अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सड़कों पर उतरी आशाएं, 10 सूत्रीय मांगो को लेकर सीएम आवास कूच, पुलिस से धक्का मुक्की, ये है मांग

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उत्तराखंड की आशा कार्यकत्री सड़क पर उतरी और उन्होंने 10 सूत्रीय मांगों को लेकर देहरादून में सीएम आवास की तरफ कूच किया। हाथीबड़कला में पुलिस ने बैरिकेडिंग लगातर प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोक दिया। इस दौरान उनकी पुलिस से धक्कामुक्की भी हुई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीटू के संबद्ध उत्तराखंड आशा कार्यकत्री यूनियन के बैनर तले राजपुर रोड स्थित सीटू कार्यालय से आशाओं ने जुलूस निकाला। गांधी पार्क, राजपुर रोड़, दिलाराम चौक से होते हुए जब आशाएं कैन्ट रोड़ स्थित हाथीबड़कला के पास पहुंची तो पुलिस ने बैरिकेडिंग पर रोक दिया। इस दौरान कुछ देर पुलिस से धक्कामुक्की के बाद आशाएं सड़क पर ही धरने पर बैठ गईं। उन्होंने धामी सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की। इस मौके पर नगर मजिस्ट्रेट प्रत्युष सिंह को ज्ञापन सौंपा गया। उन्होंने मुख्यमंत्री से शीघ्र वार्ता कराने का आश्वासन दिया। इस पर धरना समाप्त किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदर्शन का नेतृत्व आशा कार्यकत्री यूनियन की प्रान्तीय अध्यक्ष शिवा दुबे ने किया। प्रदर्शन में जिलाध्यक्ष सुनीता चौहान, सुनीता सेमवाल, सुनीता तिवारी, अनीता भट्ट, लोकेश, अनीता अग्रवाल, नीरू जैन, रजनी, शोभा, साक्षी, पुष्पा खंडूरी, सीमा सरिता, रोशनी राणा, कंडारी, नीरज, सुनीता पाल, रचना, राधा, राजकुमारी, कीर्ति, यशोदा, सरोज, ममता, पूनम, शीतल, संगीता, संगीता भंडारी, किरण, ललित, सीता, सीमा, रीता, रविता, दीपा, बबीता, कविता, मेहरून, शबाना, गीता, कल्पेश्वरी, सर्वेश्वरी, कीर्ति, ममता, यशोदा आदि शामिल थे। इस अवसर पर सीटू के जिला महामंत्री लेखराज, कोषाध्यक्ष रविन्द्र नौडियाल, सचिव रामसिंह भंडारी, सीपीएम से शहर सचिव अनन्त आकाश, हरीश कुमार, प्रेंमा गढ़िया, सोनू, विनोद कुमार, गुरू प्रसाद आदि भी जुलूस में शामिल थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये हैं मांगे
1-गत तीन वर्षों से केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से मासिक मानदेय नहीं बढ़ाया गया है, इसे बढ़ाया जाए।
2- वर्ष 2021 से 4000 रुपये मासिक बढ़ाए जाने के संबंध में बने प्रस्ताव को तत्काल लागू किया जाए।
3- अन्य राज्यों की भांति आशा वर्करों की सेवानिवृत्ति पर एक मुश्त पांच लाख रुपये के भुगतान का प्रावधान किया जाए।
4- आशाओं से समस्त कार्य राज्य कर्मचारियों की भांति करवाये जाते हैं, ऐसे में आशा वर्करों को भी राज्य कर्मचारी घोषित किया जाये।
5-आशाओं को स्वास्थ्य बीमा परिधि में लाया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
6-आशाओं को स्वास्थ्य कर्मचारियों की परिधि में लाया जाए।
7-कार्य के दौरान आशा वर्कर की मृत्यु पर 50 लाख का भुगतान किया जाए।
8- 45 व 46 श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को लागू किया जाए।
9-अस्पतालों में आशा वर्कर के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाए।
10-आशाओं के विभिन्न भुगतानों को लेकर सभी स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर किया जाये। साथ ही कमीशनखोरी पर रोक लगाई जाए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।