एम्स के एक्सपर्ट बोले-घर पर रहो, नियमों का करो पालन, पहने दोहरा मास्क, करें ये उपाय
कोरोना के बढ़ते मामलों के देखते हुए एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञों ने लोगों से अनावश्यक घर से बाहर न निकलने की सलाह दी है। साथ ही नियमों के पालन पर जोर दिया। उन्होंने कोरोना के लक्षण और उपाय भी बताए। ताकी लोग घर पर ही इस बीमारी से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार रहें।
एम्स की ओर से समय समय पर लोगों को कोरोना महामारी के प्रति जागरूक किया जाता रहा है। तेजी से फैल रही कोविड महामारी अब खतरनाक गति से बढ़ने लगी है। कारण है कि आम जनमानस कोविड नियमों का पालन करने में अभी भी लापरवाही बरत रहा है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स, ऋषिकेश की ओर से इस मामले में महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं। साथ ही कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर लापरवाह लोगों को सचेत किया है कि समाज में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति ने यदि नियमों के पालन में गंभीरता नहीं बरती तो स्थिति भयावह हो सकती है।
पहली लहर से ज्यादा खतरनाक है ये लहर
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कोविड महामारी की दूसरी लहर को पहली लहर की अपेक्षा ज्यादा खतरनाक बताया। उन्होंने बताया कि लापरवाही बरत रहे लोगों में इसके प्रति भय भी कम देखने को मिल रहा है। पिछले साल की स्थिति से हम सभी को इस महामारी के संक्रमण से सबक ले लेना चाहिए था। उन्होंने बताया कि लोगों द्वारा लापरवाही बरते जाने के कारण ही अब यह खतरनाक गति से फैलने लगी है। उन्होंने आगाह किया कि यदि जीवन को सुरक्षित रखना है तो हम सभी को गंभीरता से कोविड गाइडलाइन व इससे जुड़े तमाम नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है।
बचाव ही इलाज से बेहतर
इस बाबत एम्स में कोविड के नोडल ऑफिसर डॉक्टर पीके पंडा ने कोविड से बचाव पर सुझाव दिया कि बचाव हमेशा इलाज से बेहतर होता है। हम सभी को समझना होगा कि कोरोना महामारी का वायरस हमारे नाक और मुहं के रास्ते शरीर में प्रवेश करने में सक्षम है। ये सबसे पहले हमारे फेफड़ों को संक्रमित करता है। इसलिए इस महामारी से बचाव का पहला मंत्र है कि घर से बाहर निकलने पर प्रत्येक व्यक्ति अनिवार्य रूप से दोहरा मास्क पहने। यह मास्क घर पर बनाया हुआ भी हो सकता है। साथ ही नियमिततौर पर बार-बार अपने हाथों को सेनेटाइज करता रहे। यदि प्रत्येक व्यक्ति मास्क का सही ढंग से इस्तेमाल करेगा तो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में वायरस के संक्रमण का खतरा स्वतः ही कम हो जाएगा।
इसके अलावा प्रत्येक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से आपस में न्यूनतम 2 मीटर की दूरी बनाए रखना भी बेहद जरूरी है। डॉ पंडा ने बताया कि इसके अलावा 45 वर्ष से अधिक उम्र के प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वह जल्द से जल्द कोविड वैक्सीन लगाए और स्वयं को और समाज को सुरक्षित रखने में सहयोग करे।
संक्रमित रखे इन बातों का ध्यान
– अगले 15 दिनों के लिए प्रतिदिन टेबलेट विटामिन-सी 500 मिलीग्राम दिन में दो बार लेना शुरू करें।
– बुखार की शिकायत होने पर टेबलेट पैरासिटामोल-650 एमजी का दिन में 4 से 6 बार 2 से 3 दिनों तक सेवन करें।
– कोल्ड संबंधी दिक्कत होने पर टेबलेट मॉन्टेलुकास्ट-लेवो-सिट्रीजिन का दैनिक उपयोग करें।
– संक्रमित होने की स्थिति में पूरी तरह बेड रेस्ट आवश्यक है।
– मानसिक तनाव और भय से पूरी तरह मुक्त रहें। – ज्यादा पानी पिएं और आसानी से पचने वाले तरल खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
पेट के बल लेटें
डॉक्टर पंडा ने सलाह दी है कि प्रोन (पेट के बल लेटना) या अर्ध प्रोन उन्मुख स्थिति में पेट के बल प्रतिदिन 4 से 6 बार ( हर बार 30 से 60 मिनट ) सोएं। कोविड संक्रमण के दौरान वायरल फीवर प्रबंधन के शुरुआती चरण में सबसे महत्वपूर्ण है शरीर को आराम देना। यह शारीरिक आराम, मानसिक आराम, मन की शांति और वैराग्य पर निर्भर करता है।
इम्युनोलॉजिकल चरण में रखें ध्यान
उन्होंने कहा कि कोविड संक्रमण के दौरान एकबार प्रारंभिक चरण बीत जाने के बाद अगला इम्युनोलॉजिकल चरण आता है। जहां हमारे शरीर को बुखार, खांसी आदि के समान लक्षणों के साथ सांस की तकलीफ और ऑक्सीजन की आवश्यकता भी पड़ सकती है। इस चरण के दौरान सर्वोत्तम उपलब्ध उपचार प्राइमिंग वेंटिलेशन, ऑक्सीजन, डेक्सामेथासोन व स्टेरॉयड, हेपरिन व एंटीकोआग्यूलेशन या वेंटिलेशन सहायक उपचार की जरुरत है।
आवश्यक निगरानी
ए- लक्षण
बी- श्वसन दर
सी- नाड़ी दर
डी- रक्तचाप
ई- तापमान
एफ-ऑक्सीजन सेच्युरेशन
इनमें से कोई भी नॉर्मल से अलग होने पर मरीज को तत्काल अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता होती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि पहले चरण में उक्त उपचार कर लिए गए तो दूसरे चरण में गंभीर स्थितियों से बचा जा सकता है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।