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March 13, 2025

विधानसभा चुनाव 2022: भाजपा और कांग्रेस में भूचाल से पहले बनी है शांति, पार्टी छोड़ने को लेकर इन नामों पर होती रही चर्चाएं

उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों को लेकर प्रत्याशी चयन में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही एक ही स्पीड में चल रही हैं। हर बार की तरह दोनों दल एक दूसरे की चालों पर नजर रख रहे हैं। साथ ही पत्ते खोलने में देरी कर रहे हैं।

उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों को लेकर प्रत्याशी चयन में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही एक ही स्पीड में चल रही हैं। हर बार की तरह दोनों दल एक दूसरे की चालों पर नजर रख रहे हैं। साथ ही पत्ते खोलने में देरी कर रहे हैं। वहीं, इन सबसे बेफिक्र आम आदमी पार्टी अब तक 70 विधानसभाओं में से 51 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। साथ ही इन प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार अभियान भी तेज कर दिया है। वहीं, भाजपा और कांग्रेस में भूचाल आने से पहले शांति की स्थिति बनी हुई है। हालांकि धमकाने, दबाव बढ़ाने, ब्लैकमेलिंग की स्थिति दोनों ही दलों में बनी है। इसमें वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ ही विधायक आदि शामिल हैं। माना जा रहा है कि एक दो दिन में दोनों की दल पहली सूची जारी कर सकते हैं। ऐसे में दोनों ही दलों में अफरा तफरी की स्थिति बन सकती है।
नेता प्रतिपक्ष भी आते रहे संदेह के घेरे में
पूर्व सीएम हरीश रावत के साथ पटरी नहीं बैठने के चलते कई बार नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह भी संदेह के घेरे में आते रहे। बीजेपी के एक दो नेताओं के साथ उनकी फोटो वायरल होने पर चर्चा का विषय बनी। हालांकि इन मुकालातों को शिष्टाचार की मुलाकात और संयोग आदि ही कहा गया। कांग्रेस में उनकी स्थिति मजबूत है। वह अपने बूते चेहतों को भी टिकट दिलाने की दमदार पैरवी करने और अपनी मांग को पूरा करने की क्षमता रखते हैं। ऐसे में दो माह पहले उनके दल छोड़ने को लेकर उठी चर्चाएं, सिर्फ हवा हवाई ही साबित हुई।
किशोर उपाध्याय ने भी बढ़ाई है कांग्रेस की टेंशन
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी कांग्रेस के लिए टेंशन बने हुए हैं। गाहे बगाहे वे अपनी पार्टी के पूर्व सीएम हरीश रावत के बयानों की काट करते नजर आते रहे। वहीं, पिछले कुछ दिनों में वह भाजपा के कई नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। ऐसे में बार बार उनके कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने की चर्चाएं उठती रही। हालांकि उन्होंने हर बार इन चर्चाओं का खंडन किया। हाल ही में उन्हें पार्टी के सभी पदों से हटा दिया था। इसके बाद शुक्रवार को वह फिर भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रभारी व केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी से मुलाकात करने पहुंच गए। यद्यपि किशोर का कहना है कि वह भाजपा में शामिल नहीं हो रहे हैं, बल्कि प्रल्हाद जोशी से उन्होंने वनाधिकार आंदोलन के सिलसिले में बातचीत की। वहीं, उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेताओं को अपनी सफाई दी है।किशोर ने मार्मिक अंदाज में कांग्रेस के साथ अपने 44 साल के रिश्तों का उल्लेख किया है। साथ ही कहा कि भाजपा व अन्य दलों के नेताओं के साथ के उनकी मुलाकात केवल वनाधिकार आंदोलन के तहत एक राय बनाने तक ही सीमित थी। वो कांग्रेस के समर्पित सिपाही हैं और आगे भी रहेंगे।
मालचंद को लेकर भी उठी चर्चाएं
पूर्व विधायक मालचंद हाल ही में भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए। अब एक बार फिर चर्चा उठी कि वो भाजपा में वापसी कर रहे हैं। भाजपा के पूर्व विधायक मालचंद गत तीन जनवरी को ही दिल्ली में कांग्रेस में शामिल हुए थे। उन्हें ठीकठाक जनाधार वाला नेता माना जाता है। उनके कांग्रेस में चले जाने से भाजपा को उत्तरकाशी जिले में झटका लगा। वहीं, उत्तरकाशी जिले की पुरोला सीट के पूर्व विधायक मालचंद ने इससे इन्कार किया। उन्होंने साफ किया कि वे कांग्रेस में ही बने रहेंगे।
सरिता आर्य को सता रहा डर
पूर्व विधायक व महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है। हाल ही में वह देहरादून में भाजपा नेताओं से गुपचुप मुलाकात कर चुकी है। वह नैनीताल सीट से टिकट की दावेदारी कर रही है। वहीं, भाजपा महिला मोर्चा ने सरिता का विरोध भी शुरू कर दिया है। राज्य बनने के बाद नैनीताल की पहली पालिकाध्यक्ष बनी सरिता आर्य सरल व सादगीपूर्ण व्यवहार के लिए जानी जाती हैं। 2012 में वह नैनीताल की विधायक बन गईं। तब तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल आर्य नैनीताल आरक्षित सीट से अपने पुत्र व तत्कालीन मंडी समिति हल्द्वानी के अध्यक्ष संजीव आर्य को टिकट दिलाना चाहते थे। तब यशपाल के पार्टी में विरोधी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सरिता को टिकट दिलाने में कामयाब रहे और वह जीत भी गईं।
2017 में हरदा से निकटता की वजह से सरिता को फिर टिकट मिला तो कांग्रेस छोड़ भाजपा में गए संजीव आर्य को नैनीताल से टिकट भी मिल गया। मोदी लहर के बीच अपने सरल व्यवहार के चलते भी संजीव ने मैदान मार लिया और सरिता हार गईं। अब पूर्व मंत्री यशपाल आर्य व निवर्तमान विधायक संजीव आर्य कांग्रेस में फिर वापसी कर चुके हैं। बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में नैनीताल से संजीव का टिकट तय माना जा रहा है। यही नहीं इस बार हरीश रावत और यशपाल आर्य की नजदीकी का असर सरिता से दूरी के रूप में भी पड़ना शुरू से ही तय कहा जा रहा था। पार्टी सूत्रों के अनुसार सरिता को महिला इकाई की प्रदेश अध्यक्ष बनाने में अहम भूमिका निभा चुकी असम की कांग्रेस नेत्री सुष्मिता देव भी अब तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम चुकी हैं। वह कई बार पार्टी छोड़ने की धमकी दे चुकी हैं।
पिछले छह माह से चर्चाओं में रहे हरक सिंह रावत
पूर्व सीएम हरीश रावत के कार्यकाल में बगावत कर भाजपा में शामिल होने वाले नेता हरक सिंह रावत के लिए भाजपा या कहें भाजपा के लिए हरक सिंह रावत एक दूसरे को टेंशन देते रहे। कभी हरक सिंह रावत का पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के विवाद सार्वजनिक हुआ तो कभी वह दूसरों मुद्दों को लेकर नाराज दिखे। कैबिनेट की बैठक में अचानक उठकर चले जाना और इस्तीफे की घोषणा करना उनका हाल ही में दबाव की राजनीति का एक नमूना था। अब वह भी तीन तीन विधानसभाओं से टिकट मांग रहे हैं। वह अपनी कोटद्वार विधानसभा से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। वह केदारनाथ से चुनाव लड़ने की इच्छा जता रहे हैं। वहीं, लैंसडोन विधानसभा से अपनी पुत्रवधु के लिए टिकट मांग रहे हैं। अब उनकी इस डिमांड के चलते केदारनाथ से पूर्व विधायक शैलारानी रावत ने भी पार्टी को चेतावनी दे दी है। वहीं, लैंसडौन विधायक ने ऐसी स्थिति में पार्टी छोड़ने की धमकी दे चुके हैं।
क्या कांग्रेस में बंद हुए दरवाजे
हरक सिंह रावत के साथ ही उनके साथ बगावत कर भाजपा में जाने वाले रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ के बार बार कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाएं जोर पकड़ने लगती है। कई बार तो ये नेता दिल्ली गए तो कहा गया कि वे कांग्रेस में शामिल होने गए हैं। ऐन वक्त पर ऐसा नहीं हुआ। इसका कारण ये माना जा रहा है कि पूर्व सीएम हरीश रावत इन दोनों नेताओं की कांग्रेस में वापसी को लेकर तैयार नहीं हैं। ये स्वाभाविक भी है कि जो लोग उनकी सरकार को गिराने में जिम्मेदार रहे, उन्हें वह कैसे माफ कर सकते हैं। ऐसे में हरीश रावत कई बार कह चुके हैं कि यदि ये नेता सार्वजिक रूप से माफी नहीं मांगते तब तक उनके कांग्रेस में शामिल होने पर कोई विचार नहीं हो सकता है। वैसे राजनीति में हर संभावनाएं हैं। देखना ये है कि हरक सिंह रावत किस मौर्चे में अपनी लड़ाई जारी रखते हैं।
लैंसडौन विधायक ने भी चढ़ाई बांह
उत्तराखंड भाजपा जहां प्रत्याशियों के चयन को लेकर माथापच्ची में जुटी है। वहीं लैंसडौन विधानसभा क्षेत्र में टिकट को लेकर घमासान कम होने का नाम नहीं ले रहा है। वर्ष 2012 से लैंसडौन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे विधायक महंत दिलीप रावत ने स्पष्ट किया कि उनके लिए पार्टी के रूप में भाजपा और सीट के तौर पर लैंसडौन ही एकमात्र विकल्प है। साथ ही आगे जोड़ा कि मेरे पास पत्नी का एक ही विकल्प है, जो मेरी पत्नी ही है। बहुतों के पास बहुत सारे विकल्प हो सकते हैं। ऐसा उन्होंने हरक सिंह रावत के लैंसडौन सीट से पुत्रवधु के लिए टिकट मांगने को लेकर कहा है। लैंसडौन क्षेत्र में कोटद्वार से विधायक एवं कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी पिछले कुछ समय से सक्रिय हैं। हरक सिंह लैंसडौन सीट से अपनी पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं के लिए पार्टी से टिकट मांग रहे हैं। यही नहीं, लंबे समय से अनुकृति ने भी लैंसडौन विधानसभा क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ाई हुई है। इससे वर्तमान में लैंसडौन का प्रतिनिधित्व कर रहे विधायक दिलीप रावत की बेचैनी बढ़ गई है। दिलीप रावत भी कई बार पार्टी को आगाह कर चुके हैं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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