युवा कवयित्री अंजली चंद की कविता-वो कहते हैं
वो कहते हैं
जाना चाहता है कोई
तो जाने दो ना
तुम्हारे रोक देने से कुछ पल के लिए रुक जाएंगे
ग़र जाना वो चाहते हैं हरगिज़ जाएंगे।
वो कहते हैं
भीड़ हजारो की है
वो जाएंगे दूसरे आ जाएंगे
किस लहजे में वाकिफ़ कराये अब उन्हें
हज़ारो की भीड़ में से तो चुना था
भीड़ हजारो की हो तो भी तो वो ही नजर आयेंगे। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
वो कहते हैं
चलो अब भूल जाओ
नये सिरे से नयी शुरूवात करते हैं
कैसे समझाये शुरूवात एक से शुरू होकर एक में खत्म हो जाती है
इंसान बदल देने से शुरूवात नयी नहीं होती।
वो कहते हैं
सलीक़ा बदल लो जीने का
कैसे समझाये जीवन से बग़ावत कर
कई दफ़ा बदला है
सलीक़ा बदलने का ही तो ये प्रमाण है। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
वो कहते हैं
इस अस्थाई जीवन में
कब तक खुद से बेर कर ख़ुद को बेरंग रखोगे
किस लहजे में इत्तला करें
सातों रंग ओढ़कर भी जीवन रंगहीन ही था
अब साझा ना कर सकेंगे रंगो वाली ओढ़नी।
वो कहते हैं
सपने हकीकत नहीं होते
फुर्सत में खुद के लिए बुने गये असंभव ख्वाब होते हैं,
कैसे बताए कि
चुनौती स्वंम ही राह होती है,
मुश्किल मंजिल की राह होती है,
अपमान सही दिशा की राह होती है,
हर हार एक नयी सीख की राह होती है,
हर खूबी एक ताकत की राह होती है,
और
सपने अगर जगने की वजह बन जाए तो
वो हक़ीक़त के सफ़र की राह होती है।
कवयित्री का परिचय
नाम – अंजली चंद
खटीमा, उधमसिंह नगर, उत्तराखंड। पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी नौकरी की तैयारी।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।