक फंगस
म्यूकोरमाइकोसिस को काला कवक के नाम से भी पहचाना जाता है। संक्रमण नाक से शुरू होता है और आंखों से लेकर दिमाग तक फैल जाता है। इस बीमारी में में कुछ गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए उनकी आंखें निकालनी पड़ती है। इस फंगस को गले में ही शरीर की एक बड़ी धमनी कैरोटिड आर्टरी मिल जाती है। आर्टरी का एक हिस्सा आंख में रक्त पहुंचाता है। फंगस रक्त में मिलकर आंख तक पहुंचता है। इसी कारण ब्लैक फंगस या ब्लड फंगस से संक्रमित मरीजों की आंख निकालने के मामले सामने आ रहे हैं। अब हर दिन बढ़ रहे हैं मामले गंभीर मामलों में मस्तिष्क भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो सकता है।
शहरों की स्थिति
मुंबई में बीएमसी के बड़े अस्पताल ‘सायन’ में डेढ़ महीने में ब्लैक फंगस के 30 मरीज मिले हैं। इनमें 6 की मौत हुई है और 11 मरीजों की एक आंख निकालनी पड़ी। गुजरात में भी ऐसे 50 से 60 मरीज सूरत और अहमदाबाद जैसे शहरों में मिल चुके हैं।





