कुंभ में आरटी-पीसीआर टेस्ट घोटाले के बाद अब एमपी में टीकाकरण घोटाला, नाबालिगों और मृतकों को लगे टीके, रिकॉर्ड पर सवाल

उत्तराखंड के हरिद्वार में कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग के नाम पर फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद अब कोरोना के टीकाकरण के महाअभियान पर भी सवाल उठने लगे हैं। भारत हर अभियान को विश्व रिकॉर्ड के नजरिए से देखता है, वहीं ऐसे भी मामले सामने आ रहे हैं कि जो अभियान पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। फिर सवाल उठता है कि क्या टीकाकरण अभियान के नाम पर ताली पीटने के लिए आंकड़ों का खेल उसी तरह तो नहीं खेला गया, जैसे हरिद्वार कुंभ के दौरान फर्जी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट तैयार करने के लिए खेला गया था। रिकॉर्ड संख्या में टीकाकरण का दावा करने वाले मध्य प्रदेश में अब जो हरीकत बाहर निकल रही है, उससे अभियान ही संदिग्ध नजर आ रहा है। अभियान में 13 साल के बच्चे को बढ़ा दर्शाकर टीका लगाना दिखा दिया गया, वहीं मृतकों को भी कोरोना के टीके लग गए।
सरकार का दावा और खामियां
मध्य प्रदेश सरकार एक ओर रिकॉर्ड संख्या में टीकाकरण का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर कोविड वैक्सीनेशन में ऐसी खामियां सामने आ रही हैं, जो गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं। लोगों के पास बिना वैक्सीन लगवाए उनके नंबर पर मैसेज आ रहे हैं। यहां तक कि मृतकों के नाम पर भी उनके परिजनों को टीकाकरण के मैसेज आ गए। वहीं विपक्षी दल कांग्रेस का दावा है कि कई जगह ऐसे लोगों के नाम पर भी टीका लगने के मैसेज आ गए, जो इस दुनिया में ही नहीं है।
टीका लगाया नहीं आए तीन मैसेज
सतना में कातिकराम, कालिंद्री और चंदन को 21 जून को वैक्सीन के महाभियान के दिन टीका लगा। शाम 4 बजे 5-5 मिनट के अंतराल पर। वैक्सीनेशन का मैसेज चैनेंद्र पांडेय के मोबाइल पर आ गया। चैनेंद्र पांडे कहते हैं कि 5 मिनट के अंदर 3 मैसेज आ गए। बस नाम अलग हैं। मैंने आजतक कोई टीका लगवाया नहीं है।
13 साल के बच्चे को भी लगा दिया टीका
भोपाल के टीला जमालपुरा की हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में रहने वाले 13 साल के वेदांत डांगरे को भी 21 जून को टीका लग गया। सरकार के आंकड़ों में तो यही है। भले ही सरकार कह रही हो, 18 साल से ऊपर वालों को ही टीका लगेगा, लेकिन वेदांत के नाम पर बाकायदा मैसेज आया है। उनके पिता रजत डांगरे ने कहा 21 जून को शाम को 7.27 पर मैसेज आया है कि वेदांत को वैक्सीन लग गई। उसकी अभी 13 साल उम्र है, जबकि बच्चों के लिए वैक्सीनेशन शुरू नहीं हुआ है।
13 साल का वेदांत हो गया 56 का
एक और चमत्कार ये है कि वेदांत की उम्र 56 साल लिखी है। वेदांत खुद कहते हैं मैं 13 साल का हूं, जो लिंक दिए थे, मैसेज में पापा ने सर्टिफिकेट डाउनलोड किया तो उनके ही डॉक्यूमेंट लगे थे। उम्र 56 साल कर दी गई। भोपाल में पीजीबीटी कॉलेज रोड में रहने वाली नुजहत सलीम को भी 21 जून को वैक्सीन लगने का मैसेज मिला। उन्हें पेंशन नहीं मिलती है, लेकिन पहचान पत्र सत्यापन में पेंशन डाक्यूमेंट के दस्तावेज दर्ज हैं। वो कहती हैं मेरे पास 21 जून को मैसेज आया आपको वैक्सीन लग चुकी है, जबकि उन्हें अभी वैक्सीन लगी नहीं है। उन्हें डर है कि अगर वो वैक्सीन लगवाने जाऊंगी तो ऐसा ना हो कि वो बोलें कि आपको कोरोना वैक्सीन लग चुकी है।
स्लॉट बुक कराने पर नहीं जा पाए टीका लगाने, आंकड़ों में लग गया टीका
रतलाम में कर सलाहकार प्रेम पंड्या ने स्लॉट तो बुक किया, लेकिन वैक्सीन लगवाने जा नहीं पाए। इसके बावजूद वैक्सीन लगवाने का मैसेज आ गया। शाम को 4 बजे मैसेज आया कि वैक्सीन लग गई, जिसमें लिखा कि आप सर्टिफिकेट डाउनलोड कर लीजिये। उन्होंने कहा कि जब मैं गया ही नहीं तो वैक्सीन कैसे लग गई। इसे फेसबुक पर लिखा तो अगले दिन कॉल आया और तब जाकर कोरोना वैक्सीन लगाई गई।
कोई दिक्कत नहीं
एमपी के अलग-अलग शहरों से शिकायतों के बावजूद भी मंत्री जी कह रहे हैं कहीं दिक्कत नहीं है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि ऐसा नहीं है। कहीं ऐसी दिक्कत नहीं है। मैं पहली बार सुन रहा हूं। कहीं ऐसा मिलेगा तो हम जांच करवाएंगे।
कांग्रेस ने किया हमला
कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा कि टीकाकरण फर्जीवाड़े के रोज नये आंकड़े सामने आ रहे हैं। मृत व्यक्ति को वैक्सीन लगा दिया, बैतूल में 47 गांवों में वैक्सीन नहीं लगी। ऐसे में जो काम राज्य सरकार, उसके मंत्रियों को करना चाहिये वो काम प्रधानमंत्री कर रहे हैं।
किया गया था रिकॉर्ड टीकाकरण का दावा
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 21 जून को रिकॉर्ड वैक्सीनेशन का दावा किया था। मध्य प्रदेश में टीका उत्सव के हफ्ते में पहले दिन यानी 21 जून को 1742000, 23 जून को 1143000 हजार, 24 जून को 705000 हजार और 26 जून को 964000 लोगों को टीका लगा लगाने का दावा किया। 20 जून को 4098 टीके लगे, 19 जून को 24700 टीके और 18 जून को सिर्फ 11,742 टीके लगे थे। बाकी दिनों में कम टीके के पीछे सरकार का तर्क है कि वो सिर्फ सोमवार, बुधवार-गुरुवार और शनिवार को टीके लगाती है। बाकी दिनों का आंकड़ा निजी अस्पतालों का होता है। वैसे 19 जून को भी शनिवार ही था। इस दिन 24700 लोगों को टीके लगाए गए।
उत्तराखंड में ये है फर्जीवाड़ा
उत्तराखंड में हरिद्वार कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था। जांच में कम से कम एक लाख कोरोना टेस्ट फर्जी पाए गए। एक जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि उत्तराखंड सरकार की तरफ से कुंभ मेले के दौरान कराई जाने वाली कोरोना टेस्टिंग के लिए एक प्राइवेट एजेंसी ने इतनी बड़ी जांच में कम से कम एक लाख फर्जी रिपोर्ट जारी की थीं।
बता दें कि हरिद्वार में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक कुंभ उत्सव का आयोजन किया गया था। इस दौरान 22 प्राइवेट लैब्स की तरफ से लगभग 4 लाख कोरोना टेस्ट किए गए थे। फरीदकोट पंजाब निवासी एक व्यक्ति ने आइसीएमआर से कोरोना जांच में फर्जीवाड़े की शिकायत की थी। इस व्यक्ति के मोबाइल पर कोरोना जांच का संदेश पहुंचा था, जबकि उसकी कभी कोरोना जांच हुई ही नहीं।
राज्य के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने मामले की प्रारंभिक जांच कराई। कोविड-19 मामलों के चीफ कंट्रोलिंग आफिसर डा. अभिषेक त्रिपाठी के स्तर से की गई इस जांच में प्रथमदृष्टया शिकायत सही पाई गई। यही नहीं, उन्होंने एक लाख से अधिक कोरोना जांच में गड़बड़ी की आशंका जाहिर की है। डा. त्रिपाठी ने शासन को सौंपी अपनी रिपोर्ट में मामले को गंभीर बताते हुए इसकी विस्तृत जांच की सिफारिश की थी। इसके मद्देनजर स्वास्थ्य सचिव ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को कुंभ मेला अवधि, इससे पहले और इसके बाद हुई कोरोना जांच की विस्तृत छानबीन के निर्देश दिए थे।
कुंभ मेले के दौरान श्रद्धालुओं की कोरोना जांच में धांधली की असलियत का पता लगाने के लिए जिलाधिकारी सी रविशंकर ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है। मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गहरवार की अध्यक्षता में गठित समिति में मुख्य कोषाधिकारी और जिला विकास अधिकारी शामिल थे।
मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गहरवार की अध्यक्षता वाली एक समिति की ओर से की गई जांच में निजी एजेंसी की रिपोर्ट में कई अनियमितताएं पाई गईं। जांच में पाया गया है कि इसमें 50 से अधिक लोगों को रजिस्टर्ड करने के लिए एक ही फोन नंबर का उपयोग किया गया था। वहीं एक एंटीजन टेस्ट किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई थी।
सबसे बड़े फर्जीवाड़े की ये है कि एक ही घर से 530 सैम्पल लिए गए। जांच से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि-पते और नाम फर्जी थे। हरिद्वार में ‘हाउस नंबर 5’ से ही लगभग 530 सैंपल लिए गए। क्या एक ही घर में 500 से अधिक लोग रह सकते हैं? फोन नंबर भी फेक थे और कानपुर, मुंबई, अहमदाबाद और 18 अन्य जगहों के लोगों ने एक ही फोन नंबर शेयर किए।
ये भी बताया गया कि एजेंसी में रजिस्टर्ड करीब 200 नमूना संग्राहक छात्र और डेटा एंट्री ऑपरेटर या राजस्थान के निवासी निकले, जो कभी हरिद्वार ही नहीं गए थे। सैंपल लेने के लिए एक सैंपल कलेक्टर को शारीरिक रूप से मौजूद होना पड़ता है। एक अफसर ने बताया कि- जब हमने एजेंसी के साथ रजिस्टर्ड सैंपल कलेक्टर्स से संपर्क किया, तो हमने पाया कि उनमें से 50 फीसदी राजस्थान के निवासी थे, जिनमें से कई छात्र या डेटा एंट्री ऑपरेटर थे।
दर्ज हुए हैं मुकदमें
चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार द्वारा नगर कोतवाली के मैक्स, लाल चंदानी कंपनी व नलवा लेब्रोट्रीज के के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ आपदा प्रबंधन एक्ट के साथ 420,467,468,128 समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। साथ ही एसआइटी का भी गठन कर दिया है। इससे पहले मैक्स की ओर से भी हाईकोर्ट में इसी तरह की याचिका दाखिल की जा चुकी है।
मामले की एसआइटी कर रही जांच
कुंभ के दौरान कोरोना जांच घोटाले की जांच एसआइटी कर रही है। इसके अलावा सीडीओं के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम अलग से जांच कर रही है। दो दिन पहले ही कोरोना जांच कंपनी मैसर्स मैक्स कारपोरेट सर्विसेज नई दिल्ली व नलवा लेबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड हरियाणा व डा. लाल चंदानी लैब नई दिल्ली पर नामजद मुकदमा भी दर्ज किया गया है। मामले में सीएमओ डा. शंभू कुमार झा व मेलाधिकारी डा. अर्जुन सिंह सेंगर के बयान भी दर्ज कर चुकी है। साथ ही टेंटिंग कंपनी अधिकारियों को हरिद्वार तलब भी किया गया था। वहीं, कंपनियां गिरफ्तारी के विरोध में हाईकोर्ट नैनीताल पहुंच गई हैं। साथ ही कंपनियों की ओर से जांच में सहयोग की बात कही गई है। अब एसआइटी कंपनी के लोगों के बयान ले रही है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
बीजेपी सरकार जहाँ भी हैं सब फर्जीवाड़ा करती हैं