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November 22, 2024

बिहार में नीतीश को टक्कर देने के लिए बीजेपी को नए चेहरे की तलाश, लोकसभा में 35 सीटों का लक्ष्य, लोजपा के दोनों धड़ों को लाएंगे साथ

बिहार में नीतिश कुमार ने बीजेपी को झटका दिया तो अब बीजेपी भी नई रणनीति बनाने में जुट गई। नीतीश कुमार को टक्कर देने के लिए नए चेहरे की बीजेपी को तलाश है। साथ ही लोजपा के दोनों धड़ों को साथ लाने के भी प्रयास होंगे। यही नहीं, प्रदेश सरकार के खिलाफ अब बीजेपी धरने प्रदर्शन तेज करेगी। साथ ही लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 35 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। बिहार में सियासी उठक पटक के बाद भाजपा कोर कमेटी की मंगलवार शाम एक बैठक में इसी तरह की रणनीति पर चर्चा की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा के नेतृत्व में हुई बीजेपी कोर कमेटी की इस बैठक में राज्य में ‘पोल खोल नीतीश कुमार’ थीम पर कई रैलियां करने पर बात हुई। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा है कि बैठक में बिहार के सभी मुद्दों पर चर्चा हुई है। उन्होंने जदयू और राजद पर निशाना साधते हुए कहा कि यह जनता को धोखा देने वाला गठबंधन है। लालू राज को वापस करने वाला गठबंधन है। पिछले दरवाजे से लालू राज को वापस लाने का प्रयास है, जिसका हम विरोध करेंगे। पीएम मोदी के नेतृत्व में 2024 में 35 से ज्यादा लोकसभा सीटें प्रदेश में जीतेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बता दें कि नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ हुए गठबंधन से अपना नाता तोड़ लिया है। साथ ही राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर राज्य में दोबारा सरकार बना ली है। इस बीच, भाजपा बिहार में अलग-थलग पड़ती हुई नजर आ रही है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा का कोर ग्रुप लोजपा के दोनों धड़ों को एक साथ लाने पर विचार कर रहा है, ताकि पार्टी की ताकत बढ़ाई जा सके। बताया जा रहा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता अपर कास्ट वोटर्स पर फोकस करने और नीतीश कुमार को चुनौती देने वाला चेहरा खोजने के पक्ष में हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

राज्य के पिछले चुनावों में भाजपा-जदयू गठबंधन को जिन पिछड़ी जातियों का समर्थन मिला था, अब नीतीश कुमार के पाला बदलने से इन जातियों का समर्थन महागठबंधन की ओर शिफ्ट हो सकता है। तेजस्वी यादव की राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के साथ आने से गैर-यादव ओबीसी (अन्य पिछड़ी जाति), दलित, यादव और मुस्लिम वोटर्स मजबूती से महागठबंधन के साथ खड़े नजर आ सकते हैं।

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