कलाकारों ने सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने को किया विचार मंथन, देहरादून में फिर से लौटेंगे पुराने दिनः निवेदिता

देहरादून में संगीत कला एवं सांस्कृतिक गतिविधियों को गति देने के लिए शहर की प्रमुख सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था देवभूमि मानव संसाधन विकास समिति और रंगायन के तत्वाधान में कलाकार करनपुर स्थित द दून सोशल कैफे में एकत्रित हुए। इस दौरान देहरादून तथा उत्तराखंड में संगीत कला व सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए विचार मंथन किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देवभूमि मानव संसाधन विकास समिति के अध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने इस अवसर पर कहा कि देहरादून एक मिनी इंडिया है जहां देश के हर कोने हर प्रांत के लोग रहते हैं। सबसे रोचक बात यह है कि मूलतः टिहरी गढ़वाल रियासत का हिस्सा रहे देहरादून में पर्वतीय संस्कृति के अलावा बंगाल की सबसे प्रसिद्ध दुर्गा पूजा , ओडिसा की जगन्नाथ रथ यात्रा, महाराष्ट्र की गणपति पूजा, गुजरात का डांडिया नृत्य, पंजाब का गिद्दा, बिहार की छठ पूजा और सरस्वती पूजन के कार्यक्रम भी धूम धाम से मनाए जाते है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि आज से तीन चार दशक पूर्व देहरादून छोटा शहर था, किंतु यहां संगीत कला व सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन लगातार होता रहता था। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद देहरादून बड़ा होता गया और यहां सांस्कृतिक गतिविधियों कम होती गयी। उसकी जगह व्यावसायिक आयोजनों की भरमार अवश्य हो गई, जिससे यहां के मूल जन मानस का बहुत लगाव नहीं रहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि आज देहरादून के पुराने लोग कहीं ना कहीं अपने आप को अलग थलग महसूस करने लगे हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि देहरादून की मौलिकता को जीवित रखने के लिए एक ऐसा साझा मंच बनाया जाय, जिसके माध्यम से देहरादून में कला संगीत व सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन हो। साथ ही वे पुराने तार जोड़े जाएं जो कहीं गुम हो रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रंगायन की अध्यक्ष एवं फिल्म कलाकार निवेदिता बौठियाल ने कहा कि धस्माना का प्रस्ताव स्वागत योग्य है और इस क्रम में हमें कोई सकारात्मक पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सूर्यकान्त धस्माना जैसे व्यक्तित्व का संरक्षण अगर कला एवं सांस्कृतिक क्षेत्र के लोगों को मिलेगा, तो निश्चित रूप से देहरादून में फिर से पुराने दिन लौटेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
साहियकार कनिष्क कुमार ने कहा कि हमें कला संगीत पर्यावरण खेल कूद से जुड़े लोगों को एक साथ ला कर देहरादून की मौलिकता की लड़ाई को लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि अस्सी के दशक में देहरादून के रेंजर कालेज और एमकेपी के प्रांगण में कवि सम्मेलन होते थे। नारी शिल्प मंदिर में अनूप जलोटा और पंकज उधास आते थे, अब वो देहरादून कहीं खो गया है। इसको कैसे वापस लाएं, इस पर काम करना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बैठक में विकास रावत, प्रिया उनियाल, निर्मला जखमोला आदि ने भी अपने विचार रखे। गोष्ठी में यह तय किया गया कि देहरादून के विभिन्न कला से जुड़े हुए संगठनों की एक वृहद बैठक बुला कर कोई ठोस पहल की जाय।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।