सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद उत्तराखंड सरकार आई हरकत में, पतंजलि के 14 उत्पादों के लाइसेंस निलंबित
आखिरकार सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और डांट के बाद उत्तराखंड सरकार भी हरकत में आई और बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की कंपनी पतंजलि के 14 उत्पादों का लाइसेंस निलंबित कर दिए हैं। ऐसा कंपनी की ओर से अपने उत्पादों के बारे में बार-बार भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए किया गया है। इसकी जानकारी राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दी। राज्य की लाइसेंस ऑथारिटी ने सोमवार को प्रोडक्ट्स पर बैन का आदेश भी जारी कर दिया। इसमें कहा गया कि पतंजलि आयुर्वेद अपने उत्पादों के बारे में भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करता है जिस वजह से कंपनी के लाइसेंस पर रोका गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है मामला
भ्रामक प्रचार के विज्ञापन का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। पूर्व में कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा था कि वह हरिद्वार स्थित पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापनों से जुड़े मामले में उसे छूट नहीं देगी। अदालत ने कहा कि सभी शिकायतें सरकार को भेज दी गईं। लाइसेंसिंग निरीक्षक चुप रहे, अधिकारी की ओर से कोई रिपोर्ट नहीं है। संबंधित अधिकारियों को अभी निलंबित किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि 2018 से अब तक जिला आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारी के रूप में पद संभालने वाले सभी अधिकारी अपने द्वारा की गई कार्रवाई पर जवाब दाखिल करेंगे। शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान रामदेव, कंपनी के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण और कंपनी को फटकार लगाई थी। रामदेव और बालकृष्ण ने माफी भी मांगी थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन उत्पादों को किया बैन
पतंजलि आयुर्वेद के दिव्य फार्मेसी के जिन उत्पादों के लाइसेंस निलंबित किए गए हैं, उनमें श्वासारि गोल्ड, श्वासारि वटी, दिव्य ब्रोंकोम, श्वासारि प्रवाही, श्वासारि अवलेह, मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर, लिपिडोम, बीपीग्रिट, मधुग्रिट, मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर, लिवामृत एडवांस, लिवोग्रिट, आईिग्रट गोल्ड और पतंजलि दृष्टि आई ड्रॉप शामिल हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पतंजलि फूड्स को जीएसटी बकाया के लिए कारण बताओ नोटिस
पतंजलि फूड्स को जीएसटी खुफिया विभाग ने कारण बताओ नोटिस भेजा है। इसमें कंपनी से यह बताने को कहा गया है कि उससे 27.46 करोड़ रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट क्यों नहीं वसूला जाना चाहिए। 26 अप्रैल को कंपनी की ओर से नियामक को दी गई जानकारी के अनुसार, उसे जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय, चंडीगढ़ जोनल यूनिट से मिले नोटिस में यह भी कहा गया है कि कंपनी पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है मामला
बता दें कि भ्रामक विज्ञापन मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और पतंजिल आयुर्वेद को फटकार लगाई है। कोर्ट का कहना है कि रामदेव ने कोर्ट के उस आदेश का पालन नहीं किया, जिसमें उनसे अपने कुछ उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए कहा गया था। आज इस मामले की कोर्ट में सुनवाई होगी। इसमें यह तय किया जाएगा कि रामदेव के खिलाफ अवमानना का आरोप लगाया जाए या नहीं। बता दें कि कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की 2022 में लगाई याचिका पर सुनवाई कर रही है। जिसमें संस्था ने रामदेव और उनकी कंपनी पर कोविड को रोकने के लिए चलाए गए अभियान और चिकित्सा की आधुनिक पद्धतियों को बदनाम करने का अभियान चलाने का आरोप लगाया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आईएमए का आरोप
आईएमए ने आरोप लगाया कि पतंजलि ने कोविड-19 वैक्सीनेशन के खिलाफ एक बदनाम करने वाला कैंपेन चलाया था। इस पर अदालत ने चेतावनी दी थी कि पतंजलि आयुर्वेद की ओर से झूठे और भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद होने चाहिए। खास तरह की बीमारियों को ठीक करने के झूठे दावे करने वाले प्रत्येक उत्पाद के लिए एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने की संभावना जाहिर की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कोविड-19 महामारी के दौरान एलोपैथिक फार्मास्यूटिकल्स पर अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए आईएमए की ओर से दायर आपराधिक मामलों का सामना करने वाले रामदेव ने मामलों को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। रामदेव पर आईपीसी की धारा 188, 269 और 504 के तहत सोशल मीडिया पर चिकित्सा बिरादरी की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के बारे में भ्रामक जानकारी फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कोर्ट ने ऐसे विज्ञापन न दिखाने का दिया था आदेश
आरोप हैं कि बाबा रामदेव ने कोविड-19 वैक्सीनेशन और आधुनिक चिकित्सा को बदनाम करने के लिए अभियान चलाया। इसी मामले में कोर्ट ने फटकार लगाई। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के विज्ञापन पर टंपरेरी रोक भी लगाई थी। साथ ही हर ऐसे विज्ञापन पर एक करोड़ रुपये जुर्माना लगाने की बात भी कही थी। कोर्ट ने भविष्य में इस तरह के विज्ञापन न दिखाने का आदेश दिया था।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।