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September 16, 2024

निजीकरण के खिलाफ बैंक कर्मियों ने दून में किया जोरदार प्रदर्शन, हड़ताल के संकल्प को दोहराया

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सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को निजी हाथों में देने की केंद्र सरकार की मुहिम के खिलाफ आज बुधवार यानी आठ दिसंबर को देहरादून के बैंककर्मियों ने राजपुर रोड स्थित एस्लेहाल स्थित सेंट्रल बैंक की शाखा के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को निजी हाथों में देने की केंद्र सरकार की मुहिम के खिलाफ आज बुधवार यानी आठ दिसंबर को देहरादून के बैंककर्मियों ने राजपुर रोड स्थित एस्लेहाल स्थित सेंट्रल बैंक की शाखा के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार नारे लगाए गए। साथ ही 16 और 17 दिसम्बर को प्रस्तावित हड़ताल को सफल बनाने का संकल्प लिया गया।
इससे पूर्व भी तीन दिसंबर को यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (UFBU) की उत्तराखंड ईकाई की ओर से बैंक कर्मियों ने धरना दिया था। आज शाम पांच बजे देहरादून के बैंक कर्मी सेंट्रल बैंक के समक्ष एकत्र हुए और उन्होंने प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि 1969 में निजी क्षेत्र के बैंकों का राष्ट्रीयकरण करते समय शाखाओं की संख्या 8000 थी, जो आज 118000 है। वहीं इन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास 1969 में 5000 करोड़ रुपये की जमा राशि थी, जो आज 157 लाख करोड़ रूपए हो चुकी है। इसी प्रकार 1969 में बैंकों द्वारा दिये गए ऋण की राशि 3500 करोड़ रुपए थी, जो आज 110 लाख करोड़ रुपए हो चुकी है।
वक्ताओं ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने आमजन के हित में देश के कोने-कोने में बैंक सुविधाओं का विस्तार किया है। जो सस्ते मूल्य और आसान शर्तों पर दी गई हैं। यही नहीं सरकारी हस्तक्षेप से इन बैंकों की गाढ़ी कमाई से पिछले 7-8 वर्षों से हर साल कॉर्पोरेट पूँजीपतियों का एक से डेढ़ लाख करोड़ रुपये का ऋण माफ किया जाता रहा है। इसके बावजूद बैंकों का ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट जो 2009-10 में 76000 हज़ार करोड़ रुपये था, 2020-21 में वो 197000 लाख करोड़ रुपए हो गया है। ऐसे में इन बैंकों का निजीकरण बड़े पूँजीपतियों को औने-पौने दामों में जमे-जमाये बैंकिंग क्षेत्र को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। जो आमजन के लिए बैंकिंग सुविधाओं को बहुत अधिक महंगा साबित करने वाला सिद्ध होगा।
उन्होंने कहा कि इससे रोजगार के साधनों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा और बैंक कर्मियों की सेवा-शर्तें भी प्रभावित होंगी। ऐसी जन विरोधी नीति का सभी बैंककर्मी हर संभव आंदोलन के द्वारा विरोध करते हैं और इस क्रम में 16-17 दिसम्बर 2021 को देश भर के सभी बैंककर्मी हड़ताल पर रहेंगे। इस प्रदर्शन में आर के गैरोला, राजन पुंडीर, वी के जोशी, कमल तोमर, टी पी शर्मा, निशांत शर्मा, मोहित वर्मा, एस एस रजवार, विनय शर्मा, डी एन उनियाल, अनिल जैन, सी के जोशी, करन रावत, कुन्दन रावत, आई एस परमार, डी एस तोमर, विकास संगारी, आर सी उनियाल, ओ पी मौर्य, सुधीर रावत, नवीन नेगी आदि ने भाग लिया। संचालक यू एफ बी यू के संयोजक समदर्शी बड़थ्वाल ने किया।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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