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August 9, 2025

देवस्थानम बोर्ड को लेकर आप का आक्रमक रुख, कल होगा 70 विधानसभाओं में प्रदर्शन, केदारबाबा के सच्चे भक्त हैं पीएम तो करें भंग: कर्नल कोठियाल

उत्तराखंड में पीएम के दौरे से पहले आम आदमी पार्टी ने भी आक्रमक रुख अपना लिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड में सीएम प्रत्याशी कर्नल (सेनि) अजय कोठियाल ने कहा कि यदि पीएम मोदी केदार बाबा के सच्चे बेटे हैं तो देवस्थानम बोर्ड को जल्द भंग कर देना चाहिए।

उत्तराखंड में पीएम के दौरे से पहले आम आदमी पार्टी ने भी आक्रमक रुख अपना लिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड में सीएम प्रत्याशी कर्नल (सेनि) अजय कोठियाल ने कहा कि यदि पीएम मोदी केदार बाबा के सच्चे बेटे हैं तो देवस्थानम बोर्ड को जल्द भंग कर देना चाहिए। उन्होंने देवस्थानम बोर्ड पर सरकार पर सिसायत करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पंडा समाज, तीर्थ पुरोहितों के साथ सरकार की ओर से खिलवाड़ किया जा रहा है। ऐसे समय पर आम आदमी पार्टी तीर्थ पुरोहितों के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि कल वह बाबा केदारनाथ के दर्शन करने जाएंगे। साथ ही घोषणा की कि इस मुद्दे को लेकर आप कार्यकर्ता प्रदेश की सभी 70 विधानसभाओं पर प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि अब बीजेपी को ये डर सता रहा है कि कहीं, पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत की तरह पीएम का भी पंडा समाज विरोध न करे।
पीएम का होगा दौरा, पूर्व सीएम को लौटाया था वापस
गौरतलब है कि उत्तराखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पांच नवंबर को दौरा है। इस दौरान वह केदारनाथ धाम जाएंगे और आदि गुरु शंकराचार्य जी की समाधि का लोकार्पण करेंगे। उनसे दौरे से पहले तीर्थ पुरोहितों और पंडा समाज का आंदोलन भी तेज हो गया है। चारों धामों में तीर्थ पुरोहित आंदोलन कर रहे हैं। सोमवार को गंगोत्री बाजार बंद रखा गया। तीर्थ पुरोहितों ने श्रद्धालुओं की पूजा नहीं कराई। हालांकि श्रद्धालुओं ने गंगोत्री में दर्शन किए और स्वयं ही पूजा की। केदारनाथ में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत तीर्थ पुरोहितों की नब्ज टटोलने के लिए दर्शन के बहाने गए तो उनका जमकर विरोध हुआ और उन्हें वापस लौटना पड़ा। हालांकि बाद में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोशल मीडिया में फोटो डालकर इसमें ये जताने का प्रयास किया कि उन्होंने केदार बाबा के दर्शन किए।
सोशल मीडिया में छिड़ी वार
यही, नहीं त्रिवेंद्र सिंह रावत को दर्शन न करने देने को लेकर आलोचनाओं का दौर भी शुरू हो गया। भाजपा के आइटी सेल की ओर से तो अब तीर्थ पुरोहितों के खिलाफ लगातार सोशल मीडिया में पोस्ट डाली जा रही है। इसमें ये दर्शाया जा रहा है कि तीर्थ पुरोहित आम श्रद्धालुओ को लूटते हैं। पूर्व सीएम को लौटाने के समर्थन में भी सोशल मीडिया में पोस्ट डाली जा रही हैं। आंदोलनों में ऐसा कई बार होता है। राज्य आंदोलन के दौरान भी नेताओं को कई बार घेरा जाता था। उन्हें लौटाया जाता था। हालांकि मंदिर से लौटाने की शायद ये पहली घटना होगी। इसलिए इसकी निंदा हो रही है। साथ ही तीर्थ पुरोहितों को अब विलैन के रूप में पेश किया जा रहा है। कुछ भी हो, अब स्थिति सुधरने की बजाय बिगड़ने लगी है। इसमें गौर करने वाली बात ये है कि केरल में देवस्थानम बोर्ड का भाजपा विरोध कर रही है। इसे लेकर यूपी के सीएम योगी ट्विट भी कर चुके हैं। वहीं, केरल में देवस्थानम बोर्ड की पैरवी करने वाली कांग्रेस उत्तराखंड में इसका विरोध कर रही है। ये है राजनीतिक पार्टियों का चेहरा।
कर्नल कोठियाल का नजरिया
आप के सीएम उम्मीदवार कर्नल अजय कोठियाल ने हरिद्वार पहुंचने पर एक प्रेसवार्ता में कहा कि का आयोजन करते हुए देवस्थानम बोर्ड मसले पर राज्य सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार देवस्थानम बोर्ड के नाम पर पंडा पुरोहितों के हितों के साथ सीधा खिलवाड कर रही है। देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ पंडा पुरोहित समाज के लोग लगभग दो साल से विरोध कर रहे हैं। लेकिन सरकार ने अभी तब बोर्ड के मसले पर कोई फैसला नहीं किया है।
कर्नल का आंदोलन का एलान
कर्नल कोठियाल ने कहा कल देवस्थानम बोर्ड को भंग करने को लेकर आप कार्यकर्ता 70 विधानसभाओं में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे और खुद केदारनाथ पहुंचकर तीर्थ पुरोहितों के हक में आवाज उठाएंगे। उन्होंने इसके अलावा कर्नल कोठियाल ने कहा कि बीते दिन देवस्थानम बोर्ड के विरोध का सामना पूर्व
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी करना पडा। पंडा पुरोहित समाज के लोगों ने उन्हें काले झंडे दिखाए, जिस कारण उन्हें बिना दर्शन किए ही वापस लौटना पडा। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जब सबकुछ ठीक चल रहा है तो सरकार आखिर क्यों देवस्थानम बोर्ड बनाकर उसे जबरन पंडा पुरोहितों पर थोप रही है। उन्होंने कहा कि मैं खुद दर्शनों के लिए केदारनाथ जा रहा हूं। उन्होंने बताया कि जब पहले कभी सुविधाएं नहीं होती थी तो यात्रा पर आने वालों की सहायता पंडा समाज से जुडे लोग ही करते थे। यात्रियों के खाने पीने से लेकर उनके रहने और दवाईयों की व्यवस्था भी की जाती थी। उस दौर में तीर्थ पुरोहित, यजमानों के घर जाते थे, वहां उन्हें दक्षिणा भी मिलती थी। ऐसे में पुरोहित, यजमान और भगवान के बीच एक सामंजस्य बनता था। लेकिन आज उन्हीं लोगों का सरकार उपहास उडा रही है।
सरकार की मंशा पर सवाल
कर्नल कोठियाल ने इस मामले में सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि अब हालात बदल चुके हैं। जब सब कुछ सामान्य था तो सरकार ने देवस्थानम बोर्ड बनाकर हक हकूक धारियों को पेरशान करना शुरु कर दिया है। उन्होंने कहा कि, सरकार अपनी मनमानी पर अडी हुई है, जबकि पंडा पुरोहित अपने खून से प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर बोर्ड को भंग करने की मांग उठा चुके हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने सियासी लाभ उठाने के लिए बोर्ड को लेकर एक कमेटी बनाई, लेकिन 30 अक्टूबर बीत जाने के बावजूद भी कोई फैसला नहीं लिया गया। उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब कपाट बंद होने वाले हैं। यात्रा बंद होने वाली है। तो देवस्थानम बोर्ड की फाइल ठंडे बस्ते में जाना तय है। उन्होंने आगे कहा, कल हुए विरोध प्रदर्शन को देखते हुए अब पीएम मोदी के दौरे को लेकर बीजेपी पशोपेश में हैं कि कहीं पीएम का पंडा समाज खुलकर विरोध ना करे।
अपनी करतूतों पर ही झेलना पड़ रहा विरोध
कर्नल कोठियाल ने कहा कि सरकार ने हीन भावना रखते हुए देवस्थानम बोर्ड को सपोर्ट किया है। उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम का एक ओहदा होता है, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें दर्शन किए बगैर ही केदारनाथ से लौटना पडा। उन्होंने आगे कहा कि वहां गुपचुप तरीके से मंत्री धन सिंह और बीजेपी अध्यक्ष मदन कौशिक भी पहुंचे। पंडा समाज ने पता चलते ही उन्हें घेर लिया गया। अगर वो पंडा समाज के लोगों से माफी मांग लेते तो उन्हें पंडा समाज माफी दे देता। उन्होंने आगे कहा कि ये बीजेपी की ही करतूतें हैं, जो धर्म स्थलों पर इस तरह का विरोध सरकार को झेलना पड रहा है।
पीएम मोदी से की अपेक्षा
उन्होंने कहा 5 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी खुद केदारनाथ पहुंच रहे हैं। जब वो पहली बार केदार नाथ पहुंचे थे, तो उन्होंने कहा था कि वो बाबा के बेटे हैं। वह बाबा केदार को खूब मानते हैं। अब जनता यह देखेगी कि अगर वो वाकई में बाबा के बेटे हैं तो क्या वो देवस्थानम बोर्ड को भंग करेंगे। आप पार्टी की यह मांग है कि देवस्थानम बोर्ड पर सरकार राजनीति ना करते हुए तुंरत इस बोर्ड को भंग करे। सरकार हर हाल में देवस्थानम बोर्ड मामले पर पंडा पुराहितों के साथ खडी है और देवस्थानम बोर्ड भंग करने को लेकर कल पूरे प्रदेश में प्रदर्शन करेगी।
ये है मामला
बता दें कि वर्ष 2020 में सरकार ने देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था। उस समय भी तीर्थ पुरोहित व हकहकूकधारियों ने सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया था। इसके बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने फैसले से पीछे नहीं हटे। वहीं, गंगोत्री में पिछले साल भी निरंतर धरना होता रहा। केदारनाथ और बदरीनाध धाम में तो बोर्ड ने कार्यालय खोल दिए, लेकिन गंगोत्री में तीर्थ पुरोहितों के विरोध के चलते कार्यालय तक नहीं खोला जा सका।
उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन होने के बाद सत्ता संभालते ही पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने देवस्थानम बोर्ड के फैसले पर पुनर्विचार करने की बात कही थी। तीरथ सिंह रावत के बाद पुष्कर धामी सीएम बने और उन्होंने इस मामले में उच्चस्तरीय समिति गठित की। इसके अध्यक्ष भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोहर कांत ध्यानी को बनाया गया। मनोहर कांत ध्यानी ने हाल ही में समिति की रिपोर्ट सीएम पुष्कर सिंह धामी को रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। पांच नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी का केदारनाथ में दौरा है। ऐसे में यदि रिपोर्ट पर बवाल होता है तो दिक्कत हो सकती है। इससे ऐन पहले अब नौ सदस्यों को नामित कर चारों धामों से तीर्थ पुरोहितों को खुश करने का प्रयास किया गया है।
हाल ही में सरकार ने उत्तराखंड में उच्च स्तरीय समिति देवस्थानम विधेयक में उत्तराखंड शासन की ओर से उत्तराखंड के चारधामों से नौ तीर्थपुरोहितों, हक हकूकधारियों, विद्वतजनों और जाधकारों को नामित कर दिया गया है। इस संबंध में सचिव धर्मस्व एवं तीर्थाटन की ओर से शासनादेश जारी किया गया था। धर्मस्व सचिव हरिचंद्र सेमवाल की ओर से जारी शासनादेश में चारों धामों से नौ सदस्य नामित किए गए हैं।
इसके तहत श्री बदरीनाथ धाम से विजय कुमार ध्यानी, संजय शास्त्री एडवोकेट ( ऋषिकेश), रवीन्द्र पुजारी एडवोकेट (कर्णप्रयाग- चमोली), केदारनाथ से विनोद शुक्ला, लक्ष्मी नारायण जुगडान, गंगोत्री धाम से संजीव सेमवाल, रवीन्द्र सेमवाल, यमुनोत्री धाम से पुरुषोत्तम उनियाल, राजस्वरूप उनियाल नामित हुए है।
शासनादेश में कहा गया है कि उत्तराखंड चारधाम देवस्थानय प्रबंधन बोर्ड के समस्त पहलुओं पर विचार विमर्श करने के लिए सभी पक्षों से विचार-विमर्श करने के उपरांत संस्तुति के लिए पूर्व राज्य सभा सांसद मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति में उपरोक्त सदस्यों को नामित किया गया है।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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