युवा कवयित्री शिवानी एमआर जोशी की गुजरात से आई खूबसूरत कविता-एक छोटा सा शब्द
एक छोटा सा शब्द जिसमे मेरी जान बसती है,
रोते हुए भी मेने मुकुराया हे जब मेरी माँ हंसती है ,
नो महीने वह हमें अपने कोख में रखती है,
अपनी जान से भी ज्यादा वो हमारा ख्याल रखती है ,
लोग कहते हैं प्यार अंधा होता है मानती हूं मैं क्योंकि
हमें बिना देखे भी वह अपने बच्चे से प्यार करती है,
दर्द सहे कर भी वह हमें इस खुबसुरत दुनिया में लाती है,
अपना पूरा प्यार ओर जिंदगी हम पर वो लुटाती है,
अपनी जान पर खेलकर भी वो हमें ये दुनियां दिखाती है,
हर पल हमेशा वो हमे अपने सीने से लगाए रखती है,
अपने शरीर के अंश से वो हमारी भूख मिटाती है,
हमारे अंदर संस्कारों का चिंतन कर वह हमें दुनिया में अच्छा बनाती है,
हमारा पालन-पोषण वह करके हमें बड़ा करती है,
अपनी जिंदगी गवा कर भी वह हमें काबिल बनाती है,
कभी शिक्षक, कभी सहेली, कभी डॉक्टर तो कभी सलाहकार बन जाती है
एक माँ ही है जो एक इंसान होकर भी सारे रिश्ते निभाती है,
कभी मां, कभी बेटी, कभी बहू, कभी पत्नी, कभी ननद हर रिश्ता बखूबी निभाती है,
हर काम माँ करती है फिर भी नाम पिता का जाता है
तब भी वह कोई सवाल नहीं करती है
खुद का ख्याल ही नहीं पर सब की फिक्र वो हर पल करती है,
अपने घर को अपनी दुनिया और परिवार को अपनी जिंदगी समझती है,
अपनी छोटी सी दुनिया में वो शिकायतें कम और खुशियां ज्यादा ढूंढती है,
घर में सब की फरमाइश होती है पर वह अपनी जरूरत तक जरूरी नहीं समझती है,
मेरी मां मेरी जान वही मेरा अभिमान है,
और वह मेरी दुनिया वो ही मेरी जिंदगी जहान है
लेखिका का परिचय
नाम-शिवानी एमआर जोशी
लेखिका अहमदाबाद गुजरात से है। वह पेशे से शिक्षिका हैं और विज्ञान की छात्रा हैं। वह कंपटीशन परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। लॉकडाउन के दौरान लेखन में रुचि बढ़ी और धीरे-धीरे एंथोलॉजी और कम्प्यूटेशन में भाग लेना शुरू कर दिया। पिछले कई दिनों से उन्होंने कई कविताओं के साथ लेख लिखे हैं। वर्तमान में वह Priun प्रकाशनों में एक परियोजना प्रबंधक और सन शाइन प्रकाशनों मे सह संस्थापक के रूप में काम कर रही हैं। उन्होंने कई एंथोलॉजी मे अपनी कविता लिखी है। भविष्य में डॉक्टर बनना उनका सपना है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।