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January 6, 2025

उत्तराखंड में बीजेपी विधायक और मंत्री भिड़े, मंत्री आवास के बाहर विधायक का धरना, कांग्रेस ने लपका मुद्दा

उत्तराखंड में सत्ताधारी दल के मंत्री और विधायक वन विभाग के एक मामले में आपस में भिड़ गए हैं। उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले के पुरोला विधायक दुर्गेश्वर लाल ने मंगलवार को अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना दिया। इस घटनाक्रम से राजनीतिक माहौल भी गरमा गया है। विधायक का कहना है कि उनके क्षेत्र के डीएफओ को तत्काल हटाया जाए। उन्होंने वन मंत्री सुबोध उनियाल के आवास के बाहर धरना भी दिया। उन्होंने मंत्री पर अभद्रता का आरोप भी लगाया। वहीं, इस मुद्दे को कांग्रेस ने लपक लिया है। साथ ही सरकार के खिलाफ जोरदार सियासी हमला बोला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बताया गया कि उत्तरकाशी जिले के दो अलग-अलग वन प्रभागों में तैनात डीएफओ दंपती को हटवाने की मांग को लेकर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और भाजपा के पुरोला विधायक दुर्गेश्वर लाल के बीच तीखी बहस हो गई थी। विवाद बढ़ने पर विधायक ने मंत्री के सामने ही उस कागज को फाड़ दिया, जिसमें वन मंत्री ने जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद अपने समर्थकों के साथ मंत्री आवास के बाहर धरने पर बैठ गए। घटना मंगलवार दो जनवरी की है। देर शाम विधायक मुख्यमंत्री से मिले और पूरे प्रकरण से अवगत कराया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डीएफओ दंपती के खिलाफ कार्रवाई की थी मांग
विधायक दुर्गेश्वर लाल का कहना है कि उत्तरकाशी जिले के तहत यमुना घाटी के गोविंद वन्यजीव विहार एवं राष्ट्रीय पार्क और अपर यमुना टौंस वन प्रभाग में डीएफओ दंपती कार्यरत हैं। विधायक दुर्गेश्वर लाल का आरोप है कि दोनों डीएफओ जानबूझकर उनके लोगों को परेशान कर रहे हैं। विकास के कार्यों पर जानबूझकर अड़ंगा लगा रहे हैं। टूर ऑपरेटरों को भी परेशान किया जा रहा है। उनके लोगों पर मुकदमा दर्ज कराए जा रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ज्ञापन देने के दौरान बिगड़ी बात
इसी बात की शिकायत लेकर पुरोला विधायक मंगलवार सुबह कुछ लोगों के साथ वन मंत्री सुबोध उनियाल के आवास पर पहुंचे। उन्होंने वन मंत्री को एक ज्ञापन सौंपा। वन मंत्री ने प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) अनूप मलिक को भी मौके पर बुला लिया। वन मंत्री ने विधायक के ज्ञापन पर ही प्रकरण की जांच के लिए सीसीएफ गढ़वाल को लिख कर हॉफ को सौंप दिया। यह देख विधायक ने मंत्री के सामने ही हॉफ के हाथों से आदेश का कागज छीनकर फाड़ दिया। इसके बाद सभी नारेबाजी करते हुए बाहर आ गए और मंत्री आवास के बाहर धरने पर बैठ गए। इस दौरान उन्होंने मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पुरोला विधायक ने लगाए ये आरोप
बीजेपी नेता एवं पुरोला विधायक दुर्गेश्वर लाल ने कहा कि दोनों डीएफओ ने जनता को परेशान कर रखा है। मैं शिकायत लेकर मंत्री के आवास पर पहुंचा था, लेकिन मंत्री की ओर से मेरे साथ अच्छा बर्ताव नहीं किया गया। मेरे साथ गाली गलौच तक की गई और धक्के देकर बाहर कर दिया गया। मैं अपने क्षेत्र की जनता को क्या जवाब दूंगा। मैंने मुख्यमंत्री से मिलकर पूरे प्रकरण से अवगत करा दिया है। उन्होंने सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मंत्री का पक्ष
वहीं, वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि मैंने किसी के साथ गाली गलौच या धक्कामुक्की नहीं की। विधायक सरासर झूठ बोल रहे हैं। वह मेरे पास डीएफओ हटाने की मांग को लेकर आए थे। भारतीय वन सेवा के अधिकारी को ऐसे ही सिर्फ शिकायत पर नहीं हटा सकते। उनकी बात सुनने के बाद मैंने हॉफ को बुलाया था। उन्हें जांच के लिए कागज भी सौंप दिया था। जिसमें प्रकरण की जांच के लिए सीसीएफ गढ़वाल के लिए लिखा था, लेकिन विधायक ने मेरे सामने ही हॉफ के हाथ से कागज छीनकर फाड़ दिया। ऐसा व्यवहार एक विधायक को शोभा नहीं देता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बीजेपी नेतृत्व ने दोनों पक्षों को दी ये हिदायत
अपनी ही सरकार के वन मंत्री सुबोध उनियाल के खिलाफ भाजपा विधायक दुर्गेश्वर लाल का धरना देना भाजपा प्रदेश नेतृत्व को पसंद नहीं आया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भाजपा विधायक और वन मंत्री को शालीनता से अपनी बात रखने की हिदायत दी है। उन्होंने दोनों नेताओं से फोन पर बातचीत में ताकीद किया कि उन्हें ऐसे किसी भी विवादित आचरण से बचना चाहिए, जो मीडिया की सुर्खी बनें और विपक्ष को बेजां सवाल उठाने का बहाना मिल जाए। प्रदेश अध्यक्ष ने विधायक को तलब कर लिया है। इस बीच मुख्यमंत्री धामी तक विवाद पहुंच गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने मीडिया को बताया कि मैंने दोनों से बात की है। दुर्गेश्वर लाल जनप्रतिनिधि हैं। जन समस्याओं और जनहित से जुड़े मुद्दों को उठाना उनकी जिम्मेदारी है। वह अपनी समस्याओं को मंत्री या अधिकारी के समक्ष उठा सकते हैं। लेकिन भाजपा एक अनुशासित पार्टी है। विधायक होने के नाते पार्टी विधायक की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है कि वह शालीनता के साथ अपनी बात रखें। अपनी सरकार के मंत्री के खिलाफ धरना देना और मीडिया में जाना उचित नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि यदि समस्या का कोई समाधान नहीं हो रहा है तो उसे पार्टी फोरम पर रखा जा सकता है। संगठन अनुशासन को तोड़ने की इजाजत किसी को नहीं दे सकता है, चाहे वह विधायक हों या मंत्री। दोनों नेताओं को हिदायत दे दी गई है कि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए। पार्टी विधायक को बुधवार को बुलाया है। उनका पक्ष सुना जाएगा और समाधान निकाला जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सीएम से मिलकर रो पड़े भाजपा विधायक
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पास जब पुरोला के भाजपा विधायक दुर्गेश्वर लाल मिलने पहुंचे तो वह बेहद भावुक हो गए। वह सीएम से लिपटकर फफक-फफक रो पड़े। सीएम उन्हें बड़ी मुश्किल से संभाला और ढाढस बंधाया। उन्होंने विधायक को आश्वस्त किया कि उनकी समस्या का समाधान किया जाएगा। सीएम ने कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल से भी फोन पर बात की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कांग्रेस ने लपका मुद्दा, बताया गंभीर प्रकरण
पुरोला से भाजपा विधायक दुर्गेश्वर लाल के द्वारा वन मंत्री के घर के बाहर धरना और वन मंत्री पर लगाए गए गंभीर आरोपो को उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने गंभीर प्रकरण बताया है। दसौनी ने कहा कि अभी चार दिन भी नहीं बीते हैं, जब भीमताल से भाजपा विधायक राम सिंह कैड़ा के साथ दूरभाष पर वार्ता करते हुए वन मंत्री उनियाल पर यह आरोप लगे कि उन्होंने उच्च न्यायालय के संबंध में बहुत ही आपत्तिजनक और अभद्र टिप्पणियां की थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दसौनी ने कहा कि यह वन मंत्री का सौभाग्य ही था कि न्यायालय ने उस प्रकरण का संज्ञान नहीं लिया, वरना मंत्री के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती थी। दसौनी ने यह भी कहा कि यदि उस प्रकरण में ही मंत्री पर कार्यवाही हो गई होती तो आज मंत्री के हौसले इतने बुलंद नहीं होते कि वह एक चुने हुए प्रति निधि का अपमान कर पाते। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दसौनी ने कहा कि वन मंत्री अपनी आदतों से बाज आते हुए दिखाई नहीं दे रहे। अब पुरोला से भाजपा विधायक दुर्गेश्वर लाल ने वन मंत्री पर मनमानी करने के और जाति सूचक शब्द कहने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनकी जांच होनी चाहिए। दसोनी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के मंत्री सत्ता के अहंकार में सनक गए हैं। फिर चाहे प्रेमचंद अग्रवाल हों या सुबोध उनियाल। प्रदेश के मुखिया अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों को काबू में रख पाने में असमर्थ साबित हो रहे हैं और आज उत्तराखंड अपने मंत्रियों के क्रियाकलापों और बयानों की वजह से शर्मसार हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कांग्रेस प्रवक्ता दसौनी ने कहा कि इससे पहले भी बेरोजगार युवाओं का एक प्रतिनिधिमंडल जब मंत्री उनियाल से मिलने के लिए गया तो त्रिवेंद्र सरकार में उनियाल बेरोजगार युवाओं से बहुत ही अभद्रता से पेश आए। इसका भी वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हुआ था। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों का आचरण अनुसरणीय और अनुकरणीय होना चाहिए ताकि युवा पीढ़ी उनसे प्रभावित होकर समाज को बेहतर बनाने में योगदान दे सके। वहीं, उत्तराखंड में भाजपा के मंत्री गुंडागर्दी और बढ़बोलेपन के लिए ज्यादा चर्चा में आ रहे हैं और विकासकारी और जनहित की योजनाओं के लिए कम। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि मुक्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप कर इस प्रकरण पर विराम लगाना चाहिए, ताकि उत्तराखंड की और किरकिरी ना हो। साथ ही प्रकरण की जांच होनी चाहिए। विधायक से अभद्रता के लिए वन मंत्री को सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगनी चाहिए। दसौनी ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि जब से सुबोध उनियाल से महत्वपूर्ण विभाग वापस ले लिए गए हैं, तब से वह अवसाद ग्रस्त हैं। उनका अपनी जुबान पर कोई काबू नहीं रह गया है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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