उत्तराखंड क्रिकेट विवाद में आम आदमी पार्टी भी कूदी, आप नेता जुगरान बोले-दाल में कुछ काला, सीबीआइ जांच जरूरी
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उत्तराखंड में क्रिकेट को लेकर उठ रहे सवाल और विवादों के बीच आम आदमी पार्टी भी इस मामले में कूद पड़ी है। आप नेता रविंद्र जुगरान ने प्रदेश सरकार और बीसीसीआइ से मांग की है कि इस मामले में सीबीआइ जांच कराई जाए। साथ ही उन्होंने मांग की है कि बीसीसीआई की ओर से अब तक उत्तराखंड क्रिकेट के लिए दी गई करोड़ों रुपये की राशि पर श्वेत पत्र जारी किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि हाल की में क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के सचिव महिम वर्मा से विवाद के चलते प्रदेश की सीनियर क्रिकेट टीम के मुख्य कोच एवं भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ओपनर बल्लेबाज वसीम जाफर ने त्यागपत्र दे दिया था। इस मामले में उन्होंने सचिव पर मनमानी का आरोप लगाया, वहीं, सचिव ने उन पर कुछ धार्मिक आरोप लगाए थे। वहीं, प्रदेश सरकार का कहना था कि यदि उन्हें ऐसी कोई शिकायत मिलती है तो जांच कराई जाएगी। इसके बाद गत दिवस उत्तराखंड युवा संगठन ने सीएयू की शिकायत को लेकर मुख्यमंत्री को मेल भेजी थी।
इसी मामले में अब आम आदमी पार्टी भी कूद पड़ी। पार्टी के नेता रवीन्द्र जुगरान ने उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन व उत्तराखंड क्रिकेट टीम के कोच वसीम जाफर की ओर से एक दूसरे पर लगाये जा रहे आरोपों को बहुत ही गंभीर बताया। उन्होंने कहा की इस विवाद से साफ हो गया है की उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। जरूर दाल काली है, इसलिए बीसीसीआई को तुरंत इसकी जांच करनी चाहिए।
जुगरान ने कहा की उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन के गठन के उपरांत उत्तराखंड में क्रिकेट के विकास, आधार भूत ढांचे के निर्माण, क्रिकेट के उन्नयन, खेल प्रतिभाओं को अवसर देने और आगे बढ़ाने के लिए अब तक बीसीसीआई की ओर से जो करोड़ों रुपए की राशि दी गयी है, उस पर भी उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन को श्वेत पत्र जारी करना होगा। अब तक कुल कितनी राशि मिली और वो कब और कहां प्रदेश में किन मदों में व्यय की गई है? उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन खिलाड़ीयों के चयन में उत्तराखंड सरकार से लागू डोमोसाइल नीति लागू कर रहा है या नहीं?
उन्होंने कहा कि गैस्ट प्लेयर के चयन में भी दाल में काला है। इसमें जिन खिलाड़ियों का चयन किया गया, वो अधिकांश रिटायर होने के कागार पर उनकी परफॉर्मेंस गिरी हुई है। इसका मूल्यांकन भी जरूरी है। अन्य प्रदेशों से गेस्ट प्लेयर लेना कोई बाध्यता नहीं, तो फिर उत्तराखंड से ही गेस्ट प्लेयर लिए जाएं। या फिर अन्य राज्यों से उत्तराखंड मूल के खिलाड़ीयों को ही गेस्ट प्लेयर के रूप में लिया जाए।
उन्होंने कहा कि गाहे-बगाहे राज्य क्रिकेट टीम के चयन में प्रतिभावान खिलाड़ियों का चयन न करने की बात भी सामने आ रही हैं। उनके स्थान पर सिफारिशी खिलाड़ी लिये जा रहे हैं जिनपर मोटी रकम लेकर चयन करने के भी आरोप लगते रहे हैं। जुगरान ने कहा की सरकार की जांच कछुआ गति से चलती है। क्योंकि उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन पर वित्तीय अनियमितताओं की जांच डेढ़ दशक से चल रही है, जो आज तक भी पूरी नहीं हुई। इसलिए इसकी जांच बीसीसीआई को करनी चाहिए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।