भाजपा कार्यसमिति की बैठक, गंगोत्री से चुनाव लड़ सकते हैं सीएम तीरथ, सात सीटों पर तलाशी संभावनाएं
उत्तराखंड में भाजपा कार्यसमिति की बैठक में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के चुनाव लड़ने के लिए सात विधानसभा सीटों पर संभावनाएं तलाशी गई। संकेत मिले कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत विधानसभा की रिक्त चल रही गंगोत्री सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। सरकार और संगठन के मध्य शुक्रवार को देर शाम हुई इस बैठक में गंगोत्री पर विशेष फोकस रहा। मुख्यमंत्री की सीट के लिए केंद्रीय नेतृत्व से विमर्श के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। बैठक में यह भी तय किया गया कि 19 जून को पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक होगी। इसके अलावा आगामी विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत चिंतन शिविर का आयोजन, कोरोना वारियर का सम्मान समेत अन्य कार्यक्रम भी निर्धारित किए गए।
प्रदेश सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के बाद गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने 10 मार्च को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। संवैधानिक बाध्यता के अनुसार उन्हें छह माह के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना है। इसे देखते हुए सियासी गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि मुख्यमंत्री किस सीट से चुनाव लड़ेंगे। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की मौजूदगी में हुई सरकार और संगठन के मध्य समन्वय बैठक में भी तीरथ के लिए गंगोत्री के अलावा विधानसभा की चौबट्टाखाल, धर्मपुर, यमकेश्वर, बदरीनाथ, लैंसडौन, कोटद्वार व भीमताल सीटों पर चर्चा हुई।
सूत्रों ने बताया कि गंगोत्री सीट को लेकर विशेष रूप से चर्चा की गई। तय किया गया कि केंद्रीय नेतृत्व से बातचीत के बाद ही मुख्यमंत्री के लिए सीट का निर्धारण किया जाएगा।
बाद में पत्रकारों से बातचीत में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने बताया कि बैठक में पार्टी के आगामी कार्यक्रमों चिंतन शिविर, कार्यसमिति की बैठक, जिलों में कोरोना वारियर का सम्मान और कोरोना में सेवा कार्य के दौरान खुद या अपनों को खो चुके पार्टीजनों के घर जाकर ढांढस बंधाने के संबंध में चर्चा की गई।
कौशिक ने बताया कि प्रदेश कार्यसमिति की बैठक 19 जून को वर्चुअल माध्यम से होगी। चिंतन शिविर इस माह के आखिर अथवा अगले माह प्रथम सप्ताह में होगा। इसके लिए प्रदेश महामंत्री जल्द ही स्थल का निर्धारण करेंगे। फिलहाल चिंतन बैठक के लिए अल्मोड़ा जिला संभावित है, मगर यह किसी अन्य स्थान पर भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि कोरोना वारियर के सम्मान और कार्यकर्त्ताओं से संपर्क के लिए अभियान शुरू किया जा रहा है।
प्रदर्शन के बजाय अपने हाईकमान का पथ प्रदर्शक बनें कांग्रेसी
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कांग्रेस और विपक्षी दलों के पेट्रोल डीजल की कीमतो में वृद्धि पर धरना प्रदर्शन जान बूझकर हकीकत से आंख चुराने जैसा बताया। कौशिक ने कहा कि अंतराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत में तेजी का असर भारत के घरेलू बाजार पर स्पष्ट तौर पर पड़ा। यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि भारत अपनी जरुरत का 80 प्रतिशत तेल आयात करता है। इसका असर कुछ समय जरूर उपभोक्ताओ पर पड़ रहा है, लेकिन कांग्रेस इस पर शोर मचाने के बजाये उसके शासित प्रदेशो में वेट की दर घटाकर जनता को राहत देने का कहीं भी कोई उदाहरण सामने नहीं आया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासित महाराष्ट्र, राजस्थान और छत्तीसगढ और पंजाब जैसे राज्यों में तेल पर वेट अधिक है जो देश में सर्वाधिक है। राजस्थान में 38 प्रतिशत तेल पर वेट लगाया गया है तो महाराष्ट्र में 42 प्रतिशत तक वेट चार्ज किया जा रहा है। वहीं पंजाब में 36 प्रतिशत वेट तेल पर लगाया जा रहा है। दूसरी ओर भाजपा शासित कई प्रदेशो में सरकार ने वेट में कमी कर लोगो को राहत दी है। उदाहरण के तौर पर उत्तराखंड में पेट्रोल और डीजल पर वेट 27.15 है तो यूपी में यह 26.90 है। पेट्रोल पम्प में धरना प्रदर्शन करने वाले नेताओं की ओर से भी कभी ऐसा कोई प्रस्ताव हाई कमान को नही गया कि वेट घटाकर जनता को राहत दी जाए।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सेवा कार्यों के बजाय कांग्रेस इसे अवसर के तौर पर देख रही है। विपक्षी कांग्रेस पेट्रोल-डीजल की कीमतो को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रही है, लेकिन उसे जनता की समस्या को लेकर कोई लेना देना नहीं है। वह अपने शासित प्रदेशो में लोगों को वेट घटाकर राहत दे सकती है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस में देश भर में अन्तर्कलह और गुटबाजी को लेकर तमाम तरह की सुर्खिया हैं और कांग्रेस चुनाव को देखते हुए लोगों का ध्यान भटकाने और माहौल बनाने के लिए इस तरह के दुष्प्रचार कर रही है। जनता तो कांग्रेस की हकीकत को समझती ही है, लेकिन प्रदेश में उसके नेताओं को चाहिये कि वह अपने दल के नेताओं को भी मार्गदर्शन दे कि कैसे जनता को राहत दी जाए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
तीरथ जी का हारना तय है