Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

September 10, 2025

एडवोकेट पीके अग्रवाल ने की पर्वतीय मैदानी एकता की वकालत, लोगों को करेंगे जागरूक, तभी होगा उत्तराखंड सशक्त

देश में अधिकांश चुनाव जातिगत आधार पर लड़े जाते हैं। वहीं, उत्तराखंड में तो इससे एक कदम आगे बढ़कर पर्वतीय और मैदानी मुद्दा भी चुनावों में रहता है। इससे और आगे बढ़ें तो बाहरी और उत्तराखंडी का मुद्दा भी समय समय पर उछाला जाता है। अब किसी को कौन समझाए कि यदि देश के हर राज्य ऐसे मुद्दे उठाने लगें तो भारत में किसी भी राज्य का व्यक्ति दूसरे राज्य में नौकरी करने नहीं जा पाएगा। वहीं, कुछ लोग अब इन मुद्दों से ऊपर उठकर लोगों को जागरूक करने की बात कर रहे हैं। देहरादून निवासी एवं बीजेपी नेता एडवोकेट पीके अग्रवाल ने एक अलग तरीके का प्रयास शुरू किया है। ये प्रयास है कि पर्वतीय मैदान के लोगों में एकता रहे। उनका मानना है कि यदि मैदानी और पर्वतीय के फेर से उत्तराखंड बचेगा तो तभी सही मायने में ये राज्य तरक्की करेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एडवोकेट पीके अग्रवाल ने की पर्वतीय मैदान की एकता की वकालत
पिछले कई दशकों से विभिन्न राजनीतिक दलों में रहने के बाद पीके अग्रवाल ने पिछले साल ही बीजेपी ज्वाइन की। उनकी पत्नी लक्ष्मी अग्रवाल भी बीजेपी में हैं और वह समाजसेवा के क्षेत्र में पति के कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं। ज्वलंत मुद्दों पर भी वह बेबाक टिप्पणी करती रहती हैं। वहीं, महिला सशक्तिकरण के लिए भी वह हर समय प्रयासरत रहती हैं। खैर यहां हम पीके अग्रवाल की बात कर रहे हैं। क्योंकि वह वकील हैं और पर्वतीय और मैदान की एकता की वकालत कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बनाया संगठन और तैयार किया रोडमैप
पीके अग्रवाल ने पर्वतीय मैदान एकता समिति के नाम से संगठन बनाया और वह इसके अध्यक्ष हैं। उनका मानना है कि पर्वतीय मैदान की एकता से ही उत्तराखंड सशक्त होगा। उन्होंने उत्तराखंड की समृद्धि और आपसी भाईचारे को मजबूत बनाने के लिए समिति का रोड मैप भी तैयार किया है। 50 साल के लंबे राजनीतिक अनुभव का लाभ उठाते हुए अब वह पर्वतीय मैदानी एकता समिति के माध्यम से उत्तराखंड में भाईचारे और सौहार्द के लिए लोगों को जागरूक करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

शाइनिंग समाचार के संपादक आशीष तिवारी को हाल ही में पीके अग्रवाल ने इंटरव्यू दिया। इसमें उन्होंने एक कैबिनेट मंत्री के पहाड़ी और मैदानी को लेकर दिए गए बयान के बाद उनके इस्तीफे को लेकर भी बात की। कहा कि देखिए जो सरकारी माहोल है वह अलग बात है, लेकिन जिस तरह से बीते दिनो कुछ बात पैदा हुई कि पर्वतीय मूल के लोगों ने मिल कर मैदानी मूल के मंत्री को हटाने में अथक प्रयास किया। ये कहा गया कि वह पहाड़ी मूल के ना होकर मैदानी मूल के हैं। ऐसी विचारधारा और मानसिकता उत्तराखंड के लिए शर्मनाक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पीके अग्रवाल का कहना है कि उन्हें उत्तराखंड से बेहद लगाव है। साथ ही उत्तराखंडी होने का गर्व है। उत्तराखंड देवभूमि है। इस तरह के मनमुटाव वाली भावना किसी के मन में भी नहीं होनी चाहिए। यह दुखद है कि अभी तक लोग इसे महसूस कर रहे हैं, लेकिन ऐसी घटनाओं से यह भावना दिखने लगती हैं। प्रयास है कि इन भावनाओं को मिटाकर आपसी एकता और भाईचारे के साथ उत्तराखंड के विकास और उन्नति के लिए प्रयास किया जाएं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि हमारा विजन है कि हम लोगों के मन में प्रेम का भावना भाईचारे की भावना को मजबूत करें। एक दूसरे के तीज त्योहार और आयोजनो में शामिल होकर उन्हें अपनेपन का एहसास कराएं। समाज में किसी भी प्रकार की कटुता को मिटाने का प्रयास करें। कैसे हम उन दूरियों को खत्म करें। कैसे लोगों को एक दूसरे से जोड़ें। मुझे भरोसा है कि उत्तराखंड के लोग देवभूमि की देवतुल्य मशाल आगे बढ़ेगी। लोग हमारे साथ जड़ेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पीके अग्रवाल के मुताबिक, अब एकता का मेरा यह विजन मिशन बन चुका है। हम लागों के लिए अब सड़कों पर भी उतरेगे। मुझे उम्मीद है कि देवभूमि की प्रबुद्ध जनता का मुझे समर्थन, सहयोग और आशीर्वाद मिलेगा। साथ ही पर्वतीय मैदानी एकता समिति से लाखों लोगों से जुड़ेगी। उन्होंने कहा कि हमारा विजन और मिशन का कोई राजनीतिक लक्ष्य नहीं है। यह एक जन भावना है। इसके लिए मेरी जनता से अपील है कि पर्वतीय मैदानी एकता समिति के साथ जुड़कर उत्तराखंड को मजबूत बनाएं।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *