12वीं में पास हुए बीजेपी के पप्पू, पूर्व विधायक ने कहा-गरीब बने उनकी प्रेरणा, वकालत पढ़कर मुफ्त लड़ूंगा गरीबों के केस
कहते हैं कि पढ़ाई के लिए कोई उम्र नहीं होती। मन में पढ़ने की चाहत हो तो व्यक्ति किसी भी उम्र में पढ़ाई कर सकता है। ऐसा ही पूर्व विधायक पप्पू भरतौल के साथ हुआ। यूपी के बरेली से बीजेपी के पूर्व विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल ने इस बार इंटरमीडिएट की परीक्षा दी थी। इसमें वह सेकेंड डिवीजन से पास हो गए। हालांकि, उनके कुछ विषयों में नंबर मामूली हैं, लेकिन वह खुश हैं। उन्होंने कहा कि वह कापी रिचेकिंग के लिए अप्लाई करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पप्पू ने इस साल यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट की परीक्षा दी थी। आज रिजल्ट निकला तो उनकी मेहनत सफल हो गई। उनका कहना है कि बच्ची सीता और गरीब लोग उनकी प्रेरणा बने। उनकी वजह से उन्होंने इंटरमीडिएट किया और अब वे एलएलबी करके मुफ्त में गरीब लोगों का केस लड़ेंगे। पप्पू भरतौल का कहना है कि योगीराज में यूपी बोर्ड की परीक्षा पूरी तरीके से नकल विहीन हुई है। उन्होंने बताया कि मैंने आरएन टैगोर इंटर कॉलेज में इंटरमीडिएट की परीक्षा दी थी, जिसमें मेरी क्लास में 5 से 6 टीचर ड्यूटी पर तैनात रहते थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पप्पू भरतौल ने कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते दिन भर मुझे समय नहीं मिल पाता था, लेकिन रात में मैं गेस पेपर से पढ़ाई करता था, जिसके बाद आज मैं सेकंड डिवीजन पास हुआ हूं। पप्पू भरतौल के तीन विषयों में कम नंबर आए हैं, जिसके लिए वे दोबारा से अपनी कॉपी की जांच कराने की माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सचिव से मांग करेंगे। वहीं सोशलॉजी में उनकी डिस्टिंशन आई है। उनका कहना है कि जो बच्चे फेल हो गए हैं, उन्हें बिल्कुल भी निराश नहीं होना चाहिए। तैयारी करें हो सकता है अगले साल और अच्छे नंबरों से पास हो जाएं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पप्पू भरतौल ने बताया कि उनको सीता घड़े में शमशान भूमि में एक बच्ची मिली थी। उसके मां बाप वहां पर दफन हो गए थे। वो बच्ची बच गई और उसे पप्पू भरतौल ने अपना लिया और उसका नाम सीता रखा। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और वहां से बच्ची किसी और अभिभावक को सौंप दी गई। इसके बाद उन्होंने एलएलबी करने की ठानी, ताकि वे गरीबों का केस मुफ्त में लड़कर उनकी मदद कर सकें। इस वजह से उन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा दी और आज उसमें सेकेंड डिवीजन पास हुए।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।