हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है बसंत पंचमी त्योहार, हरिद्वार में गंगा सहित अन्य नदियों के घाटों में स्नान को जुटे श्रद्धालु
उमंग और उत्साह का त्योहार बसंत पंचमी हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही होली के लिए आज ही होली का ठुंडा भी किसी खुली जगह पर लगाया जाता है। बसंत पंचमी में हरिद्वार, ऋषिकेश सहित अन्य गंगा घाटों और दूसरी नदियों में श्रद्धालु सुबह से ही स्नान के लिए जुटने शुरू हो गए। प्रशासन ने कोरोना के मद्देनजर आज कोविड टेस्टिंग की रैंडम चेकिंग की व्यवस्था की है।
सुबह के समय कोहरे और सर्दी के बावजूद श्रद्धालुओं के उत्साह में कमी नहीं है। हरिद्वार में हरकी पैड़ी समेत सभी गंगा घाट, ऋषिकेश में त्रिवेणी घाट के साथ ही देवप्रयाग में गंगा स्थान का सिलसिला सुबह से ही शुरू हो गया। अन्य स्थानों पर दूसरी नदियों में श्रद्धालु स्थान कर रहे हैं। माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी या मां सरस्वती का प्राकट्य दिवस मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती का प्राकट्य होने के कारण उनकी पूजा का विधान है। यह दिन विद्यार्थियों, लेखन से जुड़े लोगों और संगीत से जुड़े लोगों के लिए बहुत महत्व रखता है। माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन जो व्यक्ति मां सरस्वती की पूजा सच्चे हृदय और विधि-विधान करता है उसे विद्या और बुद्धि का वरदान प्राप्त होता है।
होलिका दहन से पहले होली बनाने की प्रक्रिया चालीस दिन पहले ही बसंत पंचमी के दिन शुरू हो जाती है। इस दिन गूलर वृक्ष की टहनी को गांव या मोहल्ले में या जिस जगह पर होली का दहन किया जाना होता है या किसी खुली जगह पर गाड़ दिया जाता है। इसे होली का ठुंडा गाड़ना भी कहते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।