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December 23, 2024

देश की जनता से माफी मांगें अमित शाह, पद से दें इस्तीफाः गुरदीप सिंह सप्पल

भारत के संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंडेबकर को लेकर राज्यभा में गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी के विरोध को कांग्रेस ने बड़ा मुद्दा बना लिया। उनके इस्तीफे की मांग को लेकर कांग्रेस पार्टी ने देशभर में कैंपेन शुरू कर दिया है। इस कड़ी में 22 और 23 दिसंबर को कांग्रेस के नेताओं ने 150 से ज्यादा शहरों में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। 24 दिसंबर को देशभर के सभी जिला मुख्यालयों में ‘बाबा साहेब आंबेडकर सम्मान मार्च’ निकालकर राष्ट्रपति के नाम गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग को लेकर जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया जाएगा। 27 दिसंबर को कर्नाटक के बेलगावी में पार्टी बड़ी रैली होगी। कांग्रेस गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी तक इस मुद्दे को देशभर में उठाएगी। इसी कड़ी में देहरादून पहुंचे कांग्रेस सीडब्लूसी सदस्य एवं वरिष्ठ नेता गुरदीप सिंह सप्पल ने देहरादून में कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस वार्ता की। इस दौरान उन्होंने कहा कि संसद में संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का अपमान करने पर गृह मंत्री अमित शाह देश की जनता से माफी मांगे। साथ ही अपने पद से इस्तीफा दें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि संविधान के 75वें वर्ष के अवसर पर संसद सत्र के दोनों सदनों में संविधान पर व्यापक चर्चा की गई। इस दौरान पक्ष औैर विपक्ष सभी दलो के चुने हुए सासंदो ने सदन की गरिमा और मर्यादा का ध्यान रखते हुए पुरजोर रूप से अपनी बाद रखी। संविधान पर अपने विचार रखते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमितशाह ने बाबा साहेब का अपमान करते हुए कहा कि अंबेडकर अंबेडकर अंबेडकर कहना तो जैसे आजकल फैशन बन गया है, इतनी बार अगर ईश्वर का नाम लिया होता तो ईश्वर स्वयं मिल जाते। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि केन्दीय गृहमंत्री के द्वारा बाबा साहेब के इस अपमान से देश का जनमानस आहत हुआ है। इस अपमान से ना सिर्फ अमितशाह, बल्कि संघ और भाजपा कि संविधान और बाबा साहेब से नफरत उजागर हुई है। बाबा साहेब का अपमान भी भाजपा ने किया और माफी मांगना तो दूर देश में कांग्रेस और अंबेडकर के रिशतों को लेकर झूठ फैलाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि आरएसएस और भाजपा का इतिहास, कोशिशें और काम इस बात के गवाह हैं कि संघ और भाजपा मनुस्मृति के आधार पर भारतीय संविधान चाहते थे। इसीलिए ऑर्गनाइज़र मैगज़ीन में संविधान बनने के तीन दिन बाद लिखा था कि भारत के संविधान से वो सहमत नहीं हैं। जनवरी 1993 में उनका व्हाइट पेपर आया था, जो संविधान बदलने की बात करता है। इण्डियन एक्सप्रेस में आरएसएस के राजेंद्र सिंह संविधान बदलने के लिए लिखते हैं और तब के बीजेपी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी इसकी माँग करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि वाजपेयी सरकार ने कॉस्ट्यिूशन रिब्यू कमीशन बनाया था। जिसे राष्ट्रपति के आर नारायणन ने ख़ारिज कर दिया था, लेकिन आरएसएस और बीजेपी हमेशा से ही संविधान विरोधी रही है। 1952 में हुए लोकसभा के पहले चुनाव में 489 में से कांग्रेस को 364 सीट पर जीत के साथ 75 फीसद बहुमत मिला था। हिंदू महासभा को सिर्फ़ 4 और भारतीय जनसंघ जो बीजेपी का पुराना अवतार थी, उसे 3 सीट मिली थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस बहुमत का इस्तेमाल लोकतंत्र और संविधान की जडों को मजबूत करने के लिए किया। जवाहरलाल नेहरू और डा. अंबेडकर हिन्दू कोड बिल लाना चाहते थे। 11 दिसंबर 1949 को आरएसएस ने दिल्ली के रामलीला मैदान में बिल के विरोध में रैली की। अगले दिन आरएसएस ने असेंबली संसद भवन का मार्च किया और बिल और नेहरू विरोधी नारे लगाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस मार्च में आरएसएस कार्यकर्ताओं ने नेहरू और डॉ अंबेडकर के पुतले जलाए। आंदोलन का नेतृत्व स्वामी करपात्री महाराज ने किया था, जो ब्राह्मणों के क्षेत्र में एक अछूत अंबेडकर के दखल के ख़िलाफ़ थे। 1950 और 1951 नेहरू, अंबेडकर ने बिल पास करने की कई बार कोशिश की, लेकिन आरएसएस और दूसरे रूढ़िवादियों के विरोध के कारण सफल नहीं हुए। ऐसे मुठ्ठीभर रूढ़िवादी कांग्रेस में भी थे, जो महिलाओं को अधिकार देने को धर्म विरुद्ध मानते थे। 17 सितंबर 1951 को स्वामी करपात्री और उनके लोगों ने संसद का घेराव किया, जिसमें लाठीचार्ज भी हुआ। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गुरदीप सिंह सप्पल ने कहा कि इस बीच 1952 का पहला लोकसभा चुनाव घोषित हो गया। ये बिल नेहरू के चुनाव का मुख्य मुद्दा बन गया। इस चुनाव में नेहरू ने और कांग्रेस ने ज़बरदस्त जीत हासिल की। कांग्रेस को देश भर में 364 सीट मिलीए जनसंघ को 3 और हिंदू महासभा को 4 सीट ही मिली थी। नेहरू और डॉ अंबेडकर का महिलाओं को अधिकार देने का प्रयास संघ और हिंदू महासभा को चुनाव में हरा कर ही आगे बढ़ सका था। उसी के बाद नेहरू ने हिंदू कोड बिल को चार अलग अलग बिल में बांट कर संसद में पास किया था। उन्होंने कहा कि आज भारत की महिलायें जो कर सकी हैं, उनकी स्थिति में आज़ादी के बाद जो बदलाव हुआ है, उसमें नेहरू और अंबेडकर की सोच का और संघर्ष का पूरा योगदान है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि डॉ अम्बेडकर की निराशा और इस्तीफ़े का कारण आरएसएस हिंदू महासभा का और दूसरे रूढ़िवादियों का ज़बरदस्त विरोध था। आज संघ के लोग मजबूरी में डॉ अंबेडकर को मानते हैं, क्योंकि उनका विरोध राजनैतिक रूप से ख़तरनाक है। बाबा साहेब के जीतेजी आरएसएस और हिन्दू महासभा के द्वारा उनका विरोध इतिहास में दर्ज है। बाबा साहेब की इससे बड़ी जीत नही हो सकती कि जिन लोगों ने दिल्ली के रामलीला मैदान में उनके पुतले जलाए थे और गालियां दी थी, आज वहीं लोग उनके सामने घुटने टेकने का काम कर रहे है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कांग्रेस नेता सप्पाल ने कहा कि बाबा साहेब को संविधान सभा में लाने वाली भी कांग्रेस थी। जब बंगाल से बाबा साहेब की सीट पाकिस्तान बंटवारें में चली गई थी, तो मुम्बई से अपने साथी को इस्तीफा दिलवाकर अंबेडकर को मुम्बई की सीट से सदन पहुचाने वाली भी कांग्रेस थी। उन्हे कांग्रेस के द्वारा संविधान ड्राफटिंग कमेटी का चौयरमैन नियुक्त किया गया। उनको भारत सरकार की पहली केबिनेट में ला मिनिस्टर बनाया गया। संसद परिसर में बाहर की तरफ अम्बेडकर की दो प्रतिमाएं है। दोनो ही कांग्रेस की सरकार द्वारा स्थापित की गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि यहां यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है की कांग्रेस ने बाबा साहेब अंबेडकर पर कोई एहसान नही किया, वह इस सम्मान के हकदार हैं और हमेशा रहेगें। बाबा साहेब और उनका दिया अनूठा, अद्वभूत और अद्वितीय संविधान कल भी प्रासंगिक थे और आज भी है और भविष्य में भी रहेगें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि बाबा साहेब अम्बेडकर सिर्फ एक नाम या देश के नेता नही, वह जन-जन के हृदय मे बसते है। इसलिए कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि केंद्रीय गृहमंत्री को मुद्दे से ध्यान भटकाने की नौटंकी से बाज आकर देश की देवतुल्य जनता, जिनकी भावनाओं को उन्होने बाबा साहेब का अपमान कर के आहत किया है, उनसे माफी मांगनी चाहिए। साथ ही तत्काल अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रेसवार्ता के दौरान उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना, मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी, प्रदेश अध्यक्ष के राजनीतिक मीडिया सरदार अमरजीत सिंह, बुदिजीवी प्रकोष्ठ अध्यक्ष प्रदीप जोशी, प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिह बिष्ट एवं अभिनव थापर मौजूद रहे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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