माफीनामा अस्वीकार, प्रेस क्लब में माफी मांगे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष, नहीं तो आंदोलन, सत्ताधारी पार्टी ने लपका मुद्दा
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पत्रकारों और कांग्रेस नेताओं के बीच हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों पक्षों में धक्कामुक्की की घटना पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने लिखित माफीनामा उत्तरांचल प्रेस क्लब अध्यक्ष को भेजा, लेकिन प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकारों की बैठक में इसे नाकाफी बताया गया। सबने एक स्वर में कहा कि पत्रकारों से अभद्रता सार्वजनिक मंच से की गई। ऐसे में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को प्रेस क्लब पहुंचकर माफी मांगनी होगी। अन्यथा पत्रकार आंदोलन करेंगे। उधर, उत्तराखंड बीजेपी ने हाथों हाथ इसे मुद्दा बना लिया और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के इस्तीफे की मांग कर डाली। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है घटनाक्रम
हर साल उत्तराखंड प्रेस क्लब क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन करता है। इस बार भी इसका आयोजन किया गया और चार दिसंबर को पुलिस लाइन देहरादून स्थित स्टेडियम में फाइनल मैच हुआ। इसी दिन युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय भानु चिब के नेतृत्व में कांग्रेसियों ने रेंजर मैदान से लेकर सचिवालय तक कूच किया। सचिवालय से पहले कांग्रेसियों को गिरफ्तार कर पुलिस लाइन स्टेडियम ले जाया गया। यहां कांग्रेसी नारेबाजी कर रहे थे। या कहें शोर मचा रहे थे। इसी दौरान क्रिकेट प्रतियोगिता का पुरस्कार वितरण भी चल रहा था। इस पर पत्रकारों ने कांग्रेसियों को शोर ना मचाने के लिए कहा। इसी बात पर दोनों पक्षों में विवाद हो गया। विवाद धक्कामुक्की में बदल गया। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा पर आरोप है कि विवाद शांत करने की बजाय वह विवाद बढ़ाने वाले कांग्रेसियों के सुर में सुर मिलाने लगे। साथ ही खुद भी अभद्रता करने में शामिल हो गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
घटना की कड़ी निंदा और कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी को भेजा पत्र
पत्रकारों ने इस घटना की कड़ी निंदा की और उसी दिन चार दिसंबर को उत्तराखंड कांग्रेस की प्रभारी कुमारी शैलजा को पत्र लिखकर उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के नेतृत्व में कांग्रेसियों की ओर से पत्रकारों से मारपीट और महिला पत्रकारों से अमर्यादित व्यवहार करने का आरोप लगाया। प्रेस क्लब अध्यक्ष अजय राणा और कार्यवाहक महामंत्री मीना राणा के हस्ताक्षर से भेजे गए इस पत्र के माध्यम से मांग की गई कि यदि करन माहरा और उनके साथ हंगामा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती तो पत्रकार कांग्रेस के प्रदेश आर्यालय पर धरना और आमरण अनशन करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पांच दिसंबर को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने प्रेस क्लब के अध्यक्ष को पत्र भेजकर पूरे घटनाक्रम को लेकर खेद व्यक्त किया। इसमें करन माहरा ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस प्रशासन का भी दोष है। उन्होंने कहा कि हमेशा की तरह उन्हें और अन्य साथियों को गिरफ्तार कर स्टेडियम की सीढ़ियों में बैठाया गया। उन्हें पता नहीं था कि वहां पत्रकारों का मैच चल रहा है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को भी गलतफहमी में ये लगा कि हम उनका विरोध कर रहे हैं। इसी गहमागहमी में घटना घटित हुई। इसके लिए वह खेद प्रकट करते हैं। कांग्रेस नेता ना ही पत्रकारों को पहचान पाए और ना ही कांग्रेसियों को पत्रकार। ये बात हजम नहीं होती है। हालांकि, इस घटना से एक दिन पहले उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी प्रेस क्लब के मैच में मुख्य अतिथि के रूप में आंमंत्रित थीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पत्र से पत्रकार असंतुष्ट
इस मामले को लेकर कल ही पांच दिसंबर को प्रेस क्लब में आपात बैठक आहूत की गई। बैठक की अध्यक्षता प्रेस क्लब अध्यक्ष अजय राणा व संचालन कार्यवाहक महामंत्री मीना नेगी ने किया। इस दौरान बैठक में मौजूद पत्रकारों ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और कार्यकर्ताओं के इस कृत्य की घोर निंदा की। साथ ही सख्त कदम उठाने की मांग की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रेस क्लब अध्यक्ष अजय राणा ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा की ओर से आये पत्र को सदन में रखा। इस पर सदन में उपस्थित लोगों ने आपत्ति जताते हुए माफीनामा को खारिज करने की मांग की। इस दौरान सभी सदस्यों ने कहा कि सार्वजनिक मंच पर पत्रकारों के साथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की अगुवाई में अभद्रता की गयी है। ऐसे में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का केवल खेद जताना उचित नहीं है। उन्हें प्रेस क्लब में आ कर माफी मांगनी होगी। अन्यथा पत्रकार आंदोलन करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सदन ने प्रस्ताव दिया कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष तीन दिन के भीतर प्रेस क्लब अध्यक्ष के समक्ष आ कर माफी मांगे। अन्यथा उत्तरांचल प्रेस क्लब अपने सभी सदस्यों एवं प्रदेश के पत्रकार समुदाय के साथ मिलकर विरोध स्वरूप धरना एवं आमरण अनशन प्रारंभ करेगा। इसके साथ ही कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व भी मिलेगा। प्रेस क्लब अध्यक्ष अजय राणा ने सदन को आश्वस्त किया कि उनकी मांग के अनुसार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को पत्र भेजा जायेगा और सबके साथ मिल कर पत्रकारों के सम्मान की लड़ाई लड़ी जायेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आपात बैठक में लिये गये निर्णय के अनुसार प्रेस क्लब की ओर से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा को इस संबंध पत्र भेजा गया है कि वे तीन दिन के भीतर प्रेस क्लब अध्यक्ष के समक्ष उपस्थित हो कर चार दिसंबर को पत्रकारों के साथ कांग्रेसियों द्वारा किये गये कृत्य के लिए माफी मांगे। यदि ऐसा नहीं होता है तो पत्रकार उनके खिलाफ आंदोलन करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बैठक में वरिष्ठ उपाध्यक्ष रश्मि खत्री, कनिष्ठ उपाध्यक्ष दरवान सिंह, संयुक्त मंत्री राजीव थपलियाल, कोषाध्यक्ष मनीष भट्ट, सम्प्रेक्षक मनोज ज्याड़ा, कार्यकारिणी सदस्य मंगेश कुमार, विनोद पुंडीर, बालम सिंह तोपवाल, रामानुज आदि मौजूद थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बीजेपी ने मांगा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष से इस्तीफा
इस मामले में बीजेपी को भी राजनीति करने का मौका मिल गया। उत्तराखंड भाजपा ने पत्रकारों पर कांग्रेसियों द्वारा किए हमले के लिए कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा को जिम्मेदार ठहराते हुए नैतिकता के आधार पर उनके इस्तीफे की मांग की है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि केदारनाथ में हार से निराश कांग्रेसी सबको अपना विरोधी मान रहे है। इस घटना ने खाली किताब को संविधान बताने वाले नेताओं वाली पार्टी की पोल पुनः लोकतान्त्रिक विश्वास पर खोल दी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने पत्रकारों के एक कार्यक्रम के दौरान हुई इस घटना को लोकतंत्र के चतुर्थ स्तंभ पत्रकारिकता पर हमला बताया। उन्होंने कहा जिस दौरान यह सारा वाक्या हुआ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा वहां मौजूद थे और अपने कार्यकर्ताओं को समझाने के बजाय उकसाते नजर आए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
महेंद्र भट्ट ने कहा कि एक राष्ट्रीय राजनैतिक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का यह आचरण बेहद शर्मनाक है। लिहाजा उन्हें तत्काल नैतिकता के आधार कर इस्तीफा देना चाहिए। भट्ट ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा चौथे स्तंभ पर हमले के लिए उकसाया गया, जिसके कारण ही उनके कार्यकर्ताओं द्वारा पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार किया गया। इसे लोकतंत्र के लिए किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भट्ट ने कहा कि कांग्रेस के लोग केदारनाथ की हार से पूरी तरह निराश हैं। यही वजह है कि बौखलाहट में उन्हें अब प्रत्येक व्यक्ति अपना विरोधी लगने लगा है। इसलिए वे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को भी प्रताड़ित करने का काम करने लगे हैं। इस प्रकार के कृत्य करने का अधिकार किसी को नहीं है। जिस प्रकार से चौथे स्तंभ पर यह हमला किया गया, वह लोकतंत्र के लिए भी बेहद घातक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने निशाना साधा कि कांग्रेस की भ्रम, झूठ और अफवाह की राजनीति को जनता अच्छी तरह पहचान चुकी है। यही वजह है कि उनकी कल की रैली में उठाए तमाम मुद्दों समय समय पर लोग उन्हें आइना दिखा चुके हैं, लेकिन कांग्रेस के नेता अब भी अपना चेहरा देखने और गलतियों से सबक सीखने के लिए तैयार नहीं है। आज स्थिति यह है कि उसके कार्यक्रमों का जनता बहिष्कार कर रही है चुनाव मे उसे जनता ने किनारे लगा दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यही वजह है कि यह लोग अपनी खीज इसी तरह निकलते हैं। पहले भी कांग्रेस अध्यक्ष उत्तराखण्डियों और विशेषकर गढ़वाल के लोगों के लिए पार्टी कार्यक्रमों में नहीं आने पर थूकने जैसे अभद्र भाषा का प्रयोग कर चुके हैं। जिस पर उन्हें माफी भी मांगी, लेकिन लगता है इस तरह का व्यवहार कांग्रेस का शिष्टाचार बन गया है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि खाली पन्नों वाली किताब को संविधान बताकर घूमने वाले नेताओं वाली पार्टी से लोकतंत्र पर हमले की ऐसी ही उम्मीद की जा सकती है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।