उत्तराखंड विधानसभा में राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण का बिल पेश, मिलेगी सरकारी नौकरी
उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र का पहला दिन राज्य आंदोलनकारियों के लिए भी खुशी लेकर आया है। बुधवार को प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चिह्नित आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को राजकीय सेवा में आरक्षण देने के लिए विधेयक को पेश कर दिया। विधेयक में आंदोलन के दौरान घायलों और सात दिन अथवा इससे अधिक अवधि तक जेल में रहे आंदोलनकारियों को लोक सेवा आयोग की परिधि से बाहर समूह ग व घ के पदों सीधी भर्ती में आयु सीमा और चयन प्रक्रिया में एक साल की छूट दी जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों का आरक्षण विधेयक 11 अगस्त 2004 से लागू समझा जाएगा। यह अधिनियम राजकीय सेवाओं में सीधी भर्ती के पदों के संबंध में लागू होगा। इससे उन राज्य आंदोलनकारियों को लाभ होगा, जो आंदोलनकारी कोटे से सरकारी विभागों में नौकरी कर रहे हैं। साथ ही उन आंदोलनकारियों को भी राहत मिलेगी, जिनका आयोगों के माध्यम से चयन हो गया था, लेकिन आरक्षण संबंधी शासनादेश के निरस्त होने के बाद उन्हें नियुक्ति नहीं मिल पाई थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विधेयक में राज्य आंदोलनकारियों को उनकी शैक्षिक योग्यता के अनुसार नियुक्तियां देने का प्रावधान किया गया है। यदि ऐसे चिन्हित आंदोलनकारी की आयु 50 वर्ष से अधिक या शारीरिक व मानसिक रूप से अक्षम होने के कारण खुद नौकरी करने के लिए अनिच्छुक होंगे, तो उनके एक आश्रित को उत्तराखंड की राज्यधीन सेवाओं में नौकरी के लिए 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सात दिन से कम अवधि के लिए जेल जाने वाले आंदोलनकारियों को उत्तराखंड की सरकारी सेवाओं में नौकरी के लिए 10 प्रतिशत का क्षैतिज आरक्षण दिया जाएगा। विधेयक सरकार को अधिसूचना के माध्यम से अधिनियम के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए नियम बनाने का अधिकार होगा। अधिनियम के तहत बनाए जाने वाले प्रत्येक नियम को राज्य विधानमंडल के समक्ष रखा जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड राज्य गठन के लिए आंदोलन के दौरान शहीद हुए, जेल गए, अथवा घायल हुए आंदोलनकारी या ऐसे आंदोलनकारी जिनका चिह्नीकरण जिलाधिकारी ने दस्तावेजों के सत्यापन के बाद किया है। उन्हें चिह्नित आंदोलनकारी का प्रमाणपत्र दिया गया है। वहीं, चिह्नित आंदोलनकारी की पत्नी या पति, आश्रित पुत्र व अविवाहित अथवा विधवा पुत्री में से किसी एक को भी आंदोलनकारी के बदले आरक्षण का मौका मिल सकता है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।