आस्ट्रिया के चांसलर ने भारत के पीएम मोदी के सामने कर दी नेहरू की तारीफ, पहली बार नहीं हुआ ऐसा

एक तरफ भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बीजेपी और उनसे जुड़े संगठन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को कोसते रहते हैं। वे देश की सारी समस्याओं का जिम्मेदार पंडित नेहरू को बताते हैं। साथ ही ये दावा करते हैं कि असली विकास वर्ष 2014 के बाद आया। वहीं, विदेशों में पंडित नेहरू के प्रति सोच अलग है। अबकी बार ताजा मामला ऑस्ट्रिया का है। वहां के चांसलर कार्ल नेहमर ने पीएम मोदी के सामने भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की तारीफ कर दी। ऐसा नहीं है कि विदेश में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी ने नेहरू की तारिफ की है और वो भी मोदी के सामने। ऐसा कई बार हो चुका है। हम यहां ऐसा ही एक उदाहरण अमेरिका का भी देंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हाल में रूस यात्रा के बाद पीएम मोदी आस्ट्रिया भी गए थे। उस दौरान एक कार्यक्रम में 1955 में ऑस्ट्रिया को एक तटस्थ और स्वतंत्र देश के रूप में उभरने में मदद करने वाली जटिल वार्ताओं में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की भूमिका का जिक्र चांसलर कार्ल नेहमर ने कर दिया। ये कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक का था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हालाँकि द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक ऑस्ट्रिया में एक अस्थायी सरकार थी, लेकिन 1945 में नाजी जर्मनी की हार के बाद, इस पर फ्रांस, सोवियत संघ, ब्रिटेन और अमेरिका या तथाकथित मित्र शक्तियों ने कब्जा कर लिया। मई 1955 में ऑस्ट्रिया को स्वतंत्रता देने और कब्जे वाली सेनाओं की वापसी को सुविधाजनक बनाने के लिए एक संधि पर हस्ताक्षर किए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मोदी के साथ प्रेस को एक बयान देते हुए नेहमर ने 1950 के दशक में शुरू हुए भारत और ऑस्ट्रिया के बीच विश्वास के रिश्ते के बारे में बोलते हुए नेहरू की भूमिका का उल्लेख किया। नेहमर ने जर्मन भाषा में बोलते हुए कहा कि जब शांति वार्ता लाने की बात आई, जिसके परिणामस्वरूप (ऑस्ट्रियाई) राज्य संधि हुई, तो ऑस्ट्रिया के लिए भारत एक महत्वपूर्ण भागीदार और समर्थक था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
संधि से पहले हुई बातचीत के संदर्भ में उन्होंने कहा कि 1953 में गतिरोध था, स्थिति कठिन थी। सोवियत संघ के साथ प्रगति करना कठिन था, और यह विदेश मंत्री [कार्ल] ग्रुबर थे जिन्होंने प्रधान मंत्री नेहरू से संपर्क किया… बातचीत को सकारात्मक निष्कर्ष पर लाने के लिए समर्थन मांगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने आगे कहा कि ऐसा ही हुआ भारत ने ऑस्ट्रिया की मदद की और 1955 में ऑस्ट्रियाई राज्य संधि के साथ बातचीत सकारात्मक निष्कर्ष पर पहुंची। सार्वजनिक किए गए अमेरिकी राजनयिक केबल और ग्रुबर के संस्मरण “ए पॉलिटिकल लाइफ: ऑस्ट्रियाज जर्नी बिटवीन डिक्टेटरशिप्स” सहित कई ऐतिहासिक दस्तावेजों और लेखों में ऑस्ट्रियाई पक्ष द्वारा संपर्क किए जाने के बाद सोवियत नेतृत्व को संदेश देने में नेहरू की भूमिका को रेखांकित किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसा पहली बार हुआ जब विदेश में नेहरू की हुई तारीफ
ऐसा पहली बार नहीं है, जब दिवेश की धरती पर पीएम मोदी के सामने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की तारीफ की गई हो। सितंबर 2019 में अमरीका में टेक्सस राज्य के ह्यूस्टन शहर में हुए हाउडी मोदी कार्यक्रम में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह छाए रहे। लगभग 50 हज़ार से अधिक अमरीकी भारतीयों ने नरेंद्र मोदी का स्वागत किया और उनका भाषण सुना। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस कार्यक्रम की ख़ास बात रही कि खुद तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप भी इसमें शामिल हुए। हाउडी मोदी कार्यक्रम में मोदी के स्वागत समारोह, जोशीले नारों और भाषणों के बीच एक पल ऐसा भी आया था, जब भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का ज़िक्र हुआ। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दरअसल उस दिन अमरीकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव में बहुमत के नेता (लीडर ऑफ़ मेजोरिटी) और डेमोक्रेट सांसद स्टेनी एच होयर जब मोदी के स्वागत में भाषण दे रहे थे, तब उन्होंने गांधी और नेहरू की धर्मनिरपेक्ष सोच की बात की। स्टेनी होयर ने कहा कि अमरीका की तरह भारत भी अपनी परंपराओं पर गर्व करता है। जिससे वह अपने भविष्य को गांधी की शिक्षा और नेहरू की उस सोच, जिसमें भारत को धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र बनाने की बात है, उसका बचाव कर सके, जहां प्रत्येक व्यक्ति और उसके मानवाधिकारों का सम्मान किया जाएगा।
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Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।