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November 14, 2024

बहू और अपने लिए मांगे दो टिकट, सरकार और संगठन से कटा अपना पत्ता, अब किसका टिकट काटते हैं हरक, या फिर..

खुद के साथ ही बहू के टिकट के लिए पैरवी करते करते उत्तराखंड में भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत खुद का ही पार्टी और संगठन से टिकट कटवा गए।

जैसा कि अंदेशा व्यक्त किया जा रहा था, वैसा ही हुआ। क्योंकि उत्तराखंड में भी अब हर चुनाव में दलबदल की राजनीति हावी हो रही है। ऐसे में बार बार दल बदलने वाले दिग्गज नेता हरक सिंह रावत कैसे पीछे रहने वाले थे। खुद के साथ ही बहू के टिकट के लिए पैरवी करते करते उत्तराखंड में भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत खुद का ही पार्टी और संगठन से टिकट कटवा गए। उन्हें बीजेपी ने छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। साथ ही उन्हें मंत्रिमंडल से भी बाहर कर दिया गया है। हालांकि चुनाव आचार संहिता लगने के बाद मंत्री हों या मुख्यमंत्री सबकी स्थिति बिन तेल के इंजन की है। क्योंकि अब किसी के पास कोई पावर तो है कि नहीं। ऐसे में अब देखना यै है कि हरक सिंह रावत की कांग्रेस में कहां बात बनती है और वे किस विधानसभा सीट पर बार्गेनिंग करके किस नेता का टिकट काटने में सफल होते हैं। या यूं कहें कि किसके सपनों को धराशायी करते हैं। हालांकि ये माना जा रहा है कि यदि उनकी कांग्रेस में वापसी होती है तो उन्हें डोईवाला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है। इस सीट से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत विधायक हैं। उन्हें भी चुनाव लड़ाने पर भाजपा में संशय बना हुआ है। यदि दोनों की चुनाव मैदान में उतरते हैं तो मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। क्योंकि सत्ता में रहते हुए भी दोनों नेताओं के बीच विवाद सार्वजनिक होता रहा।
हरक ने दी ये प्रतिक्रिया
वहीं, हरक सिंह रावत ने कहा कि सोशल मीडिया में चली खबरों को आधार बनाकर मुझे संगठन और सरकार के निष्कासित किया गया। मैं तो भाजपा से कहीं नहीं जा रहा था। मैं तो बीजेपी नेताओं से मुलाकात करने दिल्ली आया और तभी पता चला कि मुझे निष्कासित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि मुझसे बात तक नहीं की गई और मेरे खिलाफ कार्रवाई कर दी गई। इतना बड़ा निर्णय, मैं उनकी सरकार में कैबिनेट मंत्री था। प्रह्लाद जोशी जी ने मुझे बुलाया था। उनसे मिलने दिल्ली आया था। तब तक पता चला कि मुझे निष्कासित कर दिया। साथ ही कहा कि अब मैं कांग्रेस में जाऊंगा। कांग्रेस से बात करूंगा।  बगैर किसी शर्त के कांग्रेस में जाऊंगा। कांग्रेस की सरकार लाने के लिए निस्वार्थ होकर काम करूंगा।
कांग्रेस में हरीश रावत रोके रहे राह
यूं तो हरक सिंह रावत के भाजपा छोड़ने की चर्चाएं करीब छह माह से उठ रही थी। कई बार उनके कांग्रेस में जाने की चर्चाओं ने जोर पकड़ा, लेकिन ऐन मौकों पर बात नहीं बनी। कारण ये भी है कि उनका पूर्व सीएम एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत विरोध करते रहे। कारण ये है कि हरीश रावत के सीएम के कार्यकाल में सत्ता पलटवाने की साजिश के सूत्रधार हरक सिंह रावत ही थे। ऐसे में हरीश रावत तो यहां तक बोल गए थे कि यदि हरक सिंह अपने कृत्य के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हैं, तब उनके बारे में कुछ सोचा जा सकता है।
कैबिनेट की बैठक में भी दी थी धमकी
एक माह पहले भी हरक सिंह रावत कैबिनेट की बैठक में कोटद्वार मे मेडिकल कॉलेज के मुद्दे को लेकर नाराज हो गए थे। वह बैठक में ही इस्तीफे की धमकी देकर निकल गए। फिर उन्हें मनाने का क्रम चलता रहा और वह मान भी गए थे। इससे पहले भी उनके कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाएं उठी और वह कई बार दिल्ली भी गए। फिर बात नहीं बन पाई थी।
अब मांग रहे थे दो टिकट
हर बार के चुनाव में ज्यादातर हरक सिंह रावत ज्यादातर अपना क्षेत्र बदलकर चुनाव लड़ते हैं। एक बार तो उन्होंने केदारनाथ विधानसभा में अपने साडू भाई मातवर सिंह कंडारी को भी चुनाव मैदान में हराया था। वह कोटद्वार से विधायक हैं और इस बार वह केदारनाथ विधानसभा से अपने लिए टिकट मांग रहे थे। साथ ही वह लैंसडौन विधानसभा से अपनी पुत्रवधु अनुकृति गुसाई के लिए टिकट मांग रहे थे। अनुकृति गुसाई पूर्व मिस इंडिया हैं और वह लैंसडौन क्षेत्र में महिलाओं के स्वरोजगार आदि के कार्यक्रम चला रही हैं। हरक के इन दो टिकटों की डिमांड के चलते केदारनाथ से पूर्व विधायक आशा नौटियाल के साथ ही लैंसडौन से भाजपा विधायक दिलीप रावत ने हरक सिंह रावत की इस मांग का कड़ा विरोध किया था।
पार्टी ने ठुकराई मांग
बताया जा रहा है कि पार्टी ने उनकी दो टिकट की मांग को ठुकरा दिया। इसका आभास होने पर ही पर टिकटों के मंथन को केर भाजपा की कोर कमेटी की बैठक में नहीं पहुंचे और दिल्ली के लिए रवाना हो गए। उनकी कांग्रेस में जाने की चर्चाएं तो बार बार उठ रही थी। ऐसे में संगठन ने भी उनके खिलाफ कड़ा निर्णय लिया।
सरकार और संगठन की दोहरी मार
उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को बीजेपी ने छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। बीजेपी ने हरक सिंह रावत पर एक्शन लेकर कड़ा संदेश दिया है। रावत के कांग्रेस नेताओं से मिलने पर बीजेपी ने यह एक्शन लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरक सिंह रावत को उत्तराखंड मंत्रिमंडल से भी बर्खास्त कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई के मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने बताया कि प्रदेश पार्टी अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर रावत को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के हवाले से उन्होंने बताया कि अनुशासनहीनता के चलते रावत को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पार्टी में अनुशासनहीनता को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी रावत को मंत्रिपरिषद से बर्खास्त कर दिया है।
कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें
बताया जा रहा है कि हरक सिंह रावत ने कांग्रेस में शामिल होने के फिर से प्रयास शुरू कर दिए हैं। दिल्ली में इस समय  नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और पूर्व सीएम हरीश रावत से डेरा जमाए हुए हैं। अब ये भी देखना है कि उनकी कांग्रेस में बात बनती है या फिर उन्हें कांग्रेस की शर्तों पर समझोता करने को मजबूर होना पड़ेगा। फिलहाल उनकी किस नेता से मुलाकात हुई और करेंगे, ये अभी स्पष्ट नहीं है।
एक पार्टी, एक टिकट का अड़ंगा
कांग्रेस में एक पार्टी और एक टिकट की पैरवी की जा रही है। ऐसे में यदि हरक सिंह रावत को उनके साथ ही बहू के लिए टिकट मिलता है तो कांग्रेस में कई और नेता भी अपने परिवार के लोगों के लिए टिकट मांगेंगे। पूर्व सीएम हरीश रावत के तो दो बेटे और एक बेटी ही टिकट के दावेदार हैं। वहीं, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह भी बेटे के टिकट की पैरवी करेंगे। पूर्व मंत्री राजेंद्र भंडारी भी अपने साथ ही बेटे के लिए टिकट की पैरवी कर रहे हैं। ऐसे में हरक सिंह रावत के साथ समझोते को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
पार्टी में पनपेगा आक्रोश
हरक सिंह रावत के कांग्रेस में शामिल होने की संभावनाओं के साथ ही ये भी चर्चाएं हैं कि वे किस नेता का पत्ता साफ करेंगे। क्योंकि केदारनाथ से मनोज रावत विधायक हैं। उनकी वहां से टिकट की दावेदारी मजबूत है। ऐसे में डोईवाला विधानसभा सीट से हरक सिंह रावत को चुनाव लड़ाने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। यहां भी पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट चुनाव लड़ने के लिए मेहनत कर रहे हैं। ऐसे में हीरा सिंह बिष्ट को रायपुर से चुनाव लड़ने के लिए मनाया जा सकता है। वहीं, कांग्रेस में रायपुर सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी करने वाले नेताओं में भी आक्रोश पनपेगा। ऐसे में कांग्रेस में तालमेल के समीकरण बैठाना काफी मुश्किल हो जाएंगे।
किशोर जैसी न हो जाए स्थिति
कहीं हरक सिंह रावत की स्थिति उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय वाली न हो जाए। ऐसे भी अनुमान लगाए जा रहे हैं। क्योंकि किशोर उपाध्याय ने भी भाजपा के कई नेताओं से पिछले दिनों मुलाकातें की थी। ऐसे में उन पर पार्टी को कमजोर करने के आरोप लगे और उन्हें सभी पदों से हटा दिया गया। वहीं, हरक सिंह रावत से भी भाजपा ने किनारा कर लिया। ऐसे में अब वह बार्गेनिंग करने की स्थिति में ज्यादा मजबूत नहीं हैं। कहा तो ये ही जा रहा है कि-न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम न इधर के हुए न उधर के हुए। खैर आज सोमवार का दिन हरक सिंह रावत के लिए भी अहम है, कि उनकी बात कहां तक बनती है। साथ ही कांग्रेस के अन्य नेताओं के लिए भी अहम है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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