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November 11, 2024

ग्राफिक एरा में एक और नई खोज, पौधों से औषधीय तत्व निकालने की नई तकनीक विकसित, 20 साल के लिए मिला पेटेंट

उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणीय संस्था ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दवाओं के कारोबार को नए आयाम देने वाली एक नई खोज की है। इसके जरिये पौधों से बनाई जाने वाली दवाओं के उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव आ जाएंगे।

उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणीय संस्था ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दवाओं के कारोबार को नए आयाम देने वाली एक नई खोज की है। इसके जरिये पौधों से बनाई जाने वाली दवाओं के उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव आ जाएंगे। अभी तक किसी पौधे से जितनी दवा बन पा रही थी, इस नई खोज के बाद अब उतने ही पौधे से दो से तीन गुनी अधिक दवा तैयार की जा सकेगी। ग्राफिक एरा की इस खोज को केंद्र सरकार ने पेटेंट देकर अपनी स्वीकृति दे दी है।
देहरादून स्थित ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के बायोटेक एंव लाइफ साईंस डिपार्टमेंट के वैज्ञानिकों ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान के साथ मिलकर यह बड़ी खोज की है। करीब तीन साल के तमाम अनुसंधानों के बाद यह कामयाबी मिली है। यह खोज करने वाले वैज्ञानिकों के दल के प्रमुख व ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ नवीन कुमार बाजपेई ने बताया कि कमरे के तापमान पर एक विशिष्ट दबाव उत्पन्न करके पौधों, पत्तों आदि से विभिन्न औषधीय तत्व निकालने की इस तकनीक के चौंकाने वाले परिणाम सामने आये हैं।
यह तकनीक अपनाने पर उतने ही पौधे से दो से तीन गुना अधिक प्रमुख औषध तत्व प्राप्त किए जा सकते हैं। इसके जरिये रुद्राक्ष की पत्तियों से दो गुने से अधिक फिनोलिक तत्व निकालने में मिली सफलता इस नई खोज का आधार बनी। इस तकनीक के जरिये बहुत कम खर्चें पर काफी कम समय में औषधियों के लिए आवश्यक तत्वों को पौधों, पत्तियों आदि से निकाला जा सकता है।

यह खोज करने वाली टीम में ग्राफिक एरा के शिक्षकों डॉ नवीन कुमार और डॉ पंकज गौतम के साथ बायोटेक के पीएचडी के स्कॉलर्स पायल गुप्ता, स्वाति जोशी और साक्षी पैन्यूली, केंद्र सरकार के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान की डिपास लैब की डॉ शिप्रा मिश्रा व डॉ राजकुमार तुलस्वानी शामिल थे।बायोटेक डिपार्टमेंट में वर्ष 2011 में इस अनुसंधान की शुरूआत की गई थी। इसके करीब तीन साल बाद इस तकनीक को पेटेंट कराने के लिए अनुसंधान से जुड़े दस्तावेज केंद्र सरकार के पेटेंट कार्यालय में जमा कर दिए गए थे। तमाम परीक्षणों और जांच के बाद चार दिन पहले केंद्र सरकार ने इस तकनीक का पेटेंट ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के नाम दर्ज कर लिया। बीस वर्षों के लिए यह पेटेंट किया गया है।
ग्राफिक एरा एजुकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला ने एक के बाद एक नई खोजों पर खुशी जाहिर करते हुए वैज्ञानिकों के इस दल को बधाई दी। उन्होंने कहा कि कारपोरेट सैक्टर और उद्योग जगत को कुशल प्रोफेशनल देने के साथ ही ग्राफिक एरा नई खोजों के जरिये विश्व को लगातार बड़े उपहार देकर इस दिशा में भी अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर रहा है। ये खोजें मानवता की एक बड़ी सेवा हैं और जिंदगी का अंदाज बदलने तथा उसे सुरक्षित व सुविधापूर्ण बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगी।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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