गुजरात हादसे के बाद उत्तराखंड में भी जागी सरकार, प्रदेश में सभी सेतुओं का होगा सेफ्टी ऑडिट, पौड़ी में हुई एक मौत
गुजरात में पुल हादसे के बाद अब उत्तराखंड सरकार भी फिर से जाग गई है। अब प्रदेश में सभी सेतुओं का सेफ्टी ऑडिट किया जायेगा। इससे संबंधित शासनादेश प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग आरके सुधांशु की ओर से जारी किया गया है। इस सम्बन्ध में पूर्व में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिये गये थे। हालांकि, पिछले साल देहरादून में डोईवाला से आगे रानीपोखरी पुल के ध्वस्त होने पर भी इसी तरह की बात कही गई है। अब रानी पोखरी में नए पुल का निर्माण हो चुका है, लेकिन प्रदेश भर के पुलों की जांच को लेकर क्या प्रगति हुई। इसका कोई उल्लेख कभी नहीं किया गया है। लोक निर्माण मंत्री सतपाल महाराज भी पुलों के सर्वे को लेकर बात कह चुके हैं। जब भी कहीं कोई घटना घटती है तो अन्य राज्यों की सरकारें भी इसी तरह की घोषणा करती हैं, फिर प्रगति क्या होती है, इसका कभी खुलासा नहीं होता। एक बार फिर से गुजरात में पुल हादसा हुआ तो उत्तराखंड में भी सरकार अब पुलों का सेफ्टी ऑडिट कराने की बात कर रही है। वहीं, एक दिन पहले पौड़ी जिले में झूला पुल से गिरकर एक ग्रामीण की मौत हो चुकी है। वहीं सीपीएम की राज्य कमेटी सदस्य एवं देहरादून महानगर सचिव अनंत आकाश के मुताबिक, लगभग एक साल में तिलवाड़ा पुल के रखरखाव के लिए कई बार मुख्यमंत्री से लेकर जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग को फोटो सहित पत्र दिये, किन्तु स्थिति जस और तस है ।(खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)गुजरात का हादसा
गौरतलब है कि 30 अक्टूबर की शाम करीब साढ़े छह बजे गुजरात के मोरबी इलाके में माच्छू नदी में एक केबल पुल गिर गया था। हादसे में 134 लोगों की मौत हो गई है। 100 घायल लोग मोरबी अस्पताल में भर्ती कराए गए। मरने वालों में करीब 47 बच्चे भी थे। बताया गया है कि जब पुल गिरा उस समय उस पर करीब 500 लोग थे। इस पुल को हादसे से चार दिन पहले मरम्मत के बाद खोला गया था। इस ब्रिज पर जाने के लिए 17 रुपये का टिकट लेना पड़ता है और इस ब्रिज की क्षमता महज 125 लोगों की थी।हादसे के दिन लगभग 500 लोगों को ब्रिज पर जाने दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड के जर्जर पुलों की वायरल हो रही हैं तस्वीरें, एक ग्रामीण की मौत
गुजरात की घटना के बाद से ही सोशल मीडिया में उत्तराखंड में जर्जर पुलों की तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल होने लगी हैं। लोग जर्जर पुलों की फोटो के साथ खतरों को लेकर सोशल मीडिया में पोस्ट शेयर कर रहे हैं। मंगलवार को पौड़ी जिले में ग्रामसभा बड़खोलू को सतपुली बाजार से जोड़ने वाले बड़खोलू झूला पुल से गिरकर एक ग्रामीण सतीश चंद्र की मौत हो गई। क्षतिग्रस्त होने के चलते यह पुल आवाजाही के लिए खतरनाक बना हुआ है। ग्रामीण की मौत के लिए सरकारी तंत्र को कटघरे में खड़ा करना पूरी तरह जायज होगा। दरअसल, पिछले 12 वर्षों से यह झूला पुल क्षतिग्रस्त है। शासन-प्रशासन न तो पुल की मरम्मत कर रहा है और न ही नया पुल बनाने की जहमत उठा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चेती सरकार, अब उत्तराखंड सरकार कराएगी ऑडिट
उत्तराखंड के प्रमुख सचिव आरके सुधांशु द्वारा जारी शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि प्रदेश में सेतुओं का उचित अनुरक्षण न होने, मानकानुसार Periodically safety audit की निर्धारित समय में व्यवस्था न होने, भार क्षमता से अधिक यातायात संचालन होने, सेतुओं के समीप साईनेजेज न होने तथा सेतुओं की अत्यधिक समयावधि (निर्माण की) होने से देश एवं प्रदेश के कई महत्वपूर्ण सेतु दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं, जिसमें जान-माल के नुकसान के साथ-साथ आवागमन बाधित हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने प्रमुख अभियन्ता लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिये है कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार इस संबंध में तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित करते हुये प्रदेश में अवस्थित सेतुओं से सम्बन्धित अद्यतन सूचना प्रत्येक दशा में 03 सप्ताह के अन्दर शासन में उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि सेतुओं के सम्बन्ध में लोक निर्माण विभाग के जिलास्तरीय अधिकारियों द्वारा सम्बन्धित जनपद के जिला प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित करें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
साथ ही कहा कि ऐसे सेतु जिनको निर्मित हुये कई वर्ष हो चुके हैं, उनमें भार क्षमता के आधार पर आवागमन सुनिश्चित किया जाय। प्रत्येक सेतु का safety audit करते हुये आवश्यकतानुसार अनुरक्षण आदि का प्रस्ताव तत्काल शासन को उपलब्ध कराया जाय। सेतुओं के समीप साईनेजेज की उचित व्यवस्था की जाय किसी भी प्रकार की दुर्घटना की स्थिति में सम्बन्धित अधिशासी अभियन्ता पूर्ण रूप से जिम्मेदार होंगे।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




