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June 18, 2025

भाजपा विधायकों की लग रही दिल्ली दरबार तक दौड़, कोई कर रहा शिकायत तो कोई मांग रहा काम

इन दिनों भाजपा विधायकों को दिल्ली दरबार तक दौड़ लगना आम बात हो गई है। कोई काम मांग रहा है तो कोई शिकायत लेकर दिल्ली पहुंच रहा है।

इन दिनों भाजपा विधायकों को दिल्ली दरबार तक दौड़ लगना आम बात हो गई है। कोई काम मांग रहा है तो कोई शिकायत लेकर दिल्ली पहुंच रहा है। उत्तराखंड के लिए योजनाएं स्वीकृत कराने के लिए पर्यटन एवं सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज कई बार दिल्ली दरबार तक दौड़ लगा चुके हैं। वहीं, काम मांगने को लेकर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भी बार बार दिल्ली दौरा कर रहे हैं। कल ही उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। वहीं, शिकायत को लेकर रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ भी उत्तराखंड में बात बनते न देख दिल्ली दरबार का चक्कर काट आए हैं।
उमेश शर्मा काऊ भाजपा के ही लोगों से परेशान हैं। वह हरीश रावत के सीएम के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस के बगावत कर भाजपा में आए थे। वह पूर्व सीएम विजय बहुगुणा, वर्तमान में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और अन्य विधायकों की टोली के साथ ही भाजपा में शामिल हुए थे। इसके बाद विधायक का उन्हें टिकट मिला और वह चुनाव भी जीत गए। इन सभी विधायकों की अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ भी है।
चुनाव जीतने और विधायक बनने के बाद भी कांग्रेस कलचर के नेताओं को पार्टी कार्यकर्ता और संगठन अभी तक पचा नहीं पा रहे हैं। ऐसे विधायकों को संगठन में भी कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई। अभी तक उन्हें लेकर भीतरखाने विवाद होता था, अब कुछ कार्यकर्ता खुलकर सामने आ गए हैं। हाल ही में पीएम की मन की बात को लेकर काऊ के कार्यक्रम में शामिल होने की बजाय रायपुर विधानसभा के कार्यकर्ताओं ने अलग से कार्यक्रम आयोजित किया। इसके बाद बीती चार सितंबर को रायपुर डिग्री कॉलेज में नए भवन की आधारशिला रखने के कार्यक्रम था। सीएम के कार्यक्रम में पहुंचने से पहले रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ और एक भाजपा कार्यकर्ता के बीच जोरदार नोकझोंक हो गई थी। कार्यकर्ता ने विधायक को विधायक मानने से इनकार कर दिया। वहीं, काऊ ने भी उसे औकात दिखाने तक की बात कह दी।

सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि ये विवाद काऊ और कार्यकर्ताओं की बजाय कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत के बीच हुआ था। कारण ये था कि कुछ कार्यकर्ता काऊ के पोस्टर आदि कुछ समय से फाड़ रहे थे। कालेज के नए भवन की आधारशिला के कार्यक्रम से एक रात पहले काऊ को कैबिनेट मंत्री ने फोन कर कुछ कार्यकर्ताओं को कार्यक्रम में बुलाने के लिए लिए कहा तो काऊ ने इसलिए मना कर दिया, क्योंकि वे कार्यक्रम में गड़बड़ी कर सकते थे। इसके बावजूद कैबिनेट मंत्री ने उन्हें कार्यक्रम में बुला दिया। इस पर ये विवाद हुआ। काऊ का कहना है कि जो अपने ही विधायक का विरोध करते हैं, उनके खिलाफ संगठन को कार्रवाई करनी चाहिए।
इसके बाद काऊ दिल्ली दरबार चले गए थे। वहां उन्होंने रविवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष, उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम से मुलाकात की। सोमवार को उन्होंने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य एवं भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी से मुलाकात की।
देहरादून लौटकर भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ ने कहा कि उन्हें भाजपा केंद्रीय नेतृत्व से पूरी उम्मीद है। उन्होंने अपना दर्द उन्हें बता दिया है। बकौल, काऊ, राष्ट्रीय स्तर से कोई निर्णय नहीं होता है तो पार्टी से बाहर हमारा भी संगठन है। हम उसमें निर्णय लेंगे। काऊ के इस बयान ने सियासत में हलचल पैदा कर दी है। हालांकि काऊ ने इसे अपने परिवार का मामला बताया है। साथ ही अनिर्णय की स्थिति में उनके अलग संगठन को लेकर दिए गए बयान के सियासी मायने टटोले जा रहे हैं। उधर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने काऊ की नाराजगी से इनकार किया है।
मीडिया से बातचीत के दौरान पूछे जाने पर विधायक काऊ ने कहा कि दिल्ली जाकर अपने परिवार से मिलना गुनाह थोड़े ही है। उन्होंने कहा कि भाजपा हमारा परिवार है और परिवार के मुखिया से बात करना हमारा कर्तव्‍य भी है। काऊ ने कहा कि उन्होंने अपनी पांच साल की पीड़ा से केंद्रीय नेतृत्व को अवगत कराया है। पार्टी के जिन नेताओं से पांच मिनट मिलना भी मुश्किल होता है, उनके द्वारा एक-एक घंटे का समय देकर बात सुनी गई। साथ ही न्याय देने का भरोसा दिलाया गया। यह उनके परिवार का मामला है।
विधायक काऊ ने कहा कि अपनी पीड़ा के संबंध में वह प्रांतीय नेतृत्व के साथ सरकार को भी अवगत करा चुके हैं। अब राष्ट्रीय नेतृत्व को इस बारे में बताया है। अब निर्णय राष्ट्रीय नेतृत्व को लेना है। विधायक काऊ ने कहा कि वह अपने साथी मंत्री, विधायकों को भी दर्द बता चुके हैं। वे जो भी निर्णय लेंगे वह उनके साथ चलूंगा। उधर, कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी काऊ से समर्थन में खड़े दिखाई दिए। उन्होंने कहा था कि वे इस संबध में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा कि हम सब एक परिवार के हैं। ऐसे में बाहर और भीतर की बात ठीक नहीं।

त्रिवेंद्र सिंह रावत की बार बार दिल्ली दौड़
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की बार बार दिल्ली दरबार तक दौड़ जारी है। सीएम पद से हटाए जाने के बाद एक तरह से वे खाली बैठे हैं। हालांकि भले ही पार्टी ने उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी, लेकिन उन्होंने खुद को सक्रिय बनाए रखा। वह उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों का दौरा करते रहे। वहां पौधरोपण से लेकर अन्य कार्यक्रम आयोजित करते रहे। अब एक बार वे फिर से दिल्ली दरबार पहुंच गए हैं। मंगलवार को दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से त्रिवेंद्र ने मुलाकात की। इसकी फोटो भी उन्होंने सोशल मीडिया में डाली। इस मुलाकात के बाद इस तरह की चर्चाओं ने जोर पकड़ा है कि उन्हें जल्द कोई जिम्मेदारी दी जा सकती है। बताया जा रहा है कि त्रिवेंद्र जल्द केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी भेंट करेंगे।
पिछले महीने की शुरुआत में भी त्रिवेंद्र ने अचानक दिल्ली पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा व गृह मंत्री अमित शाह से भेंट की। उस समय भी इस तरह की चर्चा रही कि पार्टी उन्हें विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में प्रभारी की भूमिका सौंप सकती है। त्रिवेंद्र पहले भी उत्तर प्रदेश में चुनाव सहप्रभारी रह चुके हैं। इस बीच सोमवार को त्रिवेंद्र ने लखनऊ जाकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कुछ अन्य पार्टी नेताओं से भेंट की।

उधर, बीच- बीच में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी दिल्ली दरबार तक दौड़ लगाकर वापस लौट रहे हैं। यहां लौटकर वह ये जानकारी दे रहे हैं कि दिल्ली से वे क्या आश्वासन लेकर आए। हाल ही में वह खाद्य प्रसंस्करण एवं जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल से मुलाकात करके लौटे थे। गौरतलब है कि पिछले साढ़े चार साल में उत्तराखंड में भाजपा ने सीएम के रूप में तीन चेहरे दिए। हर बार जब भी सीएम के चयन की बात उठी तो सतपाल महाराज का नाम भी दावेदारों में लिया गया, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला। हो सकता है वे भी आगामी चुनाव और उसके बाद की परिस्थितियां भांप कर मेहनत कर रहे हों। क्योंकि वे भी जानते हैं कि दिल्ली दरबार के चक्कर काटने से ही कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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