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December 4, 2025

जीव जंतु भी करते हैं आपस में बात, जानिए बात करने के तरीके, तोतों की वीडियो काल सुनकर हैरत में पड़े वैज्ञानिक, पढ़िए रोचक खबर

क्या आप जानते हैं कि इस धरती पर इंसान की तरह अन्य जीव जंतु भी आपस में बात कर सकते हैं। हालांकि, वे इंसान की तरह बात नहीं करते, लेकिन आपसी संकेत, आवाज के तरीकों से एक दूसरे को संभावित खतरे या अन्य बातों को समझा देते हैं। है ना ये प्रकृति आश्चर्यों से भरी। मानव जाति संवाद करने के लिए भाषा का इस्तेमाल करती है, उसी प्रकार अन्य जीव-जन्तु आपस में अपने तरीके से संवाद करते हैं। यह बात जीवों पर किए गए अध्ययनों से सिद्ध हो चुकी है कि मनुष्य की तरह अन्य प्राणियों की भी अपनी तरह की भाषा होती है। वे अपने संदेशों को अपने तरीकों से एक दूसरे तक पहुंचाते हैं। वे अपने अभिव्यक्ति के उपकरणों का प्रयोग करके मनुष्य से कहीं अधिक अनुशासित और व्यवस्थित संवाद स्थापित करते हैं। उनकी विशेषताओं और क्षमताओं को मानव की क्षमताओं से किसी भी प्रकार से कम नहीं आंका जा सकता हैं। यहां हम ऐसे ही अध्ययनों से निकले निष्कर्षों के बार में बता रहे हैं। यदि आपको खबर अच्छी लगे तो शेयर करें। साथ ही हमारे व्हाट्सएप ग्रुप और फेसबुक पेज को फालो भी करें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डांस के जरिये दूसरे से बात करती हैं मधुमक्खियां
मधुमक्खियों सामाजिक होती हैं। वे विशेष प्रकार के ‘डांस’ द्वारा एक-दूसरे से बातचीत करती हैं। आस्ट्रिया के जीवशास्त्री कार्ल वार्न फ्रिश ने जर्मनी के म्युनिख में रहकर मधुमक्खियों की संवाद कुशलता पर अध्ययन किया। उन्होंने पता लगाया कि मधुमक्खियां विशेष प्रकार के नृत्यों द्वारा संदेश प्रेषित करती हैं। 1967 में प्रकाशित उनकी किताब ‘द डांस लैग्वेज एंड ओरिएन्टेशन ऑफ बीज्स’ में मघुमक्खियों के कई प्रकार के डांस बताए। इनसे अलग-अलग संदेश प्रेषित होते हैं, जैसे ‘वैगल डांस’ जो बताता है कि भोजन का स्रोत पास ही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मधुमक्खियां भेजती हैं संदेश
‘राउंड डांस’ बताता है कि भोजन छत्ते से 50 मीटर की दूरी के अंदर है। ‘सिकल डांस’ बताता है कि भोजन या पानी लगभग 150 मीटर की दूरी पर है। संदेश पाने के बाद मजदूर मधुमक्खियां अपने काम पर लग जाती हैं। इसी प्रकार छत्ते पर खतरा पैदा होने पर संदेश भेजे जाते हैं, जिससे सैनिक मधुमक्खियां संभावित खतरे पर हमला प्रारंभ कर देती हैं। इस महत्वपूर्ण खोज के लिए वैज्ञानिक कार्ल वॉन फ्रिश को वर्ष 1973 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जीव-जंतुओं की बुद्धि
मधुमक्खियों की भाषा पढ़ने में भारतीय वैज्ञानिक जगतपति चतुर्वेदी ने भी अपना योगदान दिया है। उन्होंने अपनी किताब ‘जीव-जंतुओं की बुद्धि’ में बताया है कि यदि मधुमक्खियों के नृत्य की गति धीमी है तो इसका अर्थ है कि फूलों का जो स्रोत उनके द्वारा तलाशा गया है, उसमें पराग की मात्रा कम है, ऐसे में संख्या में कम मजदूर मधुमक्खियों को जाने की आवश्यकता है। यदि नृत्य की गति तेज है तो इसका अर्थ है कि पराग की बहुलता है और अधिक संख्या में मजदूर मधुमक्खियां भोजन के स्रोत तक जाएं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दीमकों के संदेश और संकेत
अमेरिकी जीवशास्त्री हेराल्ड हीथ ने दीमकों पर अध्ययन किया। उन्होंने शोध में पाया कि दीमकें जिस बॉम्बी में रहती हैं, उसमें कई प्रकार के कमरे होते हैं। कमरों की बनावट उनके सामाजिक ताने-बाने के अनुसार होती है। राजा-रानी के लिए बड़े और विशेष कमरे होते हैं, बल्कि अन्य दीमकों के लिए छोटे कमरे होते हैं। यदि कॉलोनी में कोई दीमक भूखी हो तो वह मजदूर दीमकों के सींगनुमा एंटीनाओं को स्पर्श करती है, यही उनका भोजन मांगने का तरीका होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

राजा बनने वाले का भोजन मांगने का तरीका
यदि भोजन मांगने वाला दीमक बच्चा है और आगे चलकर कॉलोनी का राजा बनने वाला है तो इस राजकुमार दीमक का भोजन मांगने का तरीका और मजदूर दीमकों का भोजन देने का तरीका दोनों भिन्न होगा। वह रौबदार तरीके से मजदूर दीमकों से भोजन की मांग करेगा है और मजदूर दीमकें अपने मुंह से एक तरल निकालकर उस उत्तराधिकारी राजकुमार को अविलम्ब आहार प्रदान करेंगी। यदि भोजन की मांग करने वाला मजदूर का बच्चा है तो दीमकें उसे आंतों के पिछले हिस्से से पदार्थ निकालकर देंगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चीटियां करती हैं विशेष संकेतों का प्रयोग
चीटियां भी सामाजिक जीव होती हैं। उनका सामाज रानी, सैनिक, मजदूर आदि में विभाजित रहता है। वे आपसी संवाद के लिए विशेष संकेतों को प्रयोग करती हैं। उनकी मूक भाषा में भी गहराई होती है। साथ ही सूक्ष्मता और बुद्धिमता दिखायी देती है। वे अपने संकेतों से रास्ते का चुनाव करती हैं। टीम बनाकर बोझा ढोने का काम करती हैं। खतरों से निपटने के लिए सैनिक चीटियों को बुलाती हैं। मौसम को पूर्वानुमान लगाकर अपने अंडों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का कार्य प्रारंभ कर देती हैं। मौसम विज्ञानी भी जीव जंतुओं की व्यवहार को समझकर मौसम के पूर्वानुमान लगाने की विधियों पर काम कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गिद्ध आपस में बातचीत करते हैं
भारतीय समाज में गिद्ध को अशुभ पक्षी माना जाता है, लेकिन वह विशेष प्रकार की चैंओं-चैओं की आवाज द्धारा अपने साथियों को बता देता है कि किस किस्म के जानवार का मृत शरीर पड़ा हुआ है, किस स्थान पर और कितने गिद्धों के लिए भोजन उपलब्ध है। इस आवाज को जब दूसरा गिद्ध सुनता है तो वह भोजन के स्रोत की ओर उड़ने से पहले उसी प्रकार की आवाज निकालर अपने पीछे वाले गिद्धों को संदेश भेज देता है। इस प्रकार की अनूठी संवाद प्रक्रिया द्धारा गिद्ध आपस में बातचीत करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऑक्टोपस को कहा जाता है बुद्धिमान जीव
इसी प्रकार समुद्र में रहने वाले जीव भी आपसी संवाद के लिए विशेष तकनीकों का इंस्तेमाल करते हैं। व्हेल मछलियां प्रकृति प्रदत्त सोनार सिस्टम द्धारा आपस में संवाद करती हैं। ऑक्टोपस को बुद्धिमान जीव कहा जाता है। वह अपनी बुद्धिमत्ता को आपसी संवाद में प्रकट करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कीटों की भी होती है अपनी भाषा 
छोटे कीटों की भी अपनी भाषा होती है। वे अंग स्पर्श द्वारा संवाद करते हैं। उनके अंग स्पर्श करने के तरीके बेहद व्यवस्थित और श्रृंखलाबद्ध होते हैं, जिससे विशेष संदेश संचारित होते हैं। समान जाति के जीव इन संदेशों को भलीभांति समझते हैं और प्रतिक्रिया व्यक्त कर बहुमार्गी कम्युनिकेशन चैनल का निर्माण करते हैं। अपने साथी के किस अंग को किस प्रकार छुएं या पकडे़ं, इस प्रक्रिया से वे अपने साथियों को मन की बात बता देते हैं। ध्वनि, हलचल और स्पर्श से छोटे जीवों में संदेशों का आदान प्रदान होता है। हमें वे देखने में मूक लग सकते हैं, लेकिन उनकी घ्वनियां इतनी कम होती हैं कि हमारे कान उन्हें सुन नहीं सकते हैं, लेकिन ये छोटे जीव उन्हें सुन और समझ लेते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

टिड्डों की 400 प्रकार की ध्वनि
मेढ़क अपनी टर्र-टर्र की आवाज द्वारा अपने साथियों को अपनी मानसिक स्थिति और इच्छाओं के बारे में अवगत कराता है। टिड्डे अपने पंखों पर पिछले पैरों को रगड़कर ध्वनि उत्पन्न करते हैं। वैज्ञानिकों ने टिड्डों द्वारा उत्पन्न करीब 400 प्रकार की ध्वनि रिकॉर्ड की हैं, इसमें से कुछ प्रणय संबंध के लिए भी होती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जुगनू प्रकाश निकालकर करते हैं संवाद
कुछ जीव शरीर से प्रकाश उत्पन्न कर आपस में बातचीत करते हैं। रेलरोड कीड़ा के शरीर से लाल हरे रंग का प्रकाश निकलता है। जुगनू भी अपने शरीर प्रकाश निकालकर आपस में संवाद करते हैं। इनके शरीर से निकलने वाला प्रकाश की मात्रा और रंग समान नहीं होत है, बल्कि ये प्रकाश कभी तीव्र तो कभी मंद होता है। प्रकाश की इसी तीव्रता और रंग में संदेश छुपे होते हैं, जिसे समान जाति के कीड़े आसानी से समझ लेते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

तोतों ने तो वैज्ञानिकों को किया हैरान
टेक्नोलॉजी सिर्फ इंसानों के लिए ही फायदेमंद नहीं है, बल्कि ये तरह-तरह के जीव-जंतुओं के लिए भी फायदेमंद साबित हो रही है। क्या आपने कभी सुना है कि तोते भी वीडियो कॉल पर बात करते हैं? जी हां, आजकल ऐसा ही एक मामला चर्चा में है, जिसने सभी को हैरान कर दिया है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने हाल ही में इससे जुड़ा एक रिसर्च किया है, जिसके तहत तोतों को वीडियो कॉल पर बात करना सिखाया गया और देखा गया कि वो बात करते हैं या नहीं। अगर करते हैं तो किस तरीके से करते हैं। इस रिसर्च के नतीजों ने वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सिखाया टच स्क्रीन फोन को चलाना
यूएसए टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ये अनोखा रिसर्च यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो और नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मिलकर किया है। इसके लिए पहले तो अमेरिका के अलग-अलग इलाकों से 18 तोतों को चुना गया था। फिर उन्हें टच स्क्रीन फोन चलाना सिखाया गया और उसके बाद उन्हें सिखाया गया कि वीडियो कॉल कैसे करते हैं। वीडियो कॉल के जरिये उनकी बात दूसरे तोतों से करवाई गई। इतना ही नहीं, उनके पास एक घंटी भी रख दी गई थी, जिसके जरिये उन्हें बताया जा रहा था कि कब वीडियो कॉल करना है। दरअसल, जब भी घंटी बजाई जाती थी, उसका मतलब होता था कि अब वीडियो कॉल करना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

5 मिनट से ज्यादा कॉल नहीं
रिपोर्ट्स के मुताबिक, तोतों के मालिकों को साफ तौर पर ये हिदायत दी गई थी कि वो अपने पालतू पक्षियों को सिर्फ 5 मिनट तक ही मोबाइल की स्क्रीन दिखाएं, इससे ज्यादा नहीं। अगर इतने टाइम के अंदर ही तोते अगर गुस्से में आ जाएं या उन्हें डर लगने लगे तो कॉल को तुरंत ही काट दें। वैज्ञानिकों ने बताया कि तोतों को इस तरह से ट्रेंड कर दिया गया था कि उन्हें ये पता चल चुका था कि वीडियो कॉल पर जिसे वो देख रहे होते हैं, वो कोई जीता जागता तोता ही होता है, कोई बनावटी वीडियो नहीं चल रहा होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
15 तोतों ने दिखाई बात करने में दिलचस्पी
वैज्ञानिकों ने बताया कि रिसर्च के दौरान ये पाया गया कि 15 तोते एक दूसरे से खूब बातें कर रहे थे, जबकि 3 तोते ऐसे थे, जिन्हें वीडियो कॉल में कोई रूचि नहीं थी। शोधकर्ता मानते हैं कि वीडियो कॉल पर तोतों की एक दूसरे से बात करवाई जाए तो उनका अकेलापन दूर होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
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Bhanu Prakash

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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