उत्तराखंड में भू माफियाओं के खिलाफ 21 जुलाई को घर घर धरने की अपील, विभिन्न संगठनों की संयुक्त पहल
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इन संगठनों ने की है अपील
उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत, निर्मला बिष्ट और चंद्रकला, आल इंडिया किसान सभा से गंगाधर नौटियाल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेशनल कौंसिल सदस्य समर भंडारी, चेतना आंदोलन से शंकर गोपाल, विनोद बडोनी, राजेंद्र शाह, सुनीता देवी, रामू सोनी, अशोक कुमार, पप्पू, संजय, मुन्ना कुमार, मुकेश उनियाल, समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. एसएन सचान, सर्वोदय मंडल से बिजू नेगी, पत्रकार, त्रिलोचन भट्ट, जन संवाद समिति से सतीश धौलखंडी की ओर से संयुक्त धरने की अपील गी गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये दिया है नारा
उत्तराखंड से माफिया को भगाओ, गरीबों को बसाओ!
हमें चाहिए जनता का विकास, न कि बुलडोज़र से विनाश!
इसके साथ ही कहा गया है कि आप अपने घरों से ही जुड़ सकते हैं! इन नाराओं को प्लेकार्ड पर लिख कर आप अपने घर में ही या कुछ साथियों के साथ धरना पर बैठ कर अपना विरोध दर्ज करें। किसी को बेघर मत करो और #जनताका विकास हैशटैग के साथ उसका फोटो या वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर देना। हमें भी भेज दीजियेगा। ताकि हम सबका फोटो एक साथ शेयर कर पाएं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये की गई है अपील
साथियो!
कुछ दिन से लगातार उत्तराखंड राज्य में एक बात हमें दिख रही है। भू माफिया लगातार सक्रिय है। विकास परियोजनाओं के नाम पर सारे नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। 2018 के संशोधन के बाद भूमि के लेन देन पर कोई रोक नहीं है। वन अधिकार छीने जा रहे हैं। बड़े पूंजीपतियों और माफिया के लिए कोई कानून और नियम नहीं है, लेकिन गरीबों के हित में जो कानून बना हुआ है, उस पर अमल कहीं नहीं हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यहाँ तक कि विकास और अतिक्रमण हटाने के नाम पर लोगों को बेघर किया जा रहा है। अप्रैल महीने से अब तक रुद्रपुर, टिहरी, हल्द्वानी, देहरादून और अन्य क्षेत्रों के लोगों के घरों को तोड़ा गया है। देहरादून ज़िले में मसूरी, धर्मपुर डांडा, सीमाद्वार, आमवाला तरला और अन्य जगहों में लोगों को बेघर किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसी घटनाओं में भू माफिया का हाथ भी दिख रहा है। जैसे कि देहरादून की आमवाला तरला बस्ती में बसे हुए लोगों का आरोप है कि वे सालों से वहां पर रह रहे हैं और उनसे लाखों पैसे लिए गए थे। उनको यह आश्वासन दिया गया था कि उनको पट्टा मिलेगा। 3 जुलाई को उन्हें धमकी दी कि पूरी रकम तुरंत दो, नहीं तो घरों को उजाड़ा जायेगा। लोगों ने इस बात को सब जगह में उठाया था, लेकिन फिर भी बिना कोई क़ानूनी प्रक्रिया के उनके घरों को 11 तारीख को तोड़ा गया। इस प्रकार की कार्रवाई से प्रशासन का तौर-तरीका पूरी तरह से संदिग्ध दिख रहा है। लोगों को धमकी दी जाती है और तुरंत, बिना नोटिस व समय दिये, बरसात के बीच लोगों को बेघर किया जाता है। ऐसी ही खबर देहरादून के और क्षेत्रों से मिल रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यह समस्या सिर्फ शहरों में नहीं हो रही है। देहरादून जिले में लोहरी गांव के लोगों को अपना शताब्दियों पुराना गांव 48 घंटों के अंदर खाली करना पड़ा। राज्य के और क्षेत्रों से कभी तालाब का क्षेत्र होने के नाम पर, कभी वन विभाग की ओर से, कभी विकास परियोजनाओं के नाम पर लोगों को बेदखल करने की बात चल रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हमारा कहना है कि सरकार हर नागरिक के लिए है। किसी भी परिवार को बेघर करना बहुत बड़ा अत्याचार है जिससे बच्चों, महिलाओं और बुज़ुर्गों की जान खतरे में आती है और एक पूरे परिवार का भविष्य खत्म हो जाता है। हमारी मांग है कि उत्तराखंड से माफिया को भगाया जाये, गरीबों को बसाया जाये। हमें चाहिए जनता का विकास, न की बुलडोज़र से विनाश। इसलिए साथियो! मौसम को ध्यान में रखते हुए हम सब लोग इन मुद्दों को ले कर आगामी बृहस्पतिवार 21 जुलाई को राज्यभर में अपने घरों या अपने संगठनों में ही बैठ कर धरना देंगे। आप भी अवश्य शामिल हों।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।