विधानसभा के समक्ष गरजीं आशा वर्कर्स, पुलिस ने रोका, हुई धक्का मुक्की और तीखी नोकझोंक, जानिए क्या हैं मांगे
उत्तराखंड आशा स्वास्थ्य कार्यकत्री यूनियन की प्रांतीय अध्यक्ष शिवा दुबे के नेतृत्व में देहरादून के धर्मपुर स्थित एलआइसी कार्यालय से दोपहर बाद आशाओं ने विधानसभा के लिए कूच किया जाएगा। इस दौरान रिस्पना पुल से पहले पुलिस ने बैरेकेट पर उन्हें रोक लिया। इस दौरान आशाओं की पुलिस के काफी धक्कामुक्की और नोकझोंक भी हुई। इस पर आशाओं ने सड़क पर ही धरना दिया। साथ ही सभा भी आयोजित की।
इस मौके पर उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में आशाएं 12 सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलनरत हैं। इसके तहत दो अगस्त से कार्यबहिष्कार कर वे सभी जिलों में सीएमओ कार्यालय के साथ ही स्वास्थ्य केंद्रों के समक्ष धरना दे रही हैं। बीती नौ अगस्त को स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी से यूनियन के प्रतिनिधिमंडल की वार्ता हुई थी। इस पर शासन ने कुछ मांगों पर सहमति दी थी, लेकिन शासनादेश जारी नहीं होने के कारण आंदोलन जारी है। इसके अगले दिन 10 अगस्त को आशाओं ने सीएम आवास कूच भी किया था। फिर भी उनके संबंध में जीओ जारी न होने पर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करता है। प्रदर्शनकारियों में प्रान्तीय उपाध्यक्ष कलावती चन्दोला, जिलाध्यक्ष सुनीता चौहान, अनिता भट्ट, पुष्पा खंडूड़ी, लक्ष्मी राणा, पूजा, मीना, कान्ति, लीना, सुनीता, रेखा, कल्पेश्वरी, नीरजा, उर्मिला, सानिया, रेखा आदि संख्या में आशा कार्यकत्रियां शामिल थीं।
ये हैं मांगे
आशाओं को सरकारी सेवक का दर्जा दिया जाऐ, न्यूनतम वेतन 21 हजार प्रतिमाह हो, वेतन निर्धारण से पहले स्कीम वर्कर की तरह मानदेय दिया जाए, सेवानिवृत्ति पर पेंशन सुविधा हो, कोविड कार्य में लगी सभी आशाओं को भत्ता दिया जाए, कोविड कार्य में लगी आशाओं 50 लाख का बीमा, 19 लाख स्वास्थ्य बीमा का लाभ, कोरनाकाल में मृतक आशाओं के परिवारों को 50 लाख का मुआवजा, चार लाख की अनुग्रह राशि दी जाए। ओड़ीसा की तरह ऐसी श्रेणी के मृतकों के परिवारों विशेष मासिक भुगतान, सेवा के दौरान दुर्घटना, हार्ट अटैक या बीमारी की स्थिति में नियम बनाए जाएं, न्यूनतम 10 लाख का मुआवजा दिया जाए, सभी स्तर पर कमीशन खोरी पर रोक, अस्पतालों में विशेषज्ञ डाक्टरों की नियुक्ति हो, आशाओं के साथ सम्मान जनक व्यवहार किया जाए, कोरना ड्यूटी के लिये विशेष मासिक भत्ते का प्रावधान हो।
शासन से वार्ता में ये लिए गए थे निर्णय
-आशाओं को छह हजार का मानदेय देने की पेशकश स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने की। अन्य देय भी मिलते रहेंगे।
– प्रत्येक केन्द्र में आशा रूम स्थापित किये जाऐंगे।
-अटल पेंशन योजना में उम्र की सीमा समाप्त करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा।
-आशाओं के सभी प्रकार के उत्पीड़न एवं कमीशनखोरी पर कार्रवाई होगी।
-अन्य सभी मांगों पर सौहार्दपूर्ण कार्यवाही होगी।
-स्वास्थ्य बीमा की मांग पर समुचित कार्यवाही होगी।
-उपरोक्त सन्दर्भ में शासन द्वारा आवश्यक कार्यवाही के बाद अति शीध्र शासनादेश जारी किया जाऐगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।