ग्राफिक एरा में पहाड़ के जायके को सितारा संस्कृति से जोड़ने का प्रयास

देहरादून स्थित ग्राफिक एरा ने उत्तराखंड के पारंपरिक स्वादों को सितारा संस्कृति से जोड़ने के लिए एक कदम उठाया है। गढ़वाली और कुमांऊनी रसोई की पहचान को आगे बढ़ाने के लिए वर्कशॉप का आयोजन किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वर्कशॉप की मुख्य अतिथि द हिमालयन रसोईया के नाम से पहचाने जाने वाली शेफ योजना खंडूरी ने कहा कि पारंपरिक भोजन केवल पकवान नहीं, बल्कि हमारी पहचान और आत्मा का हिस्सा है। साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें अपने स्थानीय और पारंपरिक पहाड़ी व्यंजनों पर गर्व करना सीखना चाहिए क्योंकि यही हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का माध्यम है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वर्कशॉप में दो पारंपरिक व्यंजनों को तैयार किया गया, सुंदरकला (पहाड़ी पास्ता) और मंडवे का हलवा। इन व्यंजनों के माध्यम से पहाड़ के अनमोल स्वादों और स्थानीय सामग्रियों की महत्ता को रेखांकित किया गया। सुंदरकला ने परंपरा और नवाचार का सुंदर मेल प्रस्तुत किया, जबकि मंडवे का हलवा उत्तराखंड की स्वास्थ्यवर्धक मिठास का प्रतीक बनकर उभरा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
छात्र-छात्राओं ने न केवल इन व्यंजनों को बनाना सीखा, बल्कि उतने ही चाव से इन पहाड़ी व्यंजनों का ज़ायका लिया। ग्राफिक एरा ने पहाड़ के व्यंजनों को सितारा संस्कृति का अंग समझे जाने वाले होटल मैनेजमेंट के छात्र-छात्राओं से जोड़कर इन्हें सितारा संस्कृति से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वर्कशॉप का आयोजन ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट ने किया। कार्यक्रम में डिपार्टमेंट के एचओडी अमर डबराल के साथ शेफ मोहसिन खान, आकाश रावत, डा. रवीश कुकरेती अन्य शिक्षक शिक्षिकाएं और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।