उत्तराखंड में आपदाओं से निपटने के लिए अब तक विकसित नहीं हुआ प्रभावी तंत्रः डॉ. हरक सिंह रावत

उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने राज्य के आपदा प्रबन्धन को पूरी तरह नाकाम बताया। साथ ही कहा कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जहां राज्य गठन के समय ही अलग से आपदा प्रबन्धन मंत्रालय का गठन किया गया था। इसके बावजूद राज्य में आपदाओं से निपटने के लिए अब तक कोई प्रभावी तंत्र विकसित नहीं हुआ है। इसके कारण प्राकृतिक व मानवीय आपदाओं से निपटने के लिए कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देहरादून स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में उन्होने कहा कि यह भी बड़ी विडंबना और आश्चर्य का विषय है कि राज्य का आपदा प्रबन्धन उपनल एवं अस्थायी कर्मचारियों के भरोसे छोड़ा गया है। डॉ. ने कहा कि अभी हाल ही में उत्तरकाशी के धराली एवं पौडी जनपद के अनेक स्थानों पर भीषण दैवीय आपदा का दंश लोगों को झेलना पड़ा है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबन्धन विभाग का कार्य स्वयं मुख्यमंत्री देख रहे हैं। उनके पास अन्य कई महत्वपूर्ण विभाग हैं। इतना होना पर्याप्त नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि राज्य में प्रत्येक वर्ष आने वाली भीषण आपदाओं को दृष्टिगत रखते हुए आपदा प्रबन्धन विभाग एक महत्वपूर्ण विभाग है। इसका दायित्व किसी अन्य मंत्री को दिया जाना चाहिए था। ताकि आपदा के समय इस जिम्मेदारी का सही से निर्वहन किया जा सके। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के समय आपदा के लिए 100 प्रतिशत बजट केन्द्र सरकार वहन करती थी, जबकि वर्तमान में 90 प्रतिशत केन्द्र व 10 प्रतिशत राज्य सरकार वहन कर रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यही नहीं, वर्तमान में प्रदेश में आपदा का बजट मात्र 1012 करोड है। इसे बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से धराली आपदा के लिए 40 करोड़ रूपये के बजट का आवंटन किया गया है, जबकि पौडी सहित अन्य जनपदों में भी लोगों को आपदा से जूझना पड़ा है, परन्तु अन्य आपदाग्रस्त क्षेत्रों के लिए बजट आवंटित नहीं किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस नेता डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से अन्य जिलों के लिए भी समुचित बजट आवंटित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि धराली जैसी आपदा में मृतकों के परिजनों को केवल 4 लाख तथा घायलों को 2 लाख का प्रावधान किया गया है। इसे बढ़ाकर कम से कम 25 लाख एवं 10 लाख किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अंगभंग की हानि होने की स्थिति में मात्र 74000 रूपये तथा 40 से 60 प्रतिशत विकलांगता पर केवल 2.50 लाख रूपये का प्रावधान किया गया है, जबकि 60 प्रतिशत विकलांगता पर कम से कम 15 लाख रूपये का मुआबजा दिया जाना चाहिए। ताकि विकलांग व्यक्ति अपनी आजीविका चला सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने यह भी कहा कि आपदा में घायलों का सम्पूर्ण उपचार राज्य सरकार की ओर से मुफ्त में किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आपदा के कारण जिन लोगों के घर बह गये हैं, उन्हें केवल 2500 रूपये देकर उनका मजाक उड़ाने का काम सरकार कर रही है। ऐसे परिवारों को कम से कम इतनी राहत राशि दी जानी चाहिए कि वे अपनी आजीविका चला सकें। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार कृषि भूमि तथा फसलों के बहने पर भी किसानों को समुचित मुआवजा दिया जाय। इसी प्रकार पशुधन की हानि होने पर दिये जाने वाले मुआवजे को बढ़ाया जाय। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. हरक सिंह रावत ने यह भी कहा कि केदारनाथ आपदा के समय तत्कालीन राज्य सरकार की ओर से शासनादेश जारी कर होटल व्यवसाय, रिजार्ट, लॉज वालो के नुकसान की भरपाई के लिए उचित मुआबजे का प्रावधान किया गया था। वर्तमान में भी इन व्यवसायियों को बाजार मूल्य पर मुआबजा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के स्तर पर भी राज्य में दीर्घकालीन आपदा प्रबन्धन तैयारियों के लिए राज्य को विषेश पैकेज का प्रावधान किया जाना चाहिए। उन्होंने मैदानी क्षेत्रों में आपदा से घरों को हुए नुकसान, झोपडियों, गौशालाओं, विद्यालयों, स्वास्थ्य केन्द्रों पंचायत व सार्वजनिक भवनों को हुए नुकसान की भी उचित क्षतिपूर्ति की मांग की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. हरक सिंह रावत ने समाचार पत्रों में छपी खबर – सरकार आपदा में पहुंची गैरसैण, पर भी तंज कसते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य सरकार विधानसभा सत्र नहीं, बल्कि हिमालय के ऐवरेस्ट में चढ़ रही हो। उन्होंने कहा पूरा राज्य आपदा का दंश झेल रहा है तथा राज्य के लिए यह सैर सपाटे का समय नहीं है। राज्य सरकार के मंत्री हेलीकॉप्टर से गैरसैण पहुंच रहे हैं। अन्य विधायक सड़क मार्ग से अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पत्रकार वार्ता में महिला कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ज्योति रौतेला, प्रदेश प्रवक्ता डॉ. प्रतिमा सिंह, शीशपाल सिंह बिष्ट, सोशल मीडिया सलाहकार अमरजीत सिह, डीएवी पीजी कॉलेज देहरादून छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष, वरिष्ठ आंदोलनकारी एवं देहरादून मेयर का चुनाव लड़ चुके विरेन्द्र पोखरियाल, विनोद चौहान एवं एनएसयूआई अध्यक्ष विकास नेगी उपस्थित थे।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।