शासन और विश्वविद्यालय के रवैये के कारण बीएड सत्र अधर में: डॉ सुनील अग्रवाल
डॉ. सुनील अग्रवाल
निजी कॉलेज एसोसिएशन उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ सुनील अग्रवाल ने आरोप लगाया कि शासन और राज्य विश्वविद्यालयों के रवैया के कारण बीएड का वर्तमान सत्र अधर में लटका है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एक बयान में डॉ अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान सत्र के लिए राज्य विश्वविद्यालयों से संबद्ध कॉलेजों को वर्तमान सत्र 2025-26 के लिए एनसीटीई के नियमानुसार अहर्ता प्राप्त छात्रों को प्रवेश की अनुमति दी गई। उसके उपरांत 28 जुलाई को शासनादेश द्वारा वर्तमान सत्र के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया। प्रवेश परीक्षा का जिम्मा कुमाऊं विश्वविद्यालय को सोपा गया। कुमाऊं विश्वविद्यालय द्वारा जारी विज्ञप्ति में छात्रों को सात सितंबर तक प्रवेश परीक्षा के लिए आमंत्रित किया गया। 14 सितंबर प्रवेश परीक्षा की तिथि रखी गई 26 सितंबर प्रवेश परीक्षा के रिजल्ट की तिथि घोषित की गई और 27 सितंबर से प्रवेश के लिए काउंसलिंग की तिथि घोषित की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि प्रवेश के लिए घोषित काउंसलिंग की तिथि 27 सितंबर को एक महीना होने जा रहा है। अभी तक काउंसलिंग के लिए कोई कार्यवाही नहीं की गई। प्रश्न यह उठता है कि जब विश्वविद्यालय द्वारा प्रवेश परीक्षा संपन्न कर दी गई है, तो प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण छात्रों की काउंसलिंग का अब क्या औचित्य है। प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण छात्रों को उनके पसंद के कॉलेज में प्रवेश की अनुमति होनी चाहिए थी, जिससे अब तक प्रवेश प्रक्रिया संपन्न हो चुकी होती। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि बीएड प्रवेश में माननीय उच्च न्यायालय के आदेश अनुसार पहले प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण छात्रों का प्रवेश सीटें खाली रहने पर प्रवेश परीक्षा में शामिल छात्रों का प्रवेश एवं उसके बाद भी सीट खाली रहने पर एनसीटी के नियम अनुसार अर्हता प्राप्त छात्रों के प्रवेश की अनुमति का प्रावधान है। अभी तक प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण छात्रों के प्रवेश के लिए ही कुछ कार्यवाही नहीं हुई तो प्रवेश का अगला चरण कब संपन्न होगा। कब छात्रों की कक्षाएं प्रारंभ हो पाएंगे यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि जब अक्टूबर माह समाप्त होने को आया है और अभी तक प्रवेश प्रक्रिया ही नहीं हो पाई है। ऐसे में वर्तमान सत्र पूरी तरह से अधर में लटका है। जो छात्र राज्य विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेना चाहते हैं, पूरी तरह से असमंजस में है। इसके कारण अधिकांश छात्र अन्य प्रदेशों की और पलायन कर जाते हैं। या b.ed के अलावा किसी अन्य कोर्स में शिफ्ट हो जाते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. सुनील अग्रवाल ने कहा कि वैसे ही अब b.ed में प्रवेश के इच्छुक छात्रों की संख्या कम हो चुकी है। कोई भी नियम छात्रों की सुविधा के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन उक्त प्रकरण में साफ दिखाई देता है कि नियम छात्रों का परेशान करने वाले और छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले हैं। इसका उदाहरण समर्थ पोर्टल है। ये पोर्टल भी सिर्फ छात्रों को परेशान करने वाला साबित हुआ है। समर्थ पोर्टल से ना ही सत्र का नियमितीकरण हो पाया, ना ही एक प्रदेश एक प्रवेश की अवधारणा सफल हो पाई।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




