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March 12, 2025

रसायनिक रंगों के दुष्प्रभाव से बचें, घर में ऐसे तैयार करें होली के रंग, होली खेलने के दौरान बरतें ये सावधानी

यहां रासायनिक रंगों के दुष्प्रभाव के प्रति सजग करने के साथ ही घर में होली के रंग तैयार करने की विधि बता रहे हैं। साथ ही सुझाव हैं कि होली के दिन किस तरह की सावधानी बरती जाए।


होली की उमंग, तरंग का लोग काफी समय से इंतजार करने लगते हैं। या यूं कहें कि घर से बाहर रहने वाले तो इसी दिन के लिए अपनी छुट्टी तक बचा कर रखते हैं। इस बार त्योहार तो जरूर मनाएं, लेकिन कोरोना के प्रति भी सचेत रहें। साथ ही रासायनिक रंगों के प्रयोग से बचें। क्योंकि आपकी छोटी की लापरवाही जीवन भर के लिए भारी पड़ सकती है। यहां रासायनिक रंगों के दुष्प्रभाव के प्रति सजग करने के साथ ही घर में होली के रंग तैयार करने की विधि बता रहे हैं। साथ ही सुझाव हैं कि होली के दिन किस तरह की सावधानी बरती जाए।
होली के रंग प्रकृति के संग
भारत भिन्नताओं में एकता वाला देश है। यहां हर त्यौहार बडी धूम-धाम से बनाया जाता है। इनमें से एक होली भी है। जो बसंन्त के माह में बड़े हर्षोउल्लास से मनाई जाती है। धीरे-धीरे इसके स्वरूप में परिवर्तन होने लगा। जहां होली की यादें खुशनुमा होनी थी, वहीं कई लोगो के लिए यह बुरी याद बन जाती है। इसका प्रमुख कारण है खतरनाक रंगों का दुष्प्रभाव।


रसायनों से ये है खतरा
होली के रंगो में खतरनाक रसायन जैसे मैंचेलाइट ग्रीन कॉपर सल्फेट, एल्युमिनियम ब्रोमाइड, मरक्यूरिक सल्फाइड, रोहडामीन बी, क्रोमियम आयोडाइड, मेटनिल येलो जैसे रसायन व डाई उपयोग की जाती है। यह रसायन सामान्यतः बर्तनों व कपडों को रंगीने के लिए प्रयोग किये जाते हैं। पइनकी मिलावट उन होली के रंगों में की जाती है, जिनका प्रयोग हम होली में करते है। यह रंग मानव शरीर पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं। खासकर त्वचा, बालों, आंखो और पाचन तंत्र पर और घातक नुकसान पहुँचाते हैं।
प्राकृतिक रंग बनाने के लिए सामग्री
सुरक्षित होली खेलने के लिए प्राकृतिक रंग बनाना ही ज्यादा समझदारी है। ये रंग प्राकृतिक सामग्री जैसे धनिये की पत्तियों, चुकंदर, पालक, काली गाजर, हल्दी, टेशु, मेहंदी के पत्तों के रस को चावल या आरारोट के आटे में मिलाकर बनाए जा सकते हैं।


सूखे रंग बनाने की विधि
नीला रंगः सूखे नील को आरारोट मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर नीला रंग बनाया जा सकता है।
लाल रंगः रोली को आरारोट मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर लाल रंग बनाया जा सकता है।
पीला रंगः हल्दी को आरारोट मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर पीला रंग बनाया जा सकता है।
हरा रंगः मेंहदी पाउडर को आरारोट मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर हरा रंग बनाया जा सकता है।
ये भी हैं तरीके
-अलग-अलग रंगों के फूड कलर को आरारोट/ चावल के आटे में मिलाकर रंग बनाये जा सकते हैं।
-हरा रंग बनाने के लिए मेंहदी या गुलमोहर की पत्तियों को पीसकर हरा रंग बना सकते हैं।
-पुदीना, पालक, धनिया पीसकर हरा रंग बना सकते है।
गीले रंग बनाने के सरल घरेलू तरीके
-हरा रंग बनाने के लिए मेंहदी या गुलमोहर की पत्तियों को पीसकर पानी में मिला देने से गीला हरा रंग बनाया जा सकता है। पुदीना, पालक, धनिया पीसकर हरा रंग बना सकते है।
-लाल चंदन को पानी में घोलकर लाल रंग बनाया जा सकता है।
-चुकंदर को काटकर पानी में भीगाने से मर्जेन्टा (रानी) रंग बनाया जा सकता है।
-कचनार के फूल को पानी में उबालने से गुलाबी रंग बनता है।
-टेसु या प्लास के फूल पानी में उबालने से नारंगी रंग बनता है।
-कत्था, चाय, कॉफी पानी में मिलाने से भूरा रंग बनता है।
-गुलाब की पंखूडियों को पानी में भीगाने से गुलाबी रंग बनता है।
चुकंदर से रंग बनाने की विधि
चुकन्दर लें उसे ग्रेटर की सहायता से कस लें या ग्राइन्ड कर लें। मिश्रण को छन्नी से छान लें और रस अलग कर लें। यदि आप इस मिश्रण से पानी की मात्रा में परिवर्तन कर अलग-अलग शेडस निकाल सकते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
-इन्हें बनाते समय यदि आप चम्मच के बजाय हाथों का प्रयोग कर रहें हैं तो फुड कलर को बनाते हुए दस्तानों का प्रयोग करें।
-ग्राइन्ड करते समय ध्यान दें कि ग्रान्डर साफ हो उसमें मिर्च या अन्य कोई तत्व न हो।
होली में ऐसा करने से बचें
-इंजन ऑयल या मॉबी ऑयल से बचें।
-गहरे पक्के रंगों के प्रयोग से बचें।
-पानी की होली खेलने से बचें व पानी व्यर्थ न बहायें।
-कीचड़ गोबर के इस्तेमाल से बचें। ऐसा करने पर हम बीमारियों के शिकार हो सकते हैं।


-पानी से भरे गुब्बारे के प्रयोग से बचें।
-रासायनिक रंगो का प्रयोग न करें।
-शराब व नशीलें पदार्थों के सेवन से बचें।
बरती जाने वाली सावधानियां
-होली खेलने से पहले शरीर व बालों पर तेल व क्रीम का प्रयोग करना हितकर रहेगा।
शरीर को पूर्णतः ढककर होली खेलना हितकर रहेगा।
-आंखों में धूप के चश्में का उपयोग हितकर रहेगा।
-रंग छुडाने के लिए गर्म पानी का प्रयोग हितकर रहेगा।
-गहरे रंगों को छुडाने के लिए दही और बेसन के लेप का प्रयोग हितकर रहेगा।
-चेहरे व हाथों पर वेसलीन जैली का प्रयोग रंग लगाने से पहले हितकर रहेगा।
-सिर को टोपी या रूमाल ढककर रखना हितकर रहेगा।
-आंखो पर रंग पडने पर आंखो को मसलना नहीं चाहिए। सादे पानी से आंखो को धोना हितकर रहेगा।
-दांतों को रंग से बचाने के लिए डेन्टल कैप का प्रयोग करना हितकर रहेगा।
-जब चेहरे पर रंग फेंका जाये तो आंखो और मुंह को बन्द रखें।
-वसा युक्त भोजन अधिक मात्रा में खाने से बचें।
-बाजार के बने मावे की मिठाईयों को खाने से परहेज करें।
-बार-बार अपने चेहरें को धोने से बचें ताकि चेहरे को नुकसान होने से बयाचा जा सके।

लेखक का परिचय
नाम-डॉ. बृज मोहन शर्मा
सचिव समाजिक एवं वैज्ञानिक संस्था स्पेक्स।
निवास-कृष्णनगर देहरादून, उत्तराखंड।
डॉ. बृज मोहन शर्मा वैज्ञानिक हैं। वह पर्यावरण को लेकर लोगों को जागरूक करते रहते हैं। साथ ही पेयजल की शुद्धता, खाद्य पदार्थों मे मिलावट के प्रति लोगों को जागरूक करते हैं। वह मिलावट को जांचने के तरीके भी लोगों को सिखाते हैं। समाज सेवा के इस योगदान के लिए उन्हें दो बार राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार भी मिल चुके हैं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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