जोशीमठ के वर्तमान घटनाक्रम पर भूपेन्द्र डोंगरियाल की गढ़वाली कविता, ऑडियो में भी सुनिए-उत्तराखण्ड कु रैबार

यो उजुड़दु जोशीमठ,
अर वो डुब्यूँ टिहरी बजार।
क्वी न देख्यां यनु विकास,
जो धरती हिलौ पोड़ी दरार।
आबाद शहर कु यनु विनाश,
जरा भलि कै जयाँ भितर-भ्यार।
सुणो उत्तराखण्ड कु रैबार।
सुणो उत्तराखण्ड कु रैबार।।
बल हम जब गुलाम छौ,
तब उत्तराखण्ड आबाद छौ।
अरे बजंपट ह्वैगी गौं का गौं,
बल फिर भी हम आज़ाद छौ।
अरे हम त डामू का डम्याँ छौं,
यख कैथा नी च हमसे प्यार।
सुणो उत्तराखण्ड कु रैबार।
सुणो उत्तराखण्ड कु रैबार।।
यख अफ़सरू कु राज च,
नेतों कु मुण्ड म ताज च।
अब न द्वी मुठ्ठी अनाज च।
हम थैं पलायन पर नाज च,
ल्यो द्याखो पूष-माघ म छुय्याँ,
अब उजड़ना लग्यां घरबार।
सुणो उत्तराखण्ड कु रैबार।
सुणो उत्तराखण्ड कु रैबार।।
अब क्वी नया गीत बणाला,
त क्वी भला भाषण द्याला।
यख अपणु विकास कु ख़ातिर,
फ़िर भोल सभ्या बिसरि जाला।
फिर उजड़ला द्यबतों का थान,
अर प्वाडली पितृ कुड़ी म दरार।
सुणो उत्तराखण्ड कु रैबार।
सुणो उत्तराखण्ड कु रैबार।।
ऑडियो में सुनिए कविता
कवि का परिचय
नाम- भूपेन्द्र डोंगरियाल
जन्म स्थान- ग्राम- बल्यूली, जनपद-अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड।
वर्तमान पता- आई0 टी0 आई0 कैम्पस, निरंजनपुर, देहरादून
भूपेन्द्र डोंगरियाल उत्तराखण्ड राज्य सरकार के सेवायोजन एवं प्रशिक्षण अनुभाग में अनुदेशक के पद पर कार्यरत हैं। वर्जिन साहित्यपीठ के सौजन्य से अभी तक उनकी पाँच ई बुक्स प्रकाशित हो चुकी हैं।
मोबाइल नम्बर-
8755078998
8218370117

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।