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March 11, 2025

दो साल बाद आज से शुरू हुई अमरनाथ यात्रा, तीर्थयात्रियों का पहला जत्था रवाना

कोरोना महामारी के कारण दो साल बाद अमरनाथ यात्रा आज गुरुवार यानि कि 30 जून से शुरू हो गई है। तीर्थयात्रियों का पहला जत्था बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा के रास्ते रवाना हो गई। इस दौरान लोगों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है।

कोरोना महामारी के कारण दो साल बाद अमरनाथ यात्रा आज गुरुवार यानि कि 30 जून से शुरू हो गई है। तीर्थयात्रियों का पहला जत्था बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा के रास्ते रवाना हो गई। इस दौरान लोगों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। बता दें कि दो साल बाद शुरू हुई यात्रा में लोग बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं।
पिछले दो साल से कोरोना महामारी के कारण यात्रा में देरी हुई है। पहलगाम में तीर्थयात्रियों की अमरनाथ यात्रा आज से शुरू होने पर ‘बम बम भोले’ के नारे लगे। दौरान श्रद्धालु भारी उत्साह में दिखाई दिए। सभी श्रद्धालुओं ने कहा कि उनको इस घड़ी का बड़ी बेसब्री इंतजार रहता है। बाबा बर्फानी के नाम से मशहूर अमरनाथ धाम का इतिहास सदियों पुराना है। मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने यहां माता पार्वती को अमर होने का रहस्य बताया था। कहा जाता है कि अमरनाथ में जाकर हिमलिंग के दर्शन करने से मनुष्य के पापों से मुक्ति मिल जाती है।
दो बेस कैंप में ठहराए जा रहे हैं यात्री
अमरनाथ गुफा जाने वाले यात्री कश्मीर घाटी के दो बेस कैंप्स में ठहराए जा रहे हैं और इन बेस कैंप से रोजाना यात्रियों के जत्थे अमरनाथ गुफा दर्शन के लिए रवाना होंगे। अमरनाथ जाने वाले यात्रियों के लिए कश्मीर के कई इलाकों में ट्रांजिट कैंप भी बनाए गए हैं। जहाँ देर रात पहुंचने वाले यात्री ठहरेंगे और अगले दिन सुबह उन्हें बेस कैंप्स जाने की अनुमति होगी।
जम्मू और कश्मीर प्रशासन का कहना है कि अमरनाथ यात्रा के लिए हर तरह से चाक-चौबंद तैयारी की गई है। प्रशासन का कहना है कि बीते वर्षों के मुक़ाबले में इस साल कुछ नई सुविधाएं यात्रियों को मुहैया करायी जाएंगी। इस बार अंडरग्राउंड पावर केबल सेवा को भी बालटाल से लेकर गुफा तक शुरू किया गया है। डरग्राउंड पावर सेवा की वजह से यात्रियों और यात्रा से जुड़े लोगों की मुश्किलें कम होंगी। पूरे 24 घंटे यह सेवा उपलब्ध रहेगी। कैंप्स में यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था करीब 30 से 50 प्रतिशत बढ़ा दी गई है।
इस बार प्रशासन ने अमरनाथ यात्रा पर आने वाले हर श्रद्धालु, लंगर वालों, घोड़े वालों को रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफ़िकेशन डिवाइस (आरआईडीएफ) टैग दिया है। आरआईडीएफ को इस बार यात्रियों के लिए जरूरी बनाया गया है। ताकि समय-समय पर यात्रियों और दूसरे लोगों को ट्रैक किया जा सके और उनकी निगरानी की जा सके।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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