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March 11, 2025

आशा वर्कर्स, भोजनमाता और आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों ने किया सचिवालय कूच, पुलिस ने रोका, जानिए क्या हैं इनकी मांगे

उत्तराखंड में विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलनरत आशा वर्कर्स, भोजन माताएं और आंगनवाड़ी कार्यकत्रियां ट्रेड यूनियन के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर आज यानी शुक्रवार को सचिवालय कूच किया।

उत्तराखंड में विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलनरत आशा वर्कर्स, भोजन माता और आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों ने ट्रेड यूनियन के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर आज यानी शुक्रवार को सचिवालय कूच किया। सचिवालय के कुछ पहले उन्हें पुलिस ने बैरिकेड लगाकर रोक दिया। इस पर महिलाओं ने सड़क पर ही धरना दिया। इस मौके पर मुख्यमंत्री के साथ ही प्रधानमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किए गए।
आंदोलन के तहत शुक्रवार को गांधी पार्क के निकट सीटू कार्यलय के समक्ष तीनों संगठनों से जुड़ी महिलाएं एकत्र हुईं और यहां से सचिवालय के लिए कूच किया। सचिवालय से कुछ दूर पहले सेंट जोजफ कॉलेज के पास पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इस पर उन्होंने सड़क पर ही धरना दिया। इस मौके पर सभा भी आयोजित की गई।
इस दौरान वक्ताओं ने शासन और प्रशासन पर उनकी उपेक्षा का आरोप लगाया। कहा कि वे लगातार मांगों को लेकर आंदोलन कर रही हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। सभा को सीटू के जिला महामंत्री लेखराज, उपाध्यक्ष भगवंत पयाल, रविन्द्र नौडियाल, आंगनवाड़ी यूनियन से चित्रा, रजनी गुलेरिया, आशा यूनियन से शिवा दुबे, सुनीता चौहान, कलावती चन्दोला, भोजन माता यूनियन से मोनिका , बिमला देवी, रजनी रावत आदि ने संबोधित किया।
गौरतलब है कि आंगनवाड़ी स्वयंसेविकाएं 10 सूत्रीय मांगों, भोजन माताएं 11 सूत्रीय मांगों और आशा वर्कर्स 12 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। समय समय पर सीटू और अन्य यूनियनों के संयुक्त आह्रवान पर उत्तराखंड में इन सेवाओं से जुड़ी महिलाएं सचिवालय, विधानसभा और सीएम आवास कूच कर चुकी हैं। आशा कार्यकत्रियां दो अगस्त से कार्य बहिष्कार पर हैं। फिलहाल कार्यबहिष्कार गढ़वाल मंडल में किया जा रहा है। कुमाऊं में सीएम के आश्वासन पर आशाओं ने आंदोलन स्थगित कर दिया था। इसके तहत समस्त स्वास्थ्य केंद्रों के साथ ही सीएमओ कार्यालय पर धरना दिया जा रहा है।

आंदोलन के दौरान आशाओं की स्वास्थ्य सचिव से वार्ता भी हुई थी। इसमें कुछ बिंदुओं पर सहमति भी बनी थी, लेकिन शासनादेश जारी नहीं हुए। इसी तरह आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों ने 26 अगस्त को विधानसभा के समक्ष प्रदर्शन किया। तब उन्होंने सीएम से मुलाकात भी की। साथ ही उन्हें आश्वासन भी मिला था। इसके बाद 17 सितंबर को बाल विकास मंत्री रेखा आर्य से विधानसभा में मुलाकात हुई थी। इस दौरान आंगनवाड़ी स्वयंसेविकाओं की समस्याओं पर बिंदुवार वार्ता की गई। मंत्री ने भी उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं को कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। ऐसे में आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को कैबिनेट की बैठक में उनकी समस्याओं के संबंध में प्रस्ताव रखने का इंतजार है।


आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों की मांगे
1- आंगनवाड़ी /हेल्पर को कर्मचारी घोषित करने तथा कार्यकत्री को ग्रेड 3 तथा हेल्पर को ग्रेड 4 का दर्जा दिया जाए।
2- आंगनवाड़ी कार्यकत्री को 21000 रूपये, हैल्पर को 18000 रूपये दिया जाए।
3-मिनी आंगनवाड़ी को समान कार्य का समान वेतन दिया जाए।
4-आंगनवाड़ी कार्यकत्री/सेविकाओं को 100 प्रतिशत पदोन्नति मिले तथा आयु सीमा हटायी जाए।
5- महाराष्ट्र की तरह ईएसआई /ग्रेज्युटी दी जाए।
6-आंगनवाड़ी केंद्रों को प्री प्राईमरी घोषित किया जाए।
7-सभी बकाया राशि का भुगतान किया जाए।
8-आंगनवाडियों की बेटियों को नन्दादेवी /गौरादेवी योजनाओं का लाभ दिया जाए।
9-कटा हुआ अशंदान का भुगतान दिया जाए।
10-पोषण ट्रेकर ऐप से सूचनाएं एवम डेटा लीकेज हो रहा है। इसलिए इस ऐप को बन्द किया जाए।
भोजनमाताओं की मांगे
-19 जुलाई 2021 को शिक्षा मंत्री की ओर से भोजन माताओं के मानदेय को 5000 रुपये करने की घोषणा का शासनादेश जारी किया जाए।
-भोजन माताओं की न्यूनतम वेतन, समाजिक सुरक्षा की मांग को पूरा किया जाए।
-न्यूनतम वेतन 18000 रुपये किया जाए।
-प्रदेश में विद्यालयों को बंद करने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए।
-मध्याह्न भोजन योजना का निजीकरण बंद किया जाए। इसे एनजीओ को नही दिया जाए।
-भोजन माताओं को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी घोषित किया जाए।
-भोजन माताओं से अतिरिक्त कार्य न लिया जाए।
-भोजन माताओं को न निकाला जाया तथा निकाली गई भोजन माताओं को कार्य पर वापस रखा जाए।
-भोजन माताओं को 45 व 46वें श्रम सम्मेलन की सिफारिशो के अनुसार मजदूर/ कामगार घोषित किया जाए।
-भोजन माताओं को सेवानिवृती पर ग्रजूवटी व पेंशन दी जाए।
-भोजन माताओं के बोनस का भुगतान अविलंब किया जाए।
आशा वर्कर्स की मांगे
आशाओं को सरकारी सेवक का दर्जा दिया जाऐ, न्यूनतम वेतन 21 हजार प्रतिमाह हो, वेतन निर्धारण से पहले स्कीम वर्कर की तरह मानदेय दिया जाए, सेवानिवृत्ति पर पेंशन सुविधा हो, कोविड कार्य में लगी सभी आशाओं को भत्ता दिया जाए, कोविड कार्य में लगी आशाओं 50 लाख का बीमा, 19 लाख स्वास्थ्य बीमा का लाभ, कोरनाकाल में मृतक आशाओं के परिवारों को 50 लाख का मुआवजा, चार लाख की अनुग्रह राशि दी जाए। ओड़ीसा की तरह ऐसी श्रेणी के मृतकों के परिवारों विशेष मासिक भुगतान, सेवा के दौरान दुर्घटना, हार्ट अटैक या बीमारी की स्थिति में नियम बनाए जाएं, न्यूनतम 10 लाख का मुआवजा दिया जाए, सभी स्तर पर कमीशन खोरी पर रोक, अस्पतालों में विशेषज्ञ डाक्टरों की नियुक्ति हो, आशाओं के साथ सम्मान जनक व्यवहार किया जाए, कोरना ड्यूटी के लिये विशेष मासिक भत्ते का प्रावधान हो।
शासन से वार्ता में आशाओं के संबंध में ये लिए गए थे निर्णय
-आशाओं को छह हजार का मानदेय देने की पेशकश स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने की। अन्य देय भी मिलते रहेंगे।
– प्रत्येक केन्द्र में आशा रूम स्थापित किये जाऐंगे।
-अटल पेंशन योजना में उम्र की सीमा समाप्त करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा।
-आशाओं के सभी प्रकार के उत्पीड़न एवं कमीशनखोरी पर कार्रवाई होगी।
-अन्य सभी मांगों पर सौहार्दपूर्ण कार्यवाही होगी।
-स्वास्थ्य बीमा की मांग पर समुचित कार्यवाही होगी।
-उपरोक्त सन्दर्भ में शासन द्वारा आवश्यक कार्यवाही के बाद अति शीध्र शासनादेश जारी किया जाएगा।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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