सरकार भी आपकी, सीएम भी अपने, फिर भी पड़ी ज्ञापन देने की नौबत, मास्क भी नदारद, पढ़िए खबर
उत्तराखंड में भाजपा की सरकार है। मुख्यमंत्री भी भाजपा के हैं, फिर भी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को अपनी मांग के लिए सीएम को ज्ञापन देने की नौबत आई। ज्ञापन देने तक तो बात ठीक है, लेकिन इस दौरान दोनों ही नेताओं ने कोरोना से नियमों को नजरअंदाज कर दिया। न मास्क और न शारीरिक दूरी।
मास्क न पहनने को लेकर उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत पहले काफी चर्चा पर रहे। फिर उन्हें कोरोना हुआ और उनके साथ ही कई भाजपा नेता भी कोराना संक्रमित हो गए। ऐसे में भाजपा के प्रदेश कार्यालय को भी सील किया गया। फिर स्थिति सामान्य हुई तो भाजपा के नेता भी अक्सर कार्यक्रमों में मास्क के बगैर या फिर नाक व मुंह से नीचे मास्क सरकाए हुए नजर आ जाते हैं। हर दिन पुलिस मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर चालान तो करती है, लेकिन शायद किसी पार्टी के नेता का मास्क को लेकर चालान हुआ आपने कभी नहीं सुना होगा। हां इतना जरूर है कि कांग्रेस, आप या दूसरे दलों का जब प्रदर्शन होता है तो पुलिस सोशल डिस्टेंसिंग पर मुकदमा जरूर कर देती है।
विकास प्राधिकरणों को समाप्त करने की मांग
उत्तराखंड भाजपा की ओर से जारी विज्ञप्ति में आज बताया गया कि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन देकर उनसे अनुरोध किया है कि राज्य में जिन नगरों में विकास प्राधिकरण कार्य कर रहे हैं, वहां प्राधिकरण समाप्त कर दिए जाएं। तर्क दिया कि ये प्राधिकरण अपनी स्थापना के उद्देश्यों को पूरा नहीं कर सके हैं। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस पर समुचित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया ।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने बताया कि पिछले दिनों उन्होंने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा किया और इन दौरों में भाजपा कार्यकर्ताओं व सामान्य जन की ओर से एक बड़ी शिकायत प्राधिकरणों के संबंध में की गई।
लोगों का कहना है कि राज्य में विभिन्न नगरों में जो विकास प्राधिकरण काम कर रहे हैं वे जनता की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। उनका इन स्थानों के विकास में भी कोई खास योगदान नहीं हैं।इ सके विपरीत इन प्राधिकरणों की ओर से जनता को परेशान किया जा रहा है और कार्यों में सरलता के स्थान पर उन्हें और अधिक विषम बनाया जा रहा है।
कई स्थानों पर भ्रष्टाचार की शिकायतें भी सामने आई।
भगत ने बताया कि इन सब बातों पर विचार के उपरांत यह अनुभव किया कि इन प्राधिकरणों के बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए उन्होंने जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात एक ज्ञापन सौंपा। इसमें प्राधिकरणों को समाप्त करने और उनके स्थान पर जनहित में जन कल्याणकारी व्यवस्था को स्थापित करने का अनुरोध किया है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि मुख्यमंत्री ने विषय की गंभीरता को समझते हुए इस संबंध में समुचित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है ।
भगत ने कहा कि प्राधिकरण गठन का मुख्य उद्देश्य नियोजित विकास करना था और नियमों को सही रूप में लागू करना था। जिससे जनता को सुविधा मिल सके और प्राधिकरण के क्षेत्र में समेकित विकास हो सके। विगत दशकों में यह प्राधिकरण इन उद्देश्यों को पूरा नहीं कर सके हैं। इनकी कार्यप्रणाली भी इस प्रकार की है, जिसमें जनता को कोई सुविधा नहीं मिलती। अपितु लोग प्राधिकरणों के चक्कर काटते रहते हैं। उन्हें विश्वास है कि मुख्यमंत्री जी इस बारे में उचित कार्यवाही करेंगे और प्रदेश की जनता को राहत प्रदान करेंगे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।